देश में फर्जी पासपोर्ट घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के एक कारोबारी की बार-बार की गई विदेशी यात्राओं पर शिकंजा कसना शुरू किया है। सूत्रों के अनुसार, यह व्यापारी पिछले कुछ वर्षों में लगभग 900 बार बैंकॉक की यात्राएं कर चुका है, जिससे उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध विदेशी लेनदेन के संदेह और गहरे हो गए हैं। ईडी ने बुधवार को उसकी संपत्तियों और कारोबारी प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की, जिसमें कई संदिग्ध दस्तावेज और डिजिटल डेटा बरामद हुए हैं.
जांच एजेंसी के अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि उक्त कारोबारी ने कथित रूप से फर्जी पासपोर्ट और गलत पहचान का उपयोग कर कई देशों की यात्राएं कीं। बैंकॉक के अलावा दुबई और सिंगापुर के भी कई दौरे दर्ज पाए गए हैं। ईडी को संदेह है कि यह नेटवर्क हवाला और विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि छापे के दौरान जब्त दस्तावेजों से "महत्वपूर्ण और संदिग्ध जानकारी" मिली है, जो मामले की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है.
सूत्रों के मुताबिक, कारोबारी ने जिन ट्रैवल एजेंसियों के माध्यम से टिकट बुक करवाए, उनमें से कुछ एजेंसियां पहले से ही फर्जी पासपोर्ट बनवाने और विदेशी वीज़ा प्राप्त करने के अवैध कारोबार में संदिग्ध मानी जा रही हैं. ईडी ने उन एजेंसियों से भी दस्तावेज और भुगतान विवरण मांगे हैं. प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि कारोबारी के पास एक से अधिक पासपोर्ट थे, जिनमें अलग-अलग जन्मतिथि और पते दर्ज थे. अधिकारियों ने इन दस्तावेजों को सील कर फोरेंसिक जांच के लिए भेजा है.
अधिकारियों ने बताया कि कारोबारी ने इन यात्राओं के लिए जो धन खर्च किया, उसकी स्रोत-संबंधी जानकारी स्पष्ट नहीं है. उसके बैंकों के खातों से हुई भारी रकम की निकासी और विदेशी मुद्रा विनिमय के लेनदेन की जांच शुरू की गई है. ईडी को यह भी जानकारी मिली है कि कारोबारी ने कई बार नकद रूप में बड़ी राशि एयरपोर्ट पर घोषित किए बिना ले जाई. यह उल्लंघन न केवल विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) का है, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गंभीर अपराध माना जा सकता है।
इस बीच, कारोबारी से जुड़े कुछ साझेदारों और कर्मचारियों से भी पूछताछ की गई है. इनमें से कुछ लोगों ने दावा किया है कि वे कारोबारी की विदेश यात्राओं के कारणों से अनजान थे।ईडी का कहना है कि कारोबारी ने "व्यापारिक दौरे" के नाम पर बैंकॉक की यात्राएं कीं, लेकिन वहाँ उसका कोई वैध व्यापारिक संपर्क नहीं पाया गया. एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इन यात्राओं के दौरान अवैध लेनदेन या किसी अन्य आपराधिक गतिविधि में उसकी संलिप्तता रही है.
जानकारी के अनुसार, छापेमारी के दौरान कारोबारी के निवास से कई विदेशी मुद्रा नोट, यात्रा दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और एक लैपटॉप जब्त किया गया है. लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन की डेटा इमेजिंग कर विशेषज्ञों की टीम जांच कर रही है. शुरुआती विश्लेषण में ईमेल और चैट रिकॉर्ड में कुछ विदेशी संपर्कों के साथ नियमित बातचीत के संकेत मिले हैं. इनमें से कई संपर्क दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बताए जा रहे हैं. ईडी को संदेह है कि यह नेटवर्क नकली पासपोर्ट के माध्यम से मानव तस्करी या अवैध निवेश से जुड़ा हो सकता है.
एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस जांच में केंद्र सरकार की अन्य एजेंसियों, जैसे कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) का सहयोग भी लिया जा रहा है. पासपोर्ट कार्यालयों के कुछ अधिकारियों की भूमिका पर भी संदेह जताया गया है, क्योंकि बिना किसी चूक के इतनी बड़ी संख्या में यात्राएं संभव नहीं हो सकती थीं. ईडी इस बात की तहकीकात कर रही है कि क्या किसी स्तर पर सरकारी तंत्र में भी मिलीभगत रही है.
