बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद अब बीजेपी की नजर पश्चिम बंगाल पर है, बंगाल में भी बड़ा परिवर्तन करने के लिए पार्टी दिन-रात मेहनत कर रही है। पार्टी के चाणक्य अमित शाह ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पर हुई बैठक में पार्टी के नेताओं को एक बड़ा संदेश दिया है और बंगाल को कैसे फतह किया जाए, इसका भी मूल मंत्र दिया है. जानिए उन्होंने क्या कुछ कहा है। पांडवों की तरह लड़ा चुनाव: बीजेपी अध्यक्ष नड्डा के आवास पर डिनर पार्टी तो महज एक बहाना था, इसका मकसद तो कुछ और ही था, वो मकसद बंगाल पर चुनावी रणनीति तैयार करना था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शाह ने बैठक में कहा कि बिहार के चुनाव में NDA की जीत पूरे भारत की जीत है। बिहार की जीत घुसपैठियों को देश से बाहर करने के हर भारतीय के संकल्प की जीत है. पीएम मोदी के नेतृत्व में ये जनता का अटूट प्रेम और विश्वास है. बिहार की जीत में NDA की 5 पार्टियों ने पांडवों की तरह चुनाव लड़ा और बिहार वालों ने पीएम मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी को दिल खोलकर समर्थन दिया।
'जहां कम वहां हम' का नारा: इसके अलावा उन्होंने कहा कि सभी नेताओं ने परिश्रम की पराकाष्ठा की, चुनाव में 1 प्रतिशत का योगदान भी बड़ा होता है लेकिन कोई नेता ये नहीं समझे कि ये जीत उसकी वजह से मिली है, क्योंकि इससे घमंड आता है। आपकी जिम्मेदारी चुनाव लड़ाने की नहीं बल्कि "जहां कम वहां हम" की भूमिका में थी। आगे बंगाल की लड़ाई है और इस लड़ाई के लिए हम सबको तैयार रहना है, सबको ये ध्यान देना चाहिए कि किस तरह से बंगाल में पार्टी को मजबूती मिलती है. आप सब हमेशा कार्यकर्ता मोड में रहिए कहीं भी ड्यूटी लगाई जा सकती है। गृहमंत्री शाह के ये शब्द केवल शब्द नहीं है बल्कि पार्टी के लिए मूल मंत्र है।
पश्चिम बंगाल की तैयारी में जुटी बीजेपी
'जहां कम वहां हम' मूल मंत्र के साथ बीजेपी अब बंगाल की तैयारियों में लग गई है. पश्चिम बंगाल में इस समय तृणमूल कांग्रेस की सरकार है और ममता बनर्जी सीएम हैं. साल 2011 से लेकर लगातार अभी तक ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की सीएम बनीं हुई हैं, पश्चिम बंगाल में TMC के खेमे में सेंध लगाने की बीजेपी लगातार कोशिश कर रही है लेकिन उम्मीद के मुताबिक पार्टी को सीटें नहीं मिल पाईं है, हालांकि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 12 सीटों पर जीत हासिल की थी, जिससे पार्टी का उत्साह बढ़ा हुआ है, ऐसे में बिहार चुनाव में मिली जीत ने पार्टी को और जोश से लबरेज कर दिया है.
क्या खास कर रही है बीजेपी?
बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में संगठन को और ज्यादा मजबूत करने के लिए पार्टी हाईकमान ने अन्य राज्यों के 6 नेताओं को पश्चिम बंगाल में बीजेपी की जमीन को और मजबूत करने में लगा दिया है, साल 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 77 सीटें मिली थी जबकि TMC ने 215 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं अगर हम 2016 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो उस चुनाव में बीजेपी को केवल 3 सीटें मिली थी. 3 से 77 सीटों पर पहुंचकर बीजेपी ने कांग्रेस को भी पश्चिम बंगाल में शून्य कर दिया था. ऐसे में इसबार पार्टी ने खास प्लान तैयार किया है. पश्चिम बंगाल के जो प्रवासी हैं वो जिस भी शहर में रह रहे हैं पार्टी के कार्यकर्ता उनसे मिलने जा रहे हैं और उनसे बीजेपी का समर्थन देने की अपील कर रहे हैं. बीजेपी इस चुनाव में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिहार जीत के बाद जो कहा था, बीजेपी उसे गंभीरता से ले रही है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बिहार जीत के बाद पश्चिम बंगाल की राह बीजेपी के लिए आसान हो गई है। बिहार में जंगलराज को आने से रोका है, पश्चिम बंगाल में जंगलराज खत्म करेंगे। बीजेपी, ममता बनर्जी के शासन को जंगलराज करार दे रही है। साल 2021 में बीजेपी ने दमखम लगाकर चुनाव लड़ा था, अब एक बार पूरी तैयारी के साथ पश्चिम बंगाल में बीजेपी उतर रही है।पश्चिम बंगाल: बिहार में नीतीश थे, पश्चिम बंगाल में BJP का खेवनहार कौन? सामने हैं चुनौतियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी:-बिहार की जीत ने बंगाल में भी हमारी राह आसान कर दी है। बंगाल के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि आपके साथ मिलकर हम जंगलराज खत्म करेंगे।
2021 में कैसा था चुनाव? 2021 के चुनाव में BJP ने दावा किया था कि पश्चिम बंगाल की सत्ता में आ रहे हैं। नतीजे आए तो बीजेपी को 77 सीटें मिली थीं। सत्ता से दूर रहना पड़ा। पश्चिम बंगाल में 294 विधानसभा सीटें हैं। साल 2016 में बीजेपी के पास सिर्फ 3 सीटें थीं, 5 साल की मेहनत में बीजेपी 77 सीटों पर आ गई। अब पूरे पश्चिमं बंगाल की लड़ाई दो पक्षीय हो गई है, बीजेपी बनाम टीएमसी। कांग्रेस भी तृणमूल कांग्रेस की विरोधी पार्टी है, वामदल भी। मुख्य मुकाबला बीजेपी और टीएमसी में है। बीजेपी पश्चिम बंगाल में घुसपैठ का मुद्दा उठा रही है। बीजेपी का कहना है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार, बंगाल के मुस्लिम घुसपैठियों को शरण दे रही है, जिनके वोट का चुनावी लाभ टीएमसी लेती है। टीएमसी का कहना है कि बीजेपी, अपनी विचारधारा बंगालियों पर थोप रही है। बीजेपी बाहरी है।बाहरी बनाम बंगाल अस्मिता का क्या तोड़ निकालेगी बीजेपी? साल 2021 में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने BJP को बाहरी पार्टी बता कर बुरी तरह हराया था। उनका नारा था, 'बांग्ला निजेर मेयेके चाय।' इस नारे का मतलब था कि बंगाल को अपनी बेटी चाहिए। इसी बाहरी टैग ने BJP को बहुत नुकसान पहुंचाया था। ब पार्टी ने ठान लिया है कि इस बार यह टैग हर हाल में हटाना है।