- बांग्लादेश में आम चुनावों से पहले ISI इस बार कहीं ज्यादा सोची-समझी और खतरनाक रच रह साजिश
- आईएसआई का मंसूबा बांग्लादेश में हिंसा को भड़काकर कट्टरपंथियों को सत्ता में बिठाने का
- ISI सीधे तौर पर अशांति में शामिल होने के बजाय इस्लामिक नेटवर्क को एक्टिव करने में सक्रिय
- भारत से सटे 8 ठिकानों पर पाकिस्तानी आतंकी सक्रिय,भारतीय एजेंसियों को है इसकी जानकारी
पाकिस्तानी सेना की कुख्यात खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) बांग्लादेश में अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम देने में लग गई है। बांग्लादेश में आम चुनावों से पहले ISI इस बार कहीं ज्यादा सोची-समझी और खतरनाक भूमिका निभा रही है। यह पैटर्न जुलाई 2024 में देखे गए दौर से कहीं ज्यादा खतरनाक है। आईएसआई का मंसूबा बांग्लादेश में हिंसा को भड़काकर कट्टरपंथियों को सत्ता में बिठाने का है। छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत ने ISI को मुंहमांगी मुराद दे दी है। गुरुवार को हादी की मौत के बाद देर रात हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, जिससे माहौल भड़क गया है।हादी की मौत के बाद जल रहा बांग्लादेश: उस्मान हादी बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन इंकलाब मंच के प्रवक्ता थे। वे पिछले साल उस जुलाई विद्रोह में उभरे थे, जिसने शेख हसीना की सत्ता का तख्तापलट कर दिया था। पिछले शुक्रवार 12 दिसम्बर को ढाका में चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें गोली मार दी गई थी। नकाबपोश हमलावरों ने उन्हें सिर में गोली मारी थी। बांग्लादेश में शुरुआती इलाज के बाद उन्हें सोमवार को एयर एंबुलेंस से सिंगापुर ले जाया गया था, जहां लाइफ सपोर्ट पर उनकी मौत हो गई। हादी की मौत की खबर मिलते ही गुरुवार रात में ही ढाका में हिंसा भड़क गई। प्रथोम आलो और द डेली स्टार जैसे प्रमुख अखबारों के दफ्तरों को आग लगा दी गई। शेख मुजीबुर रहमान के धनमंडी 32 स्थित घर को भी एक बार फिर निशाना बनाया गया। देखते ही देखते ही हिंसा देश के दूसरे हिस्सों में फैलने लगी। राजशाही, चटगांव और मैमनसिंह से भी हिंसा की खबरें आने लगीं। राजशाही में अवामी लीग के दफ्तर को आग लगा दी गई।बांग्लादेश में आईएसआई का प्लान: बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच आईएसआई भी एक्टिव हो गई है। एजेंसी ने अपनी पुरानी सहयोगी जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र और मदरसे से जुड़े संगठनों को निर्देश दिया है कि वे आंदोलन को लीड न करें, बल्कि पीछे रहते हुए इसे हवा दें। इसके पीछे मकसद यह है कि स्थानीय लोग ज्यादा दिखें जिससे आंदोलन स्वाभाविक लगे। वहीं, बाहरी नेटवर्क को इसको मजबूती देता रहे।
