- कहा,रंगपुर डिविजन को कराया जाएगा आजाद, इसके बराबर चिकन नेक है और इस डिविजन का करीब-करीब 90 फीसदी बॉर्डर होगा भारत
बांग्लादेश से शेख हसीना की सरकार को हटाए जाने के बाद से वहां की सत्ता कट्टरपंथी ताकतों के हाथ में है। खुद मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस इन कट्टरपंथी ताकतों के हाथों खिलौना बन गए हैं। ऐसे में इस वक्त वहां भारत विरोधी भावनाएं काफी मुखर हैं। कट्टरपंथी हर बात पर भारत को धमकी दे रहे हैं। हालांकि भारत के सामने बांग्लादेश और वहां की कट्टरपंथी ताकतों की औकात बहुत मामूली है। भौगोलिक रूप से पूरी तरह से भारत की गोद में बैठा इस मुल्क के मौजूदा हुक्मरान इस बात को भूल गए हैं कि उनको भारत ने ही पैदा किया है। वे अब उलटे भारत को ही धमकी दे रहे हैं। वे पूर्वोत्तर इलाके को भारत से अलग करने बात करते हैं। वे भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकन नेक कहा जाता है, को काटने की धमकी देते हैं। लेकिन, उनको नहीं पता है कि भारत के शह मात्र से उनका एक बड़ा इलाका आजाद हो सकता है। वह इलाका है रंगपुर डिविजन. इसी डिविजन के बराबर चिकन नेक है और के इस डिविजन का करीब-करीब 90 फीसदी बॉर्डर भारत के पश्चिम बंगाल राज्य से जुड़ता है। अब सोशल मीडिया पर इसको लेकर खूब चर्चा चल रही है। तमाम लोग कह रहे हैं कि अब बहुत हो गया. भारत को राष्ट्र हित को महत्व देते हुए बांग्लादेश से इस डिविजन को आजाद कराने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए। इस डिविजन के आजाद होने भर से भारत का सिलिगुड़ी कॉरिडोर करीब 120 से 150 किमी चौड़ा हो जाएगा।इससे भारत की एक बहुत बड़ी समस्या दूर हो जाएगी।
क्या ऐसा करना संभव है?: देखिए, सैद्धांतिक तौर पर ऐसा करना किसी भी देश के लिए संभव नहीं है। भारत एक जिम्मेदार मुल्क है. वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करता है। लेकिन, कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि खुद को बचाने के लिए पड़ोसी मुल्क में परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप करना मजबूरी हो जाती है। ऐसी स्थिति में कोई भी मुल्क हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठा रह सकता है। क्योंकि अंततः हमारी गोद में बैठा मुल्क है और उसकी किसी भी हरकत से सीधे तौर पर भारत पर असर पड़ना तय है। रूस-यूक्रेन जंग है उदाहरण: इस बात को समझने के लिए हम मौजूदा रूस-यूक्रेन जंग को उदाहरण बना सकते हैं. ऐतिहासिक रूप से यूक्रेन सोवियत रूस का हिस्सा था. विभाजन के बाद वह अलग मुल्क बना. फिर वह तेजी से पश्चिम के प्रभाव में आने लगा. दूसरी और रूस को यह बात पसंद नहीं थी. फिर भी वह शांत रहा. लेकिन, यूक्रेन ने एक संप्रभु मुल्क होने के नाते रूस विरोधी ताकतों के साथ हाथ मिलाते रहा. वह रूस विरोधी सबसे बड़े सैन्य गठबंधन नाटो का हिस्सा बनने के लिए झटपटाने लगा. इस कारण रूस का धैर्य जवाब दे दिया. रूस किसी भी कीमत पर अपनी सीमा पर नाटो की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं कर सकता था. इसी कारण उसने यूक्रेन पर हमला किया. रूस के पास सैन्य ताकत है और वह ऐसा करने का दम रखता है. आज स्थिति यह हो गई है कि अमेरिका और तमाम पश्चिमी देश रूस को संघर्ष विराम कराने के लिए जो प्रस्ताव दे रहे हैं उसमें यूक्रेन को नाटो से अलग रखने और रूस द्वारा यूक्रेन के कब्जाए गए हिस्से को मान्यता देने की बात कह रहे हैं. यानी रूस की जो चिंता थी उसे अब पश्चिमी देश भी मानने लगे हैं। इस तरह यह बात तो स्पष्ट है कि अगर किसी देश की सुरक्षा को खतरा पैदा होता है तो वह मजबूरन इस तर्क को आधार बनाकर सैन्य कार्रवाई कर सकता है. के मौजूदा हुक्मरान ऐसी परिस्थिति बनाने में लगे हैं. वे भारत विरोधी ताकतों को लगातार शह दे रहे हैं. ऐसे में भारत सैन्य हस्तक्षेप कर सकता है. लेकिन, यह सैन्य हस्तक्षेप भी रूस-यूक्रेन जंग की तरह काफी व्यापक और बड़ा आर्थिक नुकसान वाला हो सकता है।