बीजेपी के आदर्श पुरुष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी हैं। वह भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी पश्चिम बंगाल से हैं। बीजेपी की जड़ें ही बंगाल से हैं। इस बार बंगाल में सारे बड़े नेता बंगाली ही होंगे, बाहर से कोई बड़ा चेहरा नहीं थोपा जाएगा। चुनावों में बीजेपी के नेता अभी से जय मां काली, जय मां दुर्गा जैसे नारों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन नारों के पीछे की वजह बंगाली संस्कृति और अस्मिता से जुड़ा हुआ होना है। बंगाल बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य को भी अहम जिम्मेदारी दी गई है। वह पश्चिम बंगाल के 'अभिजात्य वर्ग' से आते हैं। पश्चिम बंगाल के 'भद्रलोक' वाली परिभाषा पर सटीक बैठते हैं। बंगाल की हाई क्लास सोसायटी के प्रतिनिधि चेहरों में उनकी गिनती होती है।किन मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी बीजेपी?: कानून-व्यवस्था की बदहाली: बीजेपी पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाती रही है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में छात्रा से गैंगरेप के बाद राज्यभर में प्रदर्शन हुए थे। अप्रैल 2025 में वक्फ संशोधन एक्ट के खिलाफ मुर्शिदाबाद में दंगे भड़के थे। हर त्योहार में सांप्रदायिक झड़पें होती हैं। इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 में बताया गया कि पश्चिम बंगाल न्याय और कानून व्यवस्था के मामले में सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल है, जिसका कारण स्टाफिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, और पारदर्शिता की कमी है।
भ्रष्टाचार और परिवारवाद: ममता बनर्जी, TMC में सर्वेसर्वा हैं। उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी पार्टी में दूसरे नंबर के नेता हैं। अभिषेक बनर्जी का नाम CBI की चार्जशीट में पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले में आया है। कोल स्कैम में भी उनका नाम है। पार्थ चटर्जी शिक्षक घोटाले में जेल पहुंचे। चिटफंड मामले में भी बड़े नेताओं का नाम सामने आया है।घुसपैठ: बीजेपी पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाती है। बीजेपी का कहना है कि ममता बनर्जी सरकार घुसपैठियों को संरक्षण देती है, वोटर लिस्ट में उनके नाम दर्ज कराती है। सरकार उन्हें पश्चिम बंगाल में बसने में मदद कर रही है। बीजेपी ने साल 2021 में भी इसे चुनावी मुद्दा बनाया था। बिहार चुनाव में भी। घुसपैठ को लेकर ममता बनर्जी हमेशा सरकार के निशाने पर रहीं हैं।महिला सुरक्षा: पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराध चिंताजनक स्थिति में हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2025 के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के खिलाफ राज्य में 34,691 मामले दर्ज हुए, जिसमें घरेलू हिंसा के 19,698 केस, अपहरण के 8,000, बलात्कार के 1,110 और एसिड अटैक के 57 केस सामने आए हैं। आरजीकर मेडिलकल कॉलेज और दुर्गापुर गैंगरेप जैसे मामलों की वजह से भी बीजेपी ने पश्चिम बंगाल को घेरा।तुष्टीकरण: बीजेपी ममता बनर्जी पर लोकतंत्र के दमन का आरोप लगाती है। बीजेपी का कहना है कि अगर बीजेपी नेता प्रदर्शन करते हैं तो उन्हें जेल में ठूंस दिया है। ममता बनर्जी सरकार अल्पसंख्यक तुष्टीकरण करती है, बहुसंख्यक हिंदुओं का ममता सरकार में दमन होता है, हर त्योहार पर ममता बनर्जी हिंदुओं के लिए पाबंदियां बढ़ा देती हैं।सरकारी नाकामियां: पश्चिम बंगाल में ममता सरकार पर बीजेपी लगातार सवाल उठाती रही है। अप्रैल 2025 तक पश्चिम बंगाल से 6600 से ज्यादा कंपनियां पलायन कर चुकीं हैं। पश्चिम बंगाल पर सरकारी कर्ज 6.93 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। पश्चिम बंगाल का SSC स्कैम की वजह से 24 हजार से ज्यादा लोगों की नौकरियां दांव पर लगी। कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर भी सवाल उठते हैं। किसी जमाने में पश्चिम बंगाल का योगदान देश की जीडीपी में 10 फीसदी तक था, अब 5.6 फीसदी पर आ चुका है।