- संघ प्रमुख मोहन भागवत की पीएम के साथ घंटों मंत्रणा , तीनों सेनाओं के प्रमुखों और रक्षा मंत्री के साथ अहम बैठक
- पहली बार संघ प्रमुख पहुंचे 7 लोक कल्याण मार्ग
देश की सुरक्षा और राजनीतिक रणनीति को लेकर अब केंद्र सरकार पूरी तरह एक्टिव मोड में है। बता दें कि मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर तीनों सेनाओं के प्रमुखों और रक्षा मंत्री के साथ अहम बैठक हुई। इस बैठक में पीएम मोदी ने आतंकियों पर कार्रवाई के लिए सेना को पूरी छूट देने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा, ''कब, कहां और कैसे एक्शन लेना है, यह अब सुरक्षाबल तय करेंगे। मोहन भागवत से हुई लंबी चर्चा, रणनीति पर की घंटों मंत्रणा : वहीं सेना प्रमुखों के साथ बैठक के बाद पीएम मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघप्रमुख मोहन भागवत से भी करीब डेढ़ घंटे तक गहन चर्चा की।माना जा रहा है कि इस बातचीत में आगामी कदमों और देश के भीतर राजनीतिक माहौल को लेकर रणनीति तय की गई। इसके बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत प्रधानमंत्री से मिलने उनके आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पहुंचे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब संघ प्रमुख मोहन भागवत सार्वजनिक रूप से प्रधानमंत्री से मिलने उनके आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पहुंचे। इससे पहले भी कई बार प्रधानमंत्री मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत की मुलाकात पीएम आवास पर हुई है लेकिन गुपचुप तरीके से। मंगलवार को हुई मुलाकात को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। सूत्रों के अनुसार, यह मुलाकात पहलगाम आतंकी हमले के संदर्भ में हुई। इन बैठकों से संकेत मिलता है कि सरकार इस हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की दिशा में गंभीरता से काम कर रही है। देश दुनियां को दर्शा दिया कि हम साथ साथ है। मीटिंग में पीएम मोदी ने क्या कहा?: इससे पहले हुई हाई लेवल मीटिंग में प्रधानमंत्री ने कहा कि सुरक्षाबलों को पहलगाम हमले के खिलाफ कार्रवाई का तरीका, लक्ष्य और समय तय करने की पूरी छूट है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मोदी ने बैठक में कहा कि आतंकवाद को करारा जवाब देना हमारा संकल्प है। यह मीटिंग पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत के संभावित कदमों पर मंथन के बीच हुई।हमले के बाद सरकार ने उठाए कई कदम: बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी दो टूक कह चुके हैं कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों और उनके आकाओं का धरती के आखिरी छोर तक पीछा करके उन्हें उनकी कल्पना से परे सजा दी जाएगी। हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाए हैं। इनमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल है। प्रधानमंत्री की सख्त टिप्पणियों और सरकार के कड़े रुख से भारत की करारी जवाबी कार्रवाई की उम्मीदें तेज हैं। CCS और CCPA की बैठक आज, पाकिस्तान में खलबली: बताते चले कि बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) और फिर कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स (CCPA) की बैठक होगी. इन बैठकों से पहले ही पाकिस्तान में बेचैनी बढ़ गई है. जानकारी के मुताबिक POK में आतंकियों के लॉन्च पैड खाली करवाए जा रहे हैं और सेना के बंकरों में आतंकियों को छिपाया जा रहा है। इसके अलावा, CCPA को देश की 'सुपर कैबिनेट' माना जाता है. यह समिति खासतौर पर राजनीतिक, आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर निर्णय लेती है. पुलवामा हमले के बाद भी CCPA की बैठक हुई थी, जिसमें पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया गया था. उसके बाद ही बालाकोट एयर स्ट्राइक हुई थी। CCPA में कौन-कौन हैं शामिल: प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली इस समिति में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, जेपी नड्डा समेत कई वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शामिल हैं।जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया और मीडिया के जरिए पाकिस्तान पहुंची, वहां के नेता गिनती गिनने लगे. कुछ ने तो 24 से 36 घंटे का काउंटडाउन भी शुरू कर दिया. दिल्ली की महत्वपूर्ण बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान के साथ ही सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख भी मौजूद थे. रात से ही देशभर के लोगों के जेहन में एक सवाल है कि आखिर सेना को खुली छूट देने का आशय क्या है?
