- बांग्लादेश सीमा पर बढ़ाई गई हाई टेक सुरक्षा, 2,500 जवानों को बॉडी-वॉर्न कैमरों से लैस कर सीमा पर तैनात
बांग्लादेश में मानवाधिकारों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, क्योंकि देश कार्यवाहक सरकार के अधीन 'अराजकता की भूमि' बन चुका है। रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई कि बांग्लादेश में अराजकता आने वाले महीनों में और बढ़ेगी, खासतौर पर आम चुनावों से पहले. इससे दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। यह बात राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप (आरआरएजी) ने जारी अपनी रिपोर्ट में कही। आरआरएजी के निदेशक सुहास चक्रवर्ती के मुताबिक, अगस्त 2024 से जुलाई 2025 के बीच कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कम से कम 637 लोगों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। इनमें 41 पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं। वहीं, 2023 में शेख हसीना की सरकार के दौरान ऐसी सिर्फ 51 घटनाएं हुईं। चक्रवर्ती ने चेताया है कि आने वाले महीनों में बांग्लादेश में अराजकता और बढ़ सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 1,567 मामलों में 5,16,327 लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए, जिनमें 79,491 नामजद और 4,36,836 अज्ञात व्यक्ति शामिल हैं। 878 पत्रकारों को निशाना बनाया गया और 51 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 39 लोगों को साइबर सुरक्षा कानून 2023 के तहत गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा, मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ 2,485 घटनाएं दर्ज की गईं।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया, "औपचारिक न्याय व्यवस्था को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के 21 न्यायाधीशों की बर्खास्तगी और एनएचआरसी के सभी सदस्यों को हटाया जाना शामिल है। मानवाधिकारों के प्रति सरकार की पूर्ण उदासीनता इस तथ्य से स्पष्ट होती है कि 7 नवंबर 2024 को एनएचआरसी के सदस्यों को हटाए जाने के बाद भी मुहम्मद यूनुस ने आयोग को दोबारा सक्रिय नहीं किया."
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि यूनुस सरकार के अधीन अवामी लीग, उससे संबद्ध संगठन, चटगांव हिल ट्रैक्ट्स (सीएचटी) के मूल निवासियों और हिंदू अल्पसंख्यकों को एकत्र होने और संगठनों के गठन की स्वतंत्रता नहीं है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि अक्टूबर 2024 में चटगांव में हिंदू समुदाय की ओर से आयोजित शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अगुवाई करने पर हिंदू पुजारी चिन्मय दास पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया और बाद में हत्या के आरोप भी लगाए गए. वह 25 नवंबर, 2024 से जेल में हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया, "कार्यवाहक सरकार के तहत किए गए सुधारों का उद्देश्य सत्ता से चिपके रहना और आदिवासी समुदायों और धार्मिक अल्पसंख्यकों को व्यवस्था से बाहर करना बन गया है. संवैधानिक सुधार आयोग ने मूल निवासियों या धार्मिक अल्पसंख्यकों के किसी भी सदस्य को शामिल नहीं किया. संवैधानिक सुधार आयोग की सिफारिशों के परिणामस्वरूप 'धर्मनिरपेक्षता' को हटाने की सिफारिश की गई, जिससे देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता का समान संरक्षण समाप्त हो गया। वही बिगड़ती स्थिति को देखते हुए बीएसएफ ने 2,500 जवानों को बॉडी-वॉर्न कैमरों से लैस कर सीमा पर तैनात किया है। कैमरे से लैस ये जवान सीमा पर चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखेंगे।
खास बात ये है कि इन कैमरों की मदद से सीमा पर होने वाली हर गतिविधि जैसे गिरफ्तारी, अवैध घुसपैठ की कोशिश या टकराव की वीडियो रिकॉर्डिंग की जा सकेगी. इससे ना केवल पारदर्शिता सुनिश्चित होगी, बल्कि किसी भी संभावित विवाद या आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति में स्पष्ट डिजिटल साक्ष्य भी मौजूद रहेंगे. ये कैमरे नाइट विजन से युक्त हैं और सीमा पर होने वाली हर गतिविधि की रिकॉर्डिंग करेंगे.
घुसपैठ पर लगेगी लगाम
इन कैमरों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, जवानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और अवैध गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखना है. BSF के अनुसार, इससे न केवल सीमा पार से होने वाली घुसपैठ पर लगाम लगेगी, बल्कि किसी भी विवाद की स्थिति में स्पष्ट साक्ष्य भी मिल सकेंगे. BSF को करीब 5000 बॉडी-वॉर्न कैमरे मिलने हैं. जिनमें से 2500 बॉडी-वॉर्न कैमरे मिल चुके हैं.
भारत-बांग्लादेश की यह सीमा देश की सबसे लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में से एक है, जो पांच राज्यों से होकर गुजरती है:पश्चिम बंगाल लगभग 2,217 किलोमीटर, त्रिपुरा लगभग 856 किमी, मेघालय लगभग 443 किमी,मिजोरम लगभग 318 किमी, असम लगभग 263 किमी है। इनमें सबसे अधिक सीमा पश्चिम बंगाल के हिस्से में आती है, जो सीमा पार तस्करी और अवैध घुसपैठ का बड़ा केंद्र माना जाता है.
क्या है योजना का उद्देश्य?
BSF अधिकारियों के अनुसार, यह पहल घुसपैठ, तस्करी और सीमा पर होने वाली अवैध गतिविधियों को रोकने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है. इससे जवानों की जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी और मानवाधिकारों से जुड़ी किसी भी शिकायत का निवारण करने में सहायता मिलेगी.
कुल कितने कैमरे होंगे?
BSF को कुल 5,000 बॉडी-वॉर्न कैमरे मिलने हैं. इनमें से पहली खेप में 2,500 कैमरे फ्रंटलाइन पर तैनात जवानों को दिए जा चुके हैं. इन कैमरों की लाइव फीड को बाद में समीक्षा के लिए सुरक्षित भी रखा जा सकेगा.बॉर्डर पर हाईटेक निगरानी की यह शुरुआत भारत की सीमा सुरक्षा में तकनीकी बढ़त को दर्शाती है. आने वाले समय में यह कदम सुरक्षा, पारदर्शिता और निगरानी के नए मानदंड स्थापित करेगा। ( बांग्लादेश से अशोक झा की रिपोर्ट )
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