बाहरी नैरेटिव का क्या काट ढूंढ रही है बीजेपी? बीजेपी नेताओं का कहना है कि ममता बनर्जी खुद बंगाली अस्मिता की बात करती हैं, लेकिन राज्यसभा में महाराष्ट्र के साकेत गोखले को भेज देती हैं। लोकसभा में टीएमसी शुत्रुघ्न सिन्हा और यूसुफ पठान जैसे गैर-बंगालियों को उतारती है। बीजेपी इसे मुद्दा बनाकर जनता में जाएगी। बीजेपी का कहना है कि पश्चिम बंगाल का यह चुनाव, पश्चिम बंगाल के लोग ही लड़ेंगे। ऐसी भी चर्चा है कि बीजेपी पुराने नेताओं को टिकट देने में सावधानी बरतेगी। जो नेता चुनाव से ठीक पहले दूसरे दलों से आए थे, उनसे 2021 में नुकसान हुआ था। अब ज्यादातर टिकट स्थानीय, युवा, पढ़े-लिखे और पार्टी से लंबे समय से जुड़े कार्यकर्ताओं को दिया जाएगा। मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया जाएगा। चुनाव नरेंद्र मोदी के नाम पर और बंगाल के स्थानीय नेताओं के सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा। अभी क्या कर रही है बीजेपी?: ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल में हो रहे मतदाता सूची संशोधन (SIR) की प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठा रही है। ममता बनर्जी का कहना है कि बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव आयोग धांधली कर रहा है। बीजेपी इस दावे का विरोध कर रही है। बीजेपी कार्यकर्ता स्थानीय स्तर पर आम नागरिकों की मदद कर रहे हैं।छह राज्यों से 12 सीनियर लीडर तैनात
हर ज़ोन में एक ऑर्गनाइज़ेशन मिनिस्टर और एक सीनियर लीडर तैनात किया गया है। उदाहरण के लिए, अरुणाचल प्रदेश के ऑर्गनाइज़ेशन मिनिस्टर नारायण मिश्रा को नॉर्थ बंगाल की ज़िम्मेदारी दी गई है, जबकि पवन साई और धन सिंह रावत को राधाबंगा इलाके की ज़िम्मेदारी दी गई है।
इसी तरह, पवन राणा और संजय भाटिया को हावड़ा में, UP के मिनिस्टर जेपीएस राठौर को मेदिनीपुर में, और हिमाचल प्रदेश के एम. सिद्धार्थन और कर्नाटक के सीटी रवि को कोलकाता-साउथ 24 परगना में तैनात किया गया है। नॉर्थ बंगाल ज़ोन को राजस्थान के पूर्व यूनियन मिनिस्टर कैलाश चौधरी देखेंगे।
BJP के लिए नॉर्थ बंगाल अहम है
नॉर्थ बंगाल BJP के लिए खास अहमियत रखता है क्योंकि इस इलाके में राज्य की 294 असेंबली सीटों में से लगभग 54 सीटें आती हैं। इसकी सीमा नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से लगती है, जिससे इसका स्ट्रेटेजिक महत्व बढ़ जाता है। BJP ने बूथ लेवल पर अपने संगठन को मज़बूत करने पर खास ध्यान दिया है। इस ज़ोन में दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, कूच बिहार, अलीपुरद्वार, मालदा, नॉर्थ और साउथ दिनाजपुर जैसे ज़िले शामिल हैं। इन ज़िलों का राज्य के कुल वोट शेयर में 20 से 25 परसेंट हिस्सा है। 2021 के चुनावों में BJP ने यहां 40 परसेंट से ज़्यादा सीटें जीती थीं। पार्टी का लक्ष्य इस बार अपना वोट शेयर 38 परसेंट से बढ़ाकर 44 से 45 परसेंट करना है।
5 महीने का डिप्लॉयमेंट
BJP का पांच महीने का डिप्लॉयमेंट नवंबर 2025 से अप्रैल 2026 तक चलेगा। यह स्ट्रैटेजी बिहार मॉडल पर आधारित है, जिसमें "ग्राम चलो" जैसे ग्रामीण प्रोग्राम, हिंदू वोटों को एकजुट करना और वेलफेयर स्कीमों को बढ़ावा देना शामिल है। चुनावी रैलियां और पब्लिक मीटिंग दिसंबर में शुरू होंगी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह कैंपेन को लीड करेंगे। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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