देश के कामगारों के लिए एक बड़ा बदलाव सामने आया है। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि अब देश में पुराने जटिल श्रम कानूनों की जगह चार नए और आधुनिक लेबर कोड लागू होंगे। सरकार का कहना है कि इन नए नियमों से कर्मचारियों की सुरक्षा, अधिकार और सामाजिक लाभ पहले से कहीं ज्यादा मजबूत होंगे।आइए जानते हैं किस संहिता में क्या बदलाव हुआ है और इसका कर्मचारियों को कैसे फायदा मिलेगा।
मजदूरी संहिता 2019
⦁ यह संहिता संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के सभी कर्मचारियों के लिए न्यूनतम मजदूरी का एक वैधानिक अधिकार स्थापित करती है। पहले, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम केवल अनुसूचित रोजगारों पर लागू होता था, जिसमें लगभग 30% श्रमिक ही शामिल थे।
⦁ न्यूनतम जीवन स्तर के आधार पर सरकार द्वारा एक वैधानिक फ्लोर वेज निर्धारित किया जाएगा। कोई भी राज्य इस स्तर से कम न्यूनतम मजदूरी तय नहीं कर सकता है।
⦁ कंपनी समान कार्य के लिए भर्ती, मजदूरी और रोजगार की शर्तों में लिंग (इसमें ट्रांसजेंडर पहचान शामिल है) के आधार पर भेदभाव नहीं करेंगे।
⦁ समय पर भुगतान सुनिश्चित करने और अनाधिकृत कटौतियों को रोकने वाले प्रावधान सभी कर्मचारियों पर लागू होंगे।
⦁ नियोक्ता को नियमित कामकाजी घंटों से अधिक किए गए किसी भी काम के लिए सभी कर्मचारियों को सामान्य दर से कम से कम दोगुना ओवरटाइम मजदूरी का भुगतान करना होगा।
औद्योगिक संबंध संहिता, 2020
इस संहिता के तहत निश्चित अवधि के रोजगार में एक वर्ष के बाद ग्रेच्युटी की पात्रता होगी। अब तक 5 साल की अवधि पर ही ग्रेच्युटी की पात्रता थी। वहीं, छंटनी किए गए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए अलग से एक फंड तैयार किया जाएगा। यह राशि छंटनी के 45 दिनों के भीतर श्रमिक के खाते में जमा कर दी जाएगी। वर्क फ्रॉम होम यानी घर से काम का प्रावधान भी है। यह पारस्परिक सहमति से सर्विस सेक्टर में अनुमति दी गई है।
सामाजिक सुरक्षा पर संहिता, 2020
कर्मचारी राज्य बीमा यानी ईएसआईसी अब अखिल भारतीय स्तर पर लागू होगा। 10 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान नियोक्ता और कर्मचारियों की आपसी सहमति से स्वेच्छा से इसमें शामिल हो सकते हैं। खतरनाक व्यवसायों के लिए कवरेज अनिवार्य होगा और इसे बागान श्रमिकों तक बढ़ाया जाएगा। वहीं, कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ जांच और वसूली कार्यवाही शुरू करने के लिए 5 साल की समय सीमा निर्धारित की गई है, जिसे दो साल के भीतर पूरा करना होगा। मामलों को स्वतः संज्ञान से फिर से खोलने को समाप्त कर दिया गया है, जिससे समय पर समाधान सुनिश्चित होता है। ईपीएफओ के आदेशों के विरुद्ध अपील करने वाले नियोक्ताओं को अब आकलन की गई राशि का केवल 25% जमा करना होगा।
असंगठित, गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए जीवन, विकलांगता, स्वास्थ्य और वृद्धावस्था लाभों को कवर करने वाली योजनाओं के वित्तपोषण के लिए एक फंड प्रस्तावित की गई है। कवरेज को मातृ दादा-दादी तक बढ़ाया गया है और महिला कर्मचारियों के मामले में इसमें आश्रित सास-ससुर भी शामिल हैं, जिससे पारिवारिक लाभों तक पहुंच व्यापक होती है। घर और कार्यस्थल के बीच यात्रा के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को अब रोजगार-संबंधित माना जाता है, जो मुआवजे के लिए योग्य बनाती हैं।
कामकाजी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं सेवा शर्तें संहिता 2020
सरकार इस संहिता के प्रावधानों को एक भी कर्मचारी वाले किसी भी प्रतिष्ठान तक बढ़ा सकती है, बशर्ते वह प्रतिष्ठान खतरनाक या जीवन-घातक व्यवसायों में लगा हो। प्रतिष्ठानों के लिए एक लाइसेंस, एक पंजीकरण और एक रिटर्न का ढांचा पेश किया गया है, जिससे अनावश्यकता और अनुपालन का बोझ कम होता है। वहीं,राज्य प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा में अब वे श्रमिक शामिल हैं जो सीधे, ठेकेदारों के माध्यम से नियोजित हैं, या अपने आप प्रवास करते हैं। कर्मचारियों के लिए मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच की सुविधा मिलेगी। महिलाएं सभी प्रकार के प्रतिष्ठानों में और रात के घंटों (सुबह 6 बजे से पहले, शाम 7 बजे के बाद) में सहमति और सुरक्षा उपायों के साथ काम कर सकती हैं। सामान्य कार्य के घंटे 8 घंटे/दिन और 48 घंटे/सप्ताह तक सीमित हैं। ओवरटाइम की अनुमति श्रमिक की सहमति से दी जाएगी और इसका भुगतान दोगुना किया जाएगा। ( दार्जलिंग चाय की बगान से अशोक झा की रिपोर्ट )
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