भारत है ISI का निशाना: ISI सीधे तौर पर अशांति में शामिल होने के बजाय इस्लामिक नेटवर्क को एक्टिव करने में दिलचस्पी दिखा रही है। पाकिस्तान इसमें फंडिंग भी कर रहा है। कुछ बांग्लादेशी मीडिया आवाजों को पाकिस्तान समर्थित चैनलों के जरिए फंड दिया गया है। अशांति को प्रभावित करने वाले कई सोशल मीडिया हैंडल पाकिस्तान से ऑपरेट कर रहे हैं। इन प्लेटफॉर्म पर बार-बार भारत के बारे में दु्ष्रचार फैलाने वाली सामग्री फैलाई जा रही है। आईएसआई के बांग्लादेश का रणनीतिक महत्व है, जहां अशांति से उसे भारत के पूर्वी हिस्से पर दबाव बनाने का मौका मिलता है।इसी के बाद अब जलते हुए बांग्लादेश में पाकिस्तान के 8 आतंकी संगठन एक्टिव हो गए हैं। इन 8 में से एक ने तो भारत बॉर्डर के पास कैंप लगाया।शरीफ उस्मान हादी को शुक्रवार, 12 दिसंबर को गोली मारी गई थी। उनको गोली उस समय मारी गई थी जब वो ई-रिक्शा में थे. यह हमला राजधानी के पुराना पल्टन इलाके में बॉक्स कलवर्ट रोड पर हुआ, जहां हादी चुनाव प्रचार के दौरान एक रिक्शा में सवार थे। तभी उनके सिर पर गोली मारी गई थी. इसी के बाद उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया। 18 दिसंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया।
8 लोकेशन पर PAK आतंकी संगठन एक्टिव
जहां बांग्लादेश इस वक्त सुलग रहा है. वहीं, सामने आई जानकारी के मुताबिक, देश में 8 लोकेशन पर पाकिस्तानी आतंकी संगठन एक्टिव हो गए हैं. चटगांव-लालखान लोकेशन पर पाकिस्तान का आतंकी संगठन अंसार अल-इस्लाम और लश्कर-ए-तैयबा एक्टिव है. जानकारी के मुताबिक, हारुन इजहार और पूर्व मेजर जिया (बर्खास्त अधिकारी) इस आतंकी संगठन को कोआर्डिनेट कर रहे हैं।
अंसार अल-इस्लाम आतंकवादी संगठन अल-कायदा और ओसामा बिन लादेन से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ पाया गया है. इस संगठन पर आतंकवादी गतिविधियों की योजना बनाने, वित्तपोषण, हथियारों की आपूर्ति और आतंकी हमलों को अंजाम देने का आरोप है. अंसार अल-इस्लाम मुख्य रूप से उत्तरी और उत्तर-पूर्वी इराक में एक्टिव रहा है. फिलहाल मिली जानकारी के मुताबिक, यह संगठन अब बांग्लादेश में एक्टिव है।
लश्कर-ए-तैयबा (LeT) अल-कायदा, ओसामा बिन लादेन और तालिबान से जुड़ा रहा है. लश्कर-ए-तैयबा 1993 से कई बड़े आतंकी हमलों में शामिल रहा है, जिनमें 2001 का भारतीय संसद हमला, 2006 के मुंबई ट्रेन धमाके और 2008 का मुंबई हमला (164 मौतें) शामिल हैं।
लोकेशन नंबर 2 : बासिला में भी आतंकवादी संगठन एक्टिव है. लेकिन , कौन-सा संगठन एक्टिव है इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। लोकेशन नंबर-3: जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश के तामिर-उल-मिल्लत मदरसा लोकेशन पर भी आतंकवादी संगठन एक्टिव है. इस लोकेशन पर इस्लामी छात्र संघ (Islami Chhatra Shibir) और ISI एक्टिव है. इस्लामी छात्र संघ बांग्लादेश की जमात-ए-इस्लामी (JeI) का छात्र संगठन है, जिसकी जड़ें पूर्वी पाकिस्तान के पूर्ववर्ती संगठन इस्लामी छात्र संघ (ICS) में हैं, जिसने बांग्लादेश की आजादी का विरोध किया और एक एकीकृत पाकिस्तान की वकालत की थी।लोकेशन नंबर-4: मोहम्मदपुर मदरसा लोकेशन पर भी आतंकी संगठन एक्टिव है।लोकेशन नंबर-5: चटगांव पहाड़ी क्षेत्र में भी आतंकी संगठन एक्टिव है. चिटगांव हिल ट्रैक्ट्स का इलाका भारत (त्रिपुरा, मिजोरम) और म्यांमार दोनों के करीब पड़ता है. जमातुल अंसार फिल हिंदल नाम का संगठन इस इलाके में सक्रिय है. शामिन महफूज इसकी मदद कर रहा है जिसको 5 अगस्त 2024 के बाद ही रिहा किया गया है.
