- 31 दिसंबर को छत्तीसगढ़ रायपुर में विशाल हिंदू सम्मेलन को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करेंगे
- सिलीगुड़ी में कहा, स्वस्थ और समृद्ध समाज के निर्माण के लिए सज्जन शक्तियों का परस्पर पूरक होना जरूरी
- कहा,संघ को किसी निश्चित पद्धति या पारंपरिक संगठनात्मक ढांचे में बांधकर नहीं समझा जा सकता
- कहा, परिवार का अस्तित्व और सुरक्षा है समाज पर निर्भर
- कहा,आचरण के माध्यम से ही देशहित में योगदान दिया जा सके, तो वही शताब्दी उत्सव की वास्तविक सार्थकता
बंगाल की राजधानी काेलकोता के साइंस सिटी परिसर में 21 दिसंबर काे आयोजित संघ के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन राव भागवत शामिल होंगे। इस विशेष आयोजन में वह दो महत्वपूर्ण संबोधन देंगे। इन संबोधनों का केंद्र संघ की 100 वर्षों की सामाजिक यात्रा, व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की नीति और एकजुट हिंदू समाज के माध्यम से वैभवशाली भारत के लक्ष्य पर रहेगा। बताया गयाकी डॉ माेहन राव भागवत के कार्यक्रम की सारी तैयारियां पूरी हो गई हैं। अपने इस दौरे के दौरान वह कोलकाता के प्रबुद्ध वर्ग के साथ मुलाकात भी करेंगे और उनके साथ परिचर्चा में भी शामिल होंगे। मोहन भागवत का यह कोलकाता प्रवास संघ के शताब्दी वर्ष के व्यापक कार्यक्रमों की श्रृंखला का अहम हिस्सा है। इसके पूर्व वह 18 और 19 दिसंबर को सिलीगुड़ी में उत्तरबंग प्रांत की ओर से आयोजित शताब्दी कार्यक्रमों में शामिल हुए। जहां युवा सम्मेलन और संघ की 100 वर्षों की यात्रा विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया है। सिलीगुड़ी के कार्यक्रमों में उत्तर बंगाल के आठ जिलों और पड़ोसी राज्य सिक्किम की सहभागिता है, जिसमें संघ की सेवा, अनुशासन और प्रतिबद्धता पर विस्तार से चर्चा किया।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने आज सिलीगुड़ी में आयोजित प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए समाज निर्माण, नागरिक दायित्व तथा संघ की शताब्दी के अवसर पर संचालित विभिन्न कार्यक्रमों पर अपने विचार रखे। उत्तर बंग प्रांत की पहल पर आयोजित इस सम्मेलन में समाज के विभिन्न वर्गों के अनेक विशिष्ट नागरिक उपस्थित थे। प्रबुद्ध नागरिकों की भूमिका: डॉ. भागवत ने कहा कि एक स्वस्थ और समृद्ध समाज के निर्माण के लिए सज्जन शक्तियों का परस्पर पूरक बनकर एक दिशा में कार्य करना अत्यंत आवश्यक है। समाज के साथ जीवंत संबंध बनाए रखने में सक्षम व्यक्तियों के माध्यम से ही चरित्र निर्माण का कार्य संभव हो पाता है।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक परिवार को अपनी कुल-परंपराओं, समयानुकूल रीति-रिवाजों तथा देशहित में सहायक आचरणों का नियमित अभ्यास करना चाहिए। परिवार का अस्तित्व और सुरक्षा समाज पर निर्भर है—इस बोध के साथ समाज की समृद्धि के लिए समय और सामर्थ्य के अनुसार योगदान देने की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया।
