- अंतिम यात्रा में भी बबाल, छोटे सरकार की पत्नी पर टिप्पणी से जुड़ रहा पूरा मामला
- लालू के करीबी थे दुलार यादव, हत्याकांड के बाद प्रशांत किशोर ने कहा वह नहीं था जनसुराज का सदस्य
बिहार की सियासत में भारी उबाल नजर आ रहा है। बिहार चुनाव से पहले मोकामा इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान दो समूहों के बीच झड़प के बाद जन सुराज पार्टी के एक कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई।मोकामा से जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्षी के समर्थन में प्रचार के दौरान दुलारचंद यादव की हत्या के मामले में अनंत सिंह को नामजद आरोपी बनाया गया है। गुरुवार को मोकामा के टाल इलाके में स्थित हुए इस हत्याकांड के बाद क्षेत्र से मोकामा में विधानसभा का चुनाव खूनी रंजिश में बदल गया। टाल क्षेत्र में तनाव का माहौल है, पुलिस गांवों में कैंप कर रही है।
गुरुवार देर रात मृतक दुलारचंद यादव के पोते के बयान पर पुलिस ने अनंत सिंह, उनके दो भतीजों रणवीर और कर्मवीर समेत 5 लोगों पर हत्या की नामजद प्राथमिकी दर्ज की। मृतक के परिजनों का आरोप है कि अनंत सिंह के लोगों ने पहले गोली मारी और फिर गाड़ी चढ़ाकर दुलारचंद की हत्या कर दी। हालांकि, अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पटना के एसएसपी कार्तिकेय के शर्मा ने बताया कि मोकामा के तारतर गांव के पास दो पक्षों के बीच मारपीट हुई। पुलिस मौके पर पहुंची तो वहां 2 से 3 गाड़ियां खड़ी मिलीं। गाड़ियों के शीशे टूटा हुआ था। इसमें से एक गाड़ी में दुलारचंद यादव का शव पाया गया। दुलारचंद इस क्षेत्र के पूर्व में अपराधी रहे हैं। उन पर हत्या और आर्म्स एक्ट के कई मामले दर्ज हैं।।हालांकि, जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह ने हत्या के आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि जब वह चुनाव प्रचार कर लौट रहे थे तो आगे निकल गए। पीछे रह गई उनके काफिले की गाड़ियों को जन सुराज पार्टी समर्थकों ने घेर लिया और ईंट पत्थर से हमला कर दिया था। अनंत सिंह ने इसे राजद नेता सूरजभान सिंह की साजिश बताया है। वहीं, सूरजभान ने अनंत सिंह के आरोप पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। अनंत सिंह ने यह भी कहा कि झगड़े की पहल दुलारचंद यादव ने की थी।
मोकामा में कैसे हुआ बवाल?: दुलारचंद यादव का बाढ़ और मोकामा के टाल इलाके में काफी दबदबा था। खुशहाल चक के निकट प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी गुरुवार दोपहर बाद करीब 3:30 बजे अपने समर्थकों के साथ प्रचार कर रहे थे। दुलारचंद यादव भी उनके साथ थे। उसी रास्ते से अनंत सिंह अपने समर्थकों के साथ गुजर रहे थे। बताया जाता है कि दोनों पार्टियों के समर्थकों के बीच गाली गलौज शुरू हो गई। बात बढ़ने पर ईंट-पत्थर चलाना शुरू कर दिया। बाद में गोली भी चली और दुलारचंद यादव की मौत हो गई। दुलारचंद यादव की शव यात्रा के दौरान मोकामा में हिंसा भड़क उठी है, जहां भीड़ ने शव वाहन पर ईंट-पत्थर जमकर बरसाए और गोलीबारी शुरू कर दी।इस घटना के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई है।इस घटना के बाद मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है. इस घटना के बाद इलाके में तनाव फैल गया है। दुलारचंद की शव यात्रा में गोलीबारी: बता दें कि बिहार के मोकामा में गुरुवार को चुनावी रंजिश के चलते जन स्वराज पार्टी के नेता दुलारचंद यादव की दिनदहाड़े गोली मारकर और गाड़ी से कुचलकर हत्या कर दी गई थी। पोस्टमार्टम के बाद शुक्रवार को शव यात्रा श्मशान घाट जा रही थी। इसी बीच हिंसा भड़क उठी और पत्थरबाजी के बाद गोलीबारी शुरू हो गयी।
