बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को राजनीतिक बदले से की गई कार्रवाई बताया है. उन्होंने इसे 'फर्जी अदालत' का फैसला बताया. हसीना ने कहा कि यह मुकदमा उनकी अनुपस्थिति में चला और उन्हें अपने बचाव का कोई मौका नहीं दिया गया। बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी माना। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को 'पूरी तरह पक्षपातपूर्ण, राजनीतिक रूप से प्रेरित और अवैध' करार दिया है. सजा के ऐलान के बाद किसी न्यूज चैनल को नई दिल्ली से दिए अपने पहले इंटरव्यू में 78 वर्षीय शेख हसीना ने कहा कि यह फैसला एक 'फर्जी और तथाकथित अदालत' का है जिसे कोई जनादेश प्राप्त नहीं है। शेख हसीना 5 अगस्त 2024 से ही भारत में शरण लिए हुए हैं। उन पर पिछले साल के हिंसक छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाते हुए इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने उन्हें दोषी ठहराया है. हसीना ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'मैं खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज करती हूं. यह मुकदमा मेरी अनुपस्थिति में चला और मुझे न तो अपना बचाव करने का मौका दिया गया, न ही अपनी पसंद के वकील रखने की इजाजत दी गई। उन्होंने कहा, 'आईसीटी में इंटरनेशनल जैसा कुछ भी नहीं है. यह ट्रिब्यूनल केवल अवामी लीग के सदस्यों को ही निशाना बना रहा है, जबकि विपक्षी दलों द्वारा की गई हिंसा को पूरी तरह नजरअंदाज कर रहा है.' हसीना ने कहा, 'दुनिया का कोई भी सम्मानित और पेशेवर कानूनविद् बांग्लादेश के इस ICT को मान्यता नहीं देगा. इसका मकसद बांग्लादेश की आखिरी चुनी हुई प्रधानमंत्री को सत्ता से हटाना और अवामी लीग को राजनीतिक रूप से खत्म करना है।' ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
बांग्लादेश में मौत की सजा पर शेख हसीना का पहला बयान, ICT को बताया 'फर्जी अदालत'
नवंबर 17, 2025
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