वैसे तो 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के वक्त भारत के पास सुनहरा मौका था कि वह अपने सिलिगुड़ी कॉरिडोर को चौड़ा करने के लिए के इस डिविजन को भारत में मिला ले या फिर उसको एक आजाद मुल्क बनवा दे. उस वक्त भारत के लिए ऐसा करना बहुत आसान था क्योंकि भारत ने इस मुल्क की आजादी के लिए जंग लड़ी थी. पूरी दुनिया से टकराव मोल लिया था. खुद दुनिया का अंकल सैम अमेरिका भारत के खिलाफ था लेकिन दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शानदार नेतृत्व का परिचय दिया और बांग्लादेश का निर्माण करवाया।करीब 23 लाख हिंदू: रंगपुर डिविजन पूरी तरह पश्चिम बंगाल की गोद बैठा इलाका है. यह एक बड़ा डिविजन है और इसका क्षेत्रफल 16,185 वर्ग किमी है. यहां की कुल आबादी करीब 1.9 करोड़ है. यह एक बहुत ही गहन आबादी वाला इलाका है. यहां प्रति किमी 1200 लोग रहते हैं. इस इलाके में करीब 23 लाख हिंदू रहते हैं, जो कुल आबादी में करीब 13 फीसदी हैं. मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 86 फीसदी है. बांग्लादेश में डिविजन की बात करें तो प्रतिशत में यह रंगपुर डिविजन दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला इलाका है. इस देश के सिलहट डिविजन में सबसे अधिक 13.51 फीसदी हिंदू हैं. संख्या के आधार पर देखें तो राजधानी ढाका डिविजन में सबसे अधिक करीब 28 लाख हिंदू रहते हैं. हालांकि ढाका डिविजन की कुल आबादी 4.42 करोड़ है और प्रतिशत में हिंदुओं की हिस्सेदारी करीब 6.26 फीसदी है.
कैसे अलग हो सकता है रंगपुर: देखिए, सीधे तर सैन्य कार्रवाई कर इस डिविजन को बांग्लादेश से अलग करना बहुत मुश्किल कार्य है. इसके लिए वहां के लोगों को आगे आना पड़ेगा. सबसे पहले तो बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं को इस इलाके में बसना पड़ेगा. उनको यहां की डेमोग्राफी में बदलाव करना पड़ेगा। जब वह एकजुट और किसी खास इलाके में मजबूत होंगे तो आंतरिक रूप से भी उनके लिए खतरा कम हो जाएगा. फिर अगर उनको कोई बाहरी जरूरत पड़ेगी तो भारत के लिए परोक्ष तौर पर सहायता देना आसान होगा. इसके अलावा उनके खिलाफ अत्याचार या जुर्म होता है, या उनका उत्पीड़न किया जाता है या उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है तो वे इस आधार पर अपने लिए अलग भू-भाग की मांग कर सकते हैं. ऐसे में उनकी इस मांग को भारत समर्थन कर सकता है. इस तरह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचेगा और इस पर चर्चा होगी. फिर भारत जरूरत पड़ने पर सैन्य हस्तक्षेप कर रंगपुर को आजाद करवा सकता है. क्योंकि रंगपुर की भौगोलिक स्थिति उसे आजाद कराने के लिए पूरी तरह मुफीद है. ऐसे में पहला कदम तो बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं को ही उठाना पड़ेगा। इस संबंध में भारत ने कई बार ढाका को चेताया, तनावपूर्व हालात को संभालने के लिए अहम निर्देश भी दिए हैं। हालांकि, पड़ोसी देश में हालात बद से बदतर ही होते जा रहे। ऐसे में भारत ने डायरेक्ट एक्शन न लेकर ऐसा कदम उठाया जिससे बांग्लादेश की मौजूदा सरकार जरूर टेंशन में आ गई होगी।