संघ को लेकर भ्रमों का निराकरण: संघ के संबंध में प्रचलित कुछ धारणाओं का उल्लेख करते हुए सरसंघचालक ने कहा कि संघ को किसी निश्चित पद्धति या पारंपरिक संगठनात्मक ढांचे में बांधकर नहीं समझा जा सकता, क्योंकि संघ जैसा संगठन और कोई नहीं है।उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ की स्थापना न तो किसी का विरोध करने के लिए हुई थी और न ही अपने लिए कुछ प्राप्त करने के उद्देश्य से। समाज के सभी वर्गों में निः स्वार्थ सेवा की भावना का विकास करना तथा प्रसिद्धि से दूर रहकर आत्मसंतोष के साथ समाजसेवा में लगे लोगों के बीच समन्वय स्थापित करना ही संघ का लक्ष्य है। पंच परिवर्तन का महत्व और शताब्दी कार्यक्रम का संदेश: डॉ. भागवत ने कहा कि विश्व के प्रत्येक समृद्ध देश में आर्थिक उन्नति से पहले सामाजिक जागरण और एकात्मता का इतिहास रहा है। इसी अनुभव के आधार पर संघ व्यक्ति और समाज में आचरणगत परिवर्तन पर विशेष जोर देता है।संघ के संस्थापक डॉक्टरजी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि दारिद्र्य और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद डॉक्टरजी ने बचपन से ही अध्ययन में एकाग्रता और देशसेवा के कार्यों में उत्साहपूर्ण सहभागिता दिखाई तथा देशसेवा के सभी कार्यों को सशक्त बनाने वाली एक प्रभावी कार्यपद्धति का विकास किया।संघ की शताब्दी पूर्ण होने के अवसर पर ‘पंच परिवर्तन’ इन पाँच आचरणगत परिवर्तनों का संदेश लेकर स्वयंसेवक घर-घर जाएंगे, यह जानकारी देते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि यदि केवल आचरण के माध्यम से ही देशहित में योगदान दिया जा सके, तो वही शताब्दी उत्सव की वास्तविक सार्थकता होगी। मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत 31 दिसंबर को रायपुर आएंगे। वे अभनपुर स्थित सोनपैरी गांव में आयोजित विशाल हिंदू सम्मेलन को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करेंगे।
यह सम्मेलन दोपहर 2 बजे से प्रारंभ होगा। आरएसएस अपने शताब्दी वर्ष में प्रदेशभर में दो हजार स्थानों पर हिंदू सम्मेलन कर रहा है। इसका प्रारंभ 11 दिसंबर से किया गया है। ये सम्मेलन मकर संक्राति तक चलेंगे।
आरएसएस हिंदू समाज को संगठित करने के लिए ही देश भर में हिंदू सम्मेलन आयोजित कर रहा है। छत्तीसगढ़ में आरएसएस के 1601 मंडल हैं। ये मंडल प्रदेश के 19 हजार से ज्यादा गांवों को मिलाकर बनाए गए हैं। एक मंडल में आठ से दस गांवों को रखा गया है। अब हर मंडल में हिंदू सम्मेलन किए जा रहे हैं। इसी के साथ शहरी क्षेत्रों में 666 बस्तियां हैं। इनमें भी हिंदू सम्मेलन हो रहे हैं। प्रांत संघचालक टोप लाल वर्मा ने बताया, हिंदू सम्मेलन करने का मकसद समाज को संगठित करना है। सम्मेलनों में मंडलों से जुड़े गांवों के लोगों को एक मंच पर ला रहे हैं। सम्मेलन में साधु, संतों के साथ विभिन्न समाज से जुड़े लोग भी शामिल हो रहे हैं।
राष्ट्रीय संत भी आएंगे
सोनपैरी गांव में होने वाले सम्मेलन में राष्ट्रीय संत असंग देव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में सनातन संस्कृति, सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय चेतना से जुड़े विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। सम्मेलन में प्रदेश भर से बड़ी संख्या में संत, समाजसेवी और आमजन भी शामिल होंगे। कार्यक्रम की तैयारियां अंतिम चरण में हैं और आयोजन स्थल पर सुरक्षा, यातायात और बैठने की समुचित व्यवस्थाएं की जा रही हैं। सम्मेलन के सुचारु संचालन के लिए हिन्दू सम्मेलन समिति की टीम तैनात रहेगी। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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