मैसेज बड़ी चीज है: बताया जा रहा है कि पीएम की इस बैठक का एजेंडा ऐक्शन के योग्य खुफिया जानकारी की समीक्षा करना और सीमा पार आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने के उद्देश्य से सैन्य और रणनीतिक विकल्पों पर विचार-विमर्श करना था। आज पीएम कैबिनेट की सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति यानी CCPA और कैबिनेट की सुरक्षा समिति यानी CCS की बैठक कर रहे हैं। इससे पाकिस्तान को लग गया है कि भारत कुछ बड़ा प्लान कर रहा है। पाकिस्तान के सूचना मंत्री अतातुल्लाह तरार ने दावा किया है कि पक्की खुफिया जानकारी है कि अगले 24 से 36 घंटे में भारतीय सेना का अटैक होने वाला है। समय, टारगेट और तरीका: सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि आतंकवाद पर करारा प्रहार हमारा राष्ट्रीय संकल्प है। उन्होंने भारतीय सैन्य बलों की क्षमता पर पूरा भरोसा जताया और कहा कि उन्हें हमारी प्रतिक्रिया के तौर-तरीकों, लक्ष्यों और टाइमिंग के बारे में निर्णय लेने की पूरी स्वतंत्रता है। दरअसल, प्रधानमंत्री का संदेश एक रणनीतिक फेज को दिखा रहा है जहां निर्णायक सैन्य विकल्प दृढ़ता से रखा गया है। जिस अंदाज में पीएम मोदी ने भारत के ऐक्शन का तरीका, टारगेट और टाइम चुनने के लिए सशस्त्र बलों को खुली छूट दी है, यह दिखाता है कि इस फैसले का कितना रणनीतिक महत्व है. यह भारत की क्षमता का संकेत भी है जहां राजनीतिक इच्छाशक्ति और सैन्य क्षमता एक साथ है।इस तरह की रणनीति भारत के रक्षा प्रतिष्ठान को जमीनी खुफिया जानकारी के आधार पर पूर्व-निर्धारित और आक्रामक ऐक्शन करने की आजादी देती है। डिफेंस एक्सपर्ट की मानें तो इस तरह का निर्देश किसी भी प्रकारी देरी को दूर करता है जो पारंपरिक रूप से त्वरित सैन्य ऐक्शन की राह में रुकावट होता है। एक्सपर्ट के मुताबिक खुली छूट जमीन पर कमांडरों को सही मौका मिलते ही पर कार्रवाई करने का अधिकार देता है - वह चाहे सटीक हमला हो, गुप्त ऑपरेशन या आतंकी नेटवर्क का साइबर तरीके से बर्बादी हो। वैसे, यह पहली बार नहीं है जब भारत ने सीमा पार कार्रवाई पर विचार किया है. 2016 में उरी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी लॉन्च पैड को निशाना बनाते हुए नियंत्रण रेखा के पार सर्जिकल स्ट्राइक की थी. 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायु सेना के विमानों ने बालाकोट में घुसकर तबाही मचाई थी. वह 1971 के बाद पाकिस्तानी क्षेत्र के अंदर पहला हवाई हमला थादरअसल, कल शाम पीएम की बैठक से कुछ घंटे पहले दोपहर 12 बजे के करीब पीएम एक कार्यक्रम में लाइव थे। संबोधन के दौरान एक समय ऐसा आया जब उनके चेहरे और संवाद ने कुछ और ही इशारा कर दिया। पीएम ने कहा कि समय सीमित है और लक्ष्य बड़ा है।
बाद में उन्होंने यह भी साफ करने की कोशिश की कि इसका कनेक्शन वर्तमान परिस्थितियों से नहीं हैं. हालांकि मैसेज दिया जा चुका था।...और पाकिस्तान की घबराहट दिखी: पिछली कई रातों की तरह 29-30 अप्रैल की दरम्यानी रात भी बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में नियंत्रण रेखा के पार और परगवाल सेक्टर में अंतरराष्ट्री सीमा के पार से पाकिस्तानी सेना ने बिना उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की। सेना ने बताया है कि जवानों ने फौरन इसका मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तानी सेना की चौकियों से जम्मू-कश्मीर में नौशेरा, सुंदरबनी और अखनूर सेक्टरों के सामने नियंत्रण रेखा के पार बिना उकसावे के छोटे हथियारों से गोलीबारी की। पहलगाम की बैसरन घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में दहशतगर्दों ने 26 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी. इस हमले में पाकिस्तान में प्रशिक्षण पाए आतंकवादियों का हाथ सामने आया है. हमले के अगले ही दिन ही भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की। इसके अलावा भी कई फैसले लिए गए लेकिन देश करारा प्रहार का इंतजार कर रहा है. प्रधानमंत्री कह भी चुके हैं कि आतंकवादी और उनके समर्थकों का ऐसा अंजाम होगा, जिसकी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी
असली वजह: मंगलवार शाम की अचानक बैठक को उसी अंजाम पर अंतिम मुहर के तौर पर माना जा रहा है. अबतक मिली जानकारी के विश्लेषण से साफ है कि पीएम के उस संकल्प को अमली जामा पहनाने की शुरुआत हो चुकी है. हालांकि आधिकारिक तौर पर बैठक के बारे में कुछ नहीं बताया गया है, लेकिन पाकिस्तान को इस बात का अहसास हो चुका है कि जल्द ही पहलगाम के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। बॉर्डर पर क्या तैयारी: पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है. नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्पेशल यूनिट को ऑपरेशनल रेडीनेस मोड में रखा गया है जिससे किसी भी पल वे सिग्नल मिलते ही ऐक्शन शुरू कर सकें. निगरानी ड्रोन, उपग्रह ट्रैकिंग और इलेक्ट्रॉनिक खुफिया जानकारी जुटाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है, जिससे पूरे पीओके में आतंकवादी शिविरों और गतिविधियों की निगरानी की जा रही है. ऐसा लग रहा है कि खुफिया तंत्र सेना के साथ कड़े समन्वय में काम कर रहा है, इस संभावना की ओर इशारा करते हुए कि कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी पहले से ही हाथ में हो सकती है. लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन निगरानी में हैं।ऐसा लग रहा है कि भारत दहशतगर्दों के साथ-साथ उनके वित्तीय और लॉजिस्टिक सपोर्टरों पर भी टारगेटेड कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। भारत अगर सैन्य प्रतिक्रिया के साथ आगे बढ़ता है तो यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आर्टिकल 51 के तहत भारत का आत्मरक्षा का अधिकार कहा जाएगा। ( अशोक झा की कलम से )
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