बंगाल की खाड़ी में परमाणु संचालित पनडुब्बी से 3500किलोमीटर रेंज का ke- 4बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण : दरअसल, भारत ने मंगलवार को बंगाल की खाड़ी में परमाणु संचालित पनडुब्बी आईएनएस अरिघात से 3500 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया।K-4 बैलिस्टिक मिसाइल क्यों है खास बांग्लादेश की नाक के नीचे जिस तरह से भारत ने बंगाल की खाड़ी में इस मिसाइल की टेस्टिंग की है वो बेहद अहम है। K-4 बैलिस्टिक मिसाइल भारत की परमाणु हथियार क्षमता को मजबूती देने में अहम रोल निभाएगा। रक्षा मंत्रालय ने इस परीक्षण पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, हालांकि, सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि सॉलिड-फ्यूल वाली ये K-4 मिसाइल है, जो दो टन का परमाणु पेलोड ले जा सकती है। यह परीक्षण भारत की समुद्री परमाणु क्षमता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
आईएनएस अरिघात से टेस्टिंग
ये मिसाइल परीक्षण विशाखापत्तनम के तट से किया गया था। आईएनएस अरिघात 6000 टन की पनडुब्बी है, जिसे तीनों सेनाओं के रणनीतिक फोर्स कमांड से संचालित किया जाता है। सूत्र ने बताया कि इस मिसाइल परीक्षण से इसके सभी टेक्निकल पैरामीटर और मिशन का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा। बीते कुछ कुछ साल के दौरान पनडुब्बी जैसे प्लेटफॉर्म से कई परीक्षणों के बाद, दो-फेज वाली K-4 मिसाइल का पहला परीक्षण आईएनएस अरिघात से नवंबर 2023 में हुआ था।
आईएनएस अरिघात मॉडर्न परमाणु पनडुब्बी
आईएनएस अरिघात, भारत की दूसरी बेहद मॉडर्न परमाणु-संचालित पनडुब्बी है जो परमाणु-युक्त बैलिस्टिक मिसाइलों को ले जा सकती है। इसे 29 अगस्त 2023 को नौसेना में शामिल किया गया था। इससे पहले, आईएनएस अरिहंत, जो 2018 में पूरी तरह से एक्टिव हुई थी, केवल 750 किलोमीटर की रेंज वाली के-15 मिसाइलों को ले जा सकती है। K-4 बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती के बाद, 5000 से 6000 किलोमीटर की रेंज वाली K-5 और K-6 मिसाइलें भी आएंगी।
लगातार सैन्य ताकत बढ़ा रहा भारत
भारत अपनी तीसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिदमन को 2026 की पहली तिमाही में और चौथी पनडुब्बी को 2027-28 में शामिल करेगा। यह सब दशकों पहले शुरू हुए सीक्रेट 90000 करोड़ रुपये के एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल कार्यक्रम के तहत हो रहा है। ये दोनों नई पनडुब्बियां पहली दो 6000 टन की पनडुब्बियों से थोड़ी बड़ी होंगी, जिनका वजन 7,000 टन होगा। भविष्य में 13,500 टन की परमाणु पनडुब्बियां बनाने की भी योजना है। इन पनडुब्बियों में मौजूदा 83 मेगावाट के रिएक्टरों के बजाय 190 मेगावाट के अधिक शक्तिशाली प्रेशराइज्ड लाइट-वाटर रिएक्टर लगे होंगे।
दुश्मन देशों को करारा जवाब
भारत ने जिस तरह से K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया, वो दूसरे परमाणु संपन्न देशों के लिए अहम संदेश है। भारत का ये एक्शन अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के बीच की खाई को कुछ हद तक पाटने में मदद करेगी, जिनके पास इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। दरअसल, पनडुब्बियों से मिसाइल दागना मुश्किल होता है और दुश्मनों को इसका पता लगाना लगभग नामुमकिन होता है। ऐसे अगर कभी जंग जैसे हालात बने तो ये पनडुब्बियां चुपके से अटैक करके दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
बांग्लादेश के लिए क्यों है कड़ा संदेश
फिलहाल भारत ने जिस तरह से बंगाल की खाड़ी में K-4 मिसाइल टेस्ट किया, इसके बाद लगातार प्रदर्शनों से बुरी तरह अस्थिर बांग्लादेश ही नहीं पाकिस्तान की मौजूदा सरकार भी जरूर हिल गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वो अपनी सैन्य शक्ति को पॉवरफुल बनाने में कोई कोताही नहीं बरतना चाहती। यही नहीं इन परीक्षणों के जरिए भारत उन देशों को भी कूटनीतिक जवाब दे रहा जो कहीं न कहीं साजिश की कोशिश भी कर रहे। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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