मोकामा में तनाव के बीच न्याय की मांग: दुलारचंद यादव की हत्या के बाद पूरा इलाका गुस्से में है। दुलारचंद यादव की हत्या के बाद रातभर शव घर पर ही रखा रहा, और शुक्रवार की सुबह करीब 11 बजे हजारों लोगों की भीड़ के बीच दुलारचंद की अंतिम यात्रा निकाली गई। इस दौरान पूरे इलाके की दुकानें बंद रहीं और लोगों ने न्याय की मांग में नारे लगा रहे थे। पुलिस छावनी में तब्दील हुआ मोकामा: मृतक के परिजनों और ग्रामीणों का आरोप है कि यह घटना जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह के समर्थकों द्वारा की गई साजिश है। हत्या के बाद क्षेत्र में तनाव इतना बढ़ गया कि पुलिस को कई गांवों में कैंप करना पड़ा. दुलारचंद यादव की हत्या के बाद से ही पुलिस इलाके में में कैंप कर रही है। पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया है और केंद्रीय पुलिस बल तैनात किए गए हैं।दुलारचंद यादव समर्थक उनकी डेड बॉडी को लेकर बाढ़ में आक्रोश दिखा रहे हैं। वहीं पुलिस ने दुलारचंद यादव के पोते रविरंजन और अन्य समर्थकों के बयान को आधार बनाकर पांच लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया है, जिसमें जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह का भी नाम है। इस हत्याकांड में कानूनी प्रक्रिया जो भी है उसे पुलिस और प्रशासन अपने हिसाब से डील कर रही है, लेकिन खासकर सोशल मीडिया पर लोग यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर ये दुलारचंद यादव और अनंत सिंह का क्या किस्सा है।
दुलारचंद यादव और अनंत सिंह की अदावत का किस्सा समझने के लिए हमें थोड़ा फ्लैशबैक में चलना होगा। यह बात 1990 के दशक से पहले की है। मोकामा से सटा बड़हिया है। जी हां आप बिल्कुल ठीक समझ रहे हैं वहीं बड़हिया जहां का स्पंजी रसगुल्ला काफी फेमस है। रसगुल्ले की बात किसी और दिन करेंगे, आज बात मोकामा की हो रही है तो उसी पर टिकते हैं। बड़हिया के एक भूमिहार परिवार से निकले श्याम सुंदर सिंह धीरज कांग्रेस के बड़े नेता हुआ करते थे। श्याम सुंदर सिंह धीरज को घरवालों ने पढ़ने के लिए पटना यूनिवर्सिटी भेजा। यहां आकर वह NSUI से जुड़े और छात्र राजनीति में कूद गए कुछ समय के अंदर ही श्याम सुंदर सिंह धीरज ने संजय गांधी तक अपनी पहुंच बना ली और बिहार के चर्चित और पावरफुल नेता बन गए। उस दौर में श्याम सुंदर सिंह धीरज बिहार यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे। यानी धीरज के पास वो ताकत थी, जिसकी जरूरत हर बड़े नेता को होती। जिस किसी बड़े कांग्रेसी नेता को रैलियों में भीड़ जुटाने की जरूरत होती या पटना में धरना -प्रददर्शन करने की, उस दौर में उन्हें श्याम सुंदर सिंह धीरज का ही मुंह ताकना पड़ता। यही वजह थी कि बिहार में उस वक्त् की राजनीति में श्याम सुंदर सिंह धीरज का एक अपना कद था। संजय गांधी से ग्रीन सिग्नल मिलने पर श्याम सुंदर सिंह धीरज ने महज 25 साल की उम्र में अपनी राजनीतिक पारी के लिए भूमिहार बाहुल्य सीट मोकामा को चुना और जीत भी दर्ज की। 1980 और 1985 के विधानसभा चुनाव में श्याम सुंदर सिंह धीरज कांग्रेस के इतने चर्चित नेता थे कि खुद संजय गांधी उनके लिए प्रचार करने मोकामा आए थे।