कारोबारी के बैंक खातों और विदेशी ट्रांजेक्शन की जानकारी जुटाने के लिए ईडी ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और विदेश मंत्रालय से भी विवरण मांगे हैं. एजेंसी यह भी जानना चाहती है कि क्या उसके पास विदेशी निवेशक पहचान संख्या (Investor ID) थी या उसने किसी विदेशी कंपनी में निवेश किया था. इसके साथ ही, उसके परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के पासपोर्ट और यात्रा रिकॉर्ड की भी जांच चल रही है.
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि कारोबारी लंबे समय से इलाके में "अत्यधिक सक्रिय" था और उसने हाल के वर्षों में अचानक संपत्ति अर्जित की थी. उसके कई व्यवसायों में रियल एस्टेट और होटल इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनियाँ भी हैं, जिनके माध्यम से धन शोधन किए जाने की आशंका है. ईडी ने इन कंपनियों के वित्तीय विवरण और कर अभिलेखों को भी जब्त किया है.
जांच अधिकारियों का कहना है कि मामला केवल फर्जी पासपोर्ट तक सीमित नहीं, बल्कि इसमें आर्थिक अपराध, कर चोरी, और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय नेटवर्क से संभावित संबंधों की जांच भी शामिल है. उन्होंने बताया कि कारोबारी के बैंकॉक दौरों के दौरान कौन-कौन से व्यक्तियों से उसकी मुलाकात हुई, इस पर भी खुफिया जानकारी एकत्र की जा रही है. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से भी संपर्क किया गया है.
फिलहाल ईडी ने कारोबारी को नोटिस जारी कर आने वाले दिनों में पूछताछ के लिए बुलाया है. एजेंसी ने संकेत दिया है कि यदि सहयोग न मिला तो गिरफ्तारी भी की जा सकती है. अधिकारी ने कहा कि "यह जांच एक बड़े नेटवर्क का खुलासा कर सकती है, जिसमें फर्जी पहचान, मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी तस्करी के तार आपस में जुड़े हुए हैं."
स्थानीय स्तर पर यह मामला तब सुर्खियों में आया जब कुछ महीनों पहले उत्तर 24 परगना के एक पुलिस थाने में फर्जी पासपोर्ट गिरोह से जुड़े दो लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. उनकी पूछताछ में कारोबारी का नाम सामने आया. उसके बाद ईडी ने इस मामले को अपने हाथ में लिया. तब से अब तक एजेंसी ने राज्य के कई हिस्सों में छापेमारी कर 40 से अधिक दस्तावेज जब्त किए हैं.
जांच एजेंसी का मानना है कि इस घोटाले में कई अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं, जो विदेश में बैठकर भारतीय पासपोर्ट प्रणाली का दुरुपयोग कर रहे हैं. अधिकारी ने बताया कि इस नेटवर्क में बैंकॉक, मलेशिया और नेपाल के कुछ एजेंटों के नाम भी आए हैं. यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह गिरोह फर्जी पासपोर्ट बनवाकर विदेश यात्रा के बहाने धन शोधन और अन्य आपराधिक कार्यों में संलिप्त था.
एजेंसी का कहना है कि जांच अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन अब तक मिले सबूत यह संकेत देते हैं कि कारोबारी की यात्राएँ सिर्फ व्यक्तिगत या व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं थीं, बल्कि किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय आर्थिक अपराध नेटवर्क का हिस्सा हो सकती हैं. अधिकारियों ने यह भी कहा कि सभी डिजिटल और वित्तीय साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं और आवश्यकता पड़ने पर इंटरपोल की मदद भी ली जाएगी.
ईडी के अनुसार आने वाले हफ्तों में इस मामले से जुड़े कुछ और छापे और पूछताछ की कार्रवाइयाँ की जाएंगी. एजेंसी का उद्देश्य है कि फर्जी पासपोर्ट, हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराधों की जड़ तक पहुँचा जाए ताकि ऐसे नेटवर्क का सफाया किया जा सके जो देश की सुरक्षा और आर्थिक व्यवस्था के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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