बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अदालत सजा सुनाने वाली है। इससे हसीना समर्थकों के तेवर तीखे हो गए हैं। आवामी लीग के कार्यकर्ताओं ने राजधानी ढाका सहित पांच जिलों में हाइवे जाम कर दिया है। उनकी मांग है कि शेख हसीना के खिलाफ दायर फर्जी मामले वापस लिए जाएं। इसके साथ ही फरवरी में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो. प्रदर्शन के दौरान, आवामी लीग के कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प भी हो गई है।
यूनुस प्रशासन ने पुलिस के साथ-साथ पैरामिलिट्री फोर्सेज के 400 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं। ढाका में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास दो बम धमाके भी हुए।
फैसले से पहले हिंसा भड़की: हसीना समर्थकों ने 13 नवंबर को सजा की तारीख के ऐलान से पहले ही पूरे देश में प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इसके जवाब में बीएनपी बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ता भी सड़कों पर उतर आए। उन्होंने कई जगह जुलूस भी निकाले. बता दें, 17 नवंबर को बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल हसीना के खिलाफ फैसला सुनाएगी। ट्रिब्यूनल ने उन्हें मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में दोषी माना है। उन्हें 2024 में छात्र आंदोलन में हिंसा को बढ़ावा देने का दोषी माना गया है। BGB की 12 टुकड़ियां तैनात:
राजधानी ढाका में आगजनी हिंसा के बाद सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया गया है। कानून व्यवस्था बना रखने के लिए बीजीबी की 12 अतिरिक्त टुकड़ियां शहर में तैनात की गईं हैं। वे लगातार गश्त कर रहीं हैं।जहां एक तरफ यूनुस ने शेख हसीना की पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, दूसरी तरफ अब शेख हसीना के समर्थकों का गुस्सा फूटा है और उन्होंने यूनुस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
जहां एक तरफ शेख हसीना के समर्थक बांग्लादेश में अंतरिम सरकार की नाक में दम कर रहे हैं। वहीं, दिल्ली से शेख हसीना भी बड़ा खेल करने की तैयारी में हैं। शेख हसीना लगातार दिल्ली से बैठकर मोहम्मद यूनुस पर निशाना साध रही हैं। साथ ही उन्होंने देश में हुए तख्तापलट के लिए अमेरिका और पाकिस्तान पर बड़े आरोप लगाए हैं। शेख हसीना के समर्थकों के तेवर दिन-ब-दिन तीखे होते जा रहे हैं। दरअसल, देश में पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है साथ ही शेख हसीना पर कई मुकदमे दर्ज हैं। इसी के चलते समर्थक इन मुकदमों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।अब समर्थकों के साथ जमात-ए-इस्लामी भी यूनुस के खिलाफ उतर आई है। आवामी लीग देश में प्रदर्शन कर रही हैं। शुक्रवार को यह प्रदर्शन और उग्र हो गया। कार्यकर्ताओं ने राजधानी ढाका समेत 5 जिलों में हाईवे जाम किया। उनकी डिमांड है कि सरकार शेख हसीना के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस ले। साथ ही पार्टी की मांग है कि फरवरी के महीने में चुनाव की तारीखों का ऐलान किया जाए। समर्थकों की तरफ से किए जा रहे प्रदर्शनों को रोकने के लिए पुलिस भी पहुंची। इसी के चलते कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़पें हुईं।यहां पर अब लोकतंत्र के भविष्य पर भी खतरा मंडरा रहा है. इस देश में हिंदुओं के साथ 2014 से शुरू हुआ बेपनाह टॉर्चर जारी है, द हिंदू की पिछले साल एक रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में हिंसा में 650 से भी ज्यादा हिंदुओं की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. इन हत्याओं से शेख हसीना का दिल भी जल रहा है.
यूनुस ने कैसे करवाया हिंदू नरसंहार का पाप?
हाल ही में हसीना ने फर्स्टपोस्ट को दिए इंटरव्यू में हिंदुओं पर हिंसा को लेकर अंदरूनी सच्चाई बताई है. उन्होंने कहा है कि ये सब अचानक से नहीं हुआ बल्कि चरमपंथियों ने जानबूझकर हिंदुओं के खिलाफ अभियान चलाया है. शेख हसीना ने दावा किया है कि इन चरमपंथियों को ताकतवर बनाने के पीछे असल में यूनुस का ही हाथ है.
Yunus से पहले कैसा था Bangladesh?
उन्होंने कहा कि 'मेरी सरकार के दौरान हमने चरमपंथियों की परवाह किए बिना सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए कड़े प्रयास किए थे. बांग्लादेश की स्थापना धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर हुई थी जो विविधता का सम्मान करते थे। अब, धार्मिक अल्पसंख्यक डर में जी रहे हैं, उनके मंदिरों पर हमला किया जा रहा है, उनके व्यवसाय नष्ट किए जा रहे हैं, और उनके परिवारों को धमकी दी जा रही है'।अब कैसे जी रहे हैं अल्पसंख्यक? उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में अंतरिम सरकार की विफलता सिर्फ लापरवाही नहीं है बल्कि यूनुस प्रशासन हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भागीदार है। हसीना ने आगे कहा, 'जब आप सत्ता हासिल करने के लिए खुद को चरमपंथी ताकतों के साथ जोड़ते हैं, तो जब वे ताकतें असहिष्णुता और हिंसा के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाती हैं. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को तब चुप नहीं रहना चाहिए जब बांग्लादेश की हिंदू आबादी और अन्य अल्पसंख्यक इस उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं'.
बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ क्या-क्या हुआ?
हसीना के देश से हटने के बाद व्यापक हिंसा हुई, खासकर बांग्लादेश में रहने वाले हिंदू समुदाय के खिलाफ. उनके घरों को आग लगाने से लेकर एक हिंदू पार्षद की हत्या और एक हिंदू धार्मिक नेता को गिरफ्तार करने तक, यूनुस सरकार के तहत बांग्लादेश धार्मिक उत्पीड़न का एक गढ़ बन गया है.
इस साल की शुरुआत में, बांग्लादेश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक संगठन, बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद ने कहा कि 2025 के पहले छमाही में सांप्रदायिक हिंसा के 258 मामले सामने आए.
समूह ने कहा, 'सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को राजनीतिक घटनाओं के रूप में वर्णित करके उनके होने से इनकार किया है। परिणामस्वरूप, इन अपराधों को करने वाले अपराधी बेखौफ हो गए हैं, जिससे अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों की असुरक्षा बढ़ गई है'। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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