बांग्लादेश की राजधानी ढाका की एक अदालत ने सोमवार को बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को भ्रष्टाचार के आरोप में 5 साल कैद की सजा सुनाई। अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री की छोटी बहन शेख रेहाना को भी इसी मामले में 7 साल और रेहाना की बेटी, ब्रिटिश सांसद ट्यूलिप सिद्दीकी को 2 साल कैद की सजा सुनाई। अदालत ने कुल तीन लोगों को दोषी ठहराया है। शेख हसीना पूर्व प्रधानमंत्री शेख रेहाना - हसीना की बहन तुलिप रिजवाना सिद्दीक शेख रेहाना की बेटी और ब्रिटिश सांसद ये तीनों RAJUK (राजुक) द्वारा विकसित पुरबचल न्यू टाउन प्रोजेक्ट में प्लॉट आवंटन में कथित अनियमितताओं के लिए दोषी पाए गए। आरोप है कि हसीना और उनके परिवार ने अपने प्रभाव का उपयोग करके प्रोजेक्ट में प्लॉट अवैध तरीके से हासिल किए। मामला कई वर्षों से जांच में था। हाल ही में गवाही और दस्तावेजों की समीक्षा पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुनाया। 16 साल पहले हुए इस विद्रोह की जांच करने के लिए एक आयोग बनाया गया था।आयोग ने दावा किया है कि शेख हसीना ने खुद इस विद्रोह का आदेश दिया था।एजेंसी के अनुसार, पैनल ने भारत पर भी आरोप लगाया है कि उसने बांग्लादेश सेना को कमजोर करने में भूमिका निभाई।रविवार को जारी की गई इन रिपोर्टों ने शेख हसीना पर दबाव और बढ़ा दिया है, जो पहले से ही पिछले साल हुए प्रदर्शनों पर उनके सरकार की ओर से किए गए दमन से जुड़े “मानवता के खिलाफ अपराधों” के मामले में मौत की सजा का सामना कर रही हैं।
क्या था सैन्य विद्रोह?
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की ओर से पिछले साल हसीना को सत्ता से हटाए जाने के बाद बनाई गई इस आयोग को बांग्लादेश राइफल्स (BDR) विद्रोह की दोबारा जांच करने का काम सौंपा गया था. यह विद्रोह ढाका में भड़का और पूरे देश में फैल गया था।
साल 2009 में हुए इस दो दिन के विद्रोह में 74 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें शीर्ष सैन्य अधिकारी भी शामिल थे. यह घटना शेख हसीना के सत्ता में वापस आने के कुछ ही हफ्तों बाद हुई थी।
आयोग ने लगाए हसीना पर आरोप: आयोग के प्रमुख ए.एल.एम. फजलुर रहमान ने आरोप लगाया कि उस समय की अवामी लीग सरकार सीधे तौर पर इस विद्रोह में शामिल थी. उन्होंने पूर्व सांसद फजले नूर तापस को “मुख्य समन्वयक” बताया और दावा किया कि तापस ने शेख हसीना के निर्देश पर काम किया, जिन्होंने इन हत्याओं को अंजाम देने के लिए “हरी झंडी” दी थी। रहमान की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में एक अज्ञात विदेशी शक्ति की भागीदारी का भी आरोप लगाया गया. रिपोर्ट में कहा गया, “जांच में एक विदेशी ताकत की संलिप्तता के मजबूत सबूत मिले हैं।
भारत का भी लिया नाम: स्थानीय मीडिया के अनुसार, रहमान ने कहा, “इस साजिश का मकसद इस बल (BDR/सेना) को कमजोर करना और बांग्लादेश को अस्थिर करना था. उस समय भारत अस्थिरता पैदा करना चाहता था, जबकि तत्कालीन सरकार अपनी सत्ता बढ़ाना चाहती थी.”
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “BDR नरसंहार के बाद सरकार अपनी सत्ता लंबी करना चाहती थी और पड़ोसी देश (भारत) बांग्लादेश को अस्थिर करना चाहता था.” जब उनसे पूछा गया कि वो किस पड़ोसी देश का जिक्र कर रहे हैं, तो रहमान ने कहा कि वो भारत है, जहां हसीना और उनकी पार्टी के कई नेता शरण लिए हुए हैं.
रहमान ने दावा किया, “उस समय करीब 921 भारतीय देश में आए थे. उनमें से 67 का पता आज तक नहीं चल पाया.” उन्होंने इसे भारत की कथित संलिप्तता का सबूत बताया. भारत ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. जुलाईअगस्त 2024 के बड़े विरोध प्रदर्शनों के बाद से शेख हसीना ने भारत में शरण ली हुई है. इसी के बाद से बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में तनाव है.
रिपोर्ट पर क्या बोले यूनुस?
इसी बीच, यूनुस ने आयोग की रिपोर्ट का स्वागत किया. उन्होंने कहा, “आयोग की रिपोर्ट के जरिए आखिरकार सच सामने आ गया है.” हसीना की सरकार के दौरान हुई पिछली जांच ने विद्रोह के लिए सैनिकों में लंबे समय से चले आ रहे वेतन और व्यवहार से जुड़ी नाराजगी को जिम्मेदार ठहराया था. हालांकि, उनके राजनीतिक विरोधी लंबे समय से दावा करते रहे हैं कि हसीना ने सेना पर नियंत्रण मजबूत करने के लिए इस विद्रोह का इस्तेमाल किया था.
भारत से शेख हसीना को सौंपने की मांग
विद्रोह से जुड़े आरोपों के साथ-साथ, बांग्लादेश ने रविवार को यह उम्मीद भी दोहराई कि भारत जल्द से जल्द शेख हसीना को प्रत्यर्पित करे. ढाका में कूटनीतिक पत्रकारों से बात करते हुए विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने कहा कि यह मुद्दा भारत के साथ संबंधों को परिभाषित नहीं करना चाहिए, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हसीना की वापसी सरकार की प्राथमिकता है.
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि हमारे द्विपक्षीय संबंध सिर्फ एक मुद्दे पर अटक नहीं जाएंगे.” फिर भी उन्होंने जोड़ा कि चूंकि हसीना अब एक घोषित दोषी हैं, इसलिए बांग्लादेश “उम्मीद करता है कि भारत उन्हें जल्द देश वापस भेजे.”
शेख हसीना को 17 नवंबर को “मानवता के खिलाफ अपराधों” के मामले में मौत की सजा दी गई है. जुलाई विद्रोह के दौरान उनकी अवामी लीग सरकार 5 अगस्त 2024 को सत्ता से बाहर हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने भारत में शरण ली। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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