एआरएसए (ARSA) से भी संपर्क है।शामिन महफूज, जो बांग्लादेश के अल-कायदा समर्थित प्रमुख जिहादी संगठन जमाअतुल अंसार फिल हिंदल शर्किया (JAFHS) का संस्थापक था,उसको जून 2023 में गिरफ्तार किया गया. हालांकि JAFHS के कई नेताओं और आतंकियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, लेकिन बांग्लादेश की हालिया राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह संगठन अब भी एक गंभीर खतरा बना हुआ है। लोकेशन नंबर-6 रिवरबैंक के एरिया में भी आतंकी संगठन एक्टिव है. इस लोकेशन पर जमात-उल-मुजाहिदीन के सक्रिय होने की जानकारी सामने आई है।लोकेशन नंबर-7बोगुरा और चापाइनवाबगंज इलाके में Neo-JMB (नियो-जमात मुजाहिदीन बांग्लादेश) (यह ISIS से प्रेरित है) एक्टिव है. बांग्लादेश के इतिहास में यह सबसे हिंसक चरमपंथी गुट के रूप में पहचाना गया है. चापाइनवाबगंज जिला भारत के पश्चिम बंगाल (मालदा जिले) से सीधे सटा हुआ है. इसलिए इसे भारत बॉर्डर के पास की सबसे स्पष्ट और संवेदनशील लोकेशन माना जाता है। लोकेशन नंबर-8: ढाका में आवासीय हॉल की लोकेशन पर भी आतंकी संगठन एक्टिव है. यहां पर हिज्ब उत-तहरीर (HuT) आतंकी संगठन एक्टिव है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने कहा कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद पड़ोसी देश में कई चिंताजनक और विध्वंसक घटनाएं सामने आई हैं।
मौजूदा हालात पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम साहा ने बताया कि त्रिपुरा सरकार सीमा पार उत्पन्न हालात से जुड़े सभी घटनाक्रमों की विस्तृत रिपोर्ट नियमित रूप से केंद्र सरकार को भेज रही है. सीएम ने एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान कहा, "बांग्लादेश की जेलों से कुख्यात आतंकियों, अपराधियों और विभिन्न मामलों में शामिल लोगों को रिहा किया गया है।"
उन्होंने कहा कि भारत और उसकी सशस्त्र सेनाएं हर स्थिति से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रम से पूरी तरह अवगत है और स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है.
सीएम साहा ने कहा, "हमारी ड्रोन निगरानी प्रणालियों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. एस-400 मोबाइल लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एसएएम) प्रणाली पहले ही अपनी क्षमताएं साबित कर चुकी है." उन्होंने जोड़ा कि सीमा पर सुरक्षा इंतजाम मजबूत हैं और सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जून-जुलाई 2024 में बांग्लादेश में हिंसा भड़कने के बाद, विशेषकर 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के पतन के बाद, अर्धसैनिक बलों ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है और सीमा प्रभुत्व को और सख्त किया गया है.
गौरतलब है कि त्रिपुरा की बांग्लादेश के साथ 856 किलोमीटर लंबी सीमा है और राज्य तीन ओर से पड़ोसी देश से घिरा होने के कारण सीमा पार घटनाक्रमों के प्रति अत्यंत संवेदनशील बना हुआ है। इस बीच, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कट्टरपंथी संगठन 'इंकलाब मंच' के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की 18 दिसंबर को गोली लगने से मौत के बाद बांग्लादेश के विभिन्न शहरों में हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं. हादी सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाजरत थे।।इससे पहले 17 दिसंबर को विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के भारत स्थित उच्चायुक्त रियाज़ हमीदुल्लाह को तलब कर बांग्लादेश में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर नई दिल्ली की गंभीर चिंताओं से अवगत कराया था. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के तहत बांग्लादेश में हिंसा में तेज वृद्धि और कानून-व्यवस्था की स्थिति के और खराब होने की खबरें सामने आ रही हैं। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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