श्याम सुंदर सिंह धीरज पर आरोप लगते हैं कि उन्होंने चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए मोकामा के अलग-अलग पॉकेट में कुछ उत्साही युवकों को इलाके में पावर दिखाने की खुली छूट दे रखी थी। इसी कड़ी में भूमिहार बाहुल्य गांव लदमा से अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह निकले। जो श्याम सुंदर सिंह धीरज के लिए चुनाव में राइफल के दम पर बूथ तक लूटने के आरोप झेले। वहीं दूसरी तरफ टाल क्षेत्र के यादव बाहुल्य तारतर गांव में श्याम सुंदर सिंह धीरज ने दुलारचंद यादव को बढ़ाया। मोकामा टाल की भौगोलिक स्थित को देखें तो तारतर गांव के आस-पास ज्यादातर कुर्मी और धानुक बाहुल्य गांव हैं। दुलारचंद यादव पर आरोप लगते हैं कि उन्होंने राइफल का दम दिखाकर इस इलाके में धानुक और कुर्मी बिरादरी के कई किसानों की जमीनें अपने नाम लिखवा ली इलाके के लोग बताते हैं कि दुलारचंद यादव ने कुछ ही सालों में मोकामा टाल में सैकड़ो बिगहा जमीन बना ली थी। आरोप लगते हैं कि दुलारचंद यादव ने उस इलाके में कुर्मी बिरादरी के बड़े जमींदार रहे बाबू सीताराम की सैंकड़ों एकड़ जमीन कबजाई। कहते हैं उस दौर मे कुर्मीचक, खुशहालचक, रामपुर, चंदा-चक्रहीं, अकबरपुर, बसामनचक, प्रल्हादपुर, बकमा, अस्ताबाद, बदलूचक, सादिकपुर, लक्ष्मीपुर जैसे गांवों के किसान मोकामा टाल से अपनी फसल सुरक्षित खलियान तक लाने के बदले दुलारचंद यादव को रंगदारी देते थे। ठीक ठाक दौलत बनाने के बाद 2000 आते-आते दुलारचंद यादव ने तारतर के अपने पुश्तैनी मकान को छोड़कर बाढ़ शहर में अपना बेस बना लिया। अनंत सिंह और दुलारचंद यादव के बीच अदावत की कहानी: कांग्रेसी और उस दौर में बिहार सरकार में मंत्री श्याम सुंदर सिंह धीरज ने एक बार पटना में दिलीप सिंह को कहा कि वह दिन के उजाले में उनसे मिलने ना आए। इसके बाद दिलीप सिंह खुद ही मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे और श्याम सुंदर सिंह धीरज को परास्त कर अपनी अलग राजनीतिक राह बना ली. कहा जाता है कि यहीं से दुलारचंद यादव और दिलीप सिंह के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई। दुलारचंद यादव के मन में एक कसक रह गई कि वह विधायक नहीं बन पाए. उन्होंने भी निर्दलीय मोकामा से भाग्य आजमाया, लेकिन सफलता नहीं मिली. उन्हें लगता रहा कि श्याम सुंदर सिंह धीरज ने अपनी भूमिहार जाति से आने वाले दिलीप सिंह को अंदरुनी बढ़ावा दिया और लालू प्रसाद यादव से करीबी बढ़ाने में मदद भी की, लेकिन यादव बिरादरी से होने के चलते दुलारचंद यादव को किसी ने सपोर्ट नहीं किया. दुलारचंद यादव ने अपने गांव तारतर में लालू यादव की कई रैलियां आयोजित की, लेकिन मोकामा और बाढ़ विधानसभा सीट में यादवों की आबादी निर्णायक नहीं होने के चलते कभी भी टिकट नहीं पा पाए। दिलीप सिंह की असामायिक मौत के बाद अनंत सिंह ने 2005 में जेडीयू के टिकट पर अपनी राजनीतिक पारी शुरू की। अनंत सिंह ने भी अपना बेस बाढ़ को ही बनाया। एक दौर था जब बाढ़ शहर में अनंत सिंह और दुलारचंद यादव दोनों अपने अपने इलाके बांट रखे थे और कारोबारियो से रंगदारी, ठेला-टमटम (तांगा) वालों से हर फेरे पर रंगदारी, प्रोटेक्शन टैक्स जैसी वसूली का धंधा चलाते रहे. इस दौरान अनंत सिंह और दुलारचंद यादव के बीच यही जंग रहती कि बाढ़ का असली बाहुबली का कौन?
सत्ताधारी जेडीयू के टिकट पर लगातार विधायक बनते रहने के चलते अनंत सिंह का रुतबा बढ़ता चला गया। वहीं बिहार में आरजेडी के सत्ता से बाहर होने के चलते दुलारचंद यादव लाइमलाइट से गायब होते चले गए। दुलारचंद यादव ने विधानसभा और पार्षदी के कई चुनावों में अपनी राजनीतिक हैसियत दिखाने की कोशिश की, लेकिन हर बार नाकामी ही हाथ लगी। इसी कसक में दुलारचंद यादव चुनाव दर चुनाव अनंत सिंह के खिलाफ काम करते रहे। इसके जरिए दुलारचंद यादव और अनंत सिंह के बीच मोकामा टाल में भूमिहार बनाम यादव के बीच एक छुपी जंग भी चलती रही. पिछले कुछ समय से दुलारचंद यादव अनंत सिंह की पत्नी और पूर्व विधायक नीलम देवी को लेकर कई आपत्तिजनक कॉमेंट भी कर रहे थे। इस बात को लेकर भी अनंत सिंह और उनका परिवार नाराज बताया जा रहा था। कुर्मी-धानुक बाहुल्य गांवों में दुलारचंद का उतरना बना उनकी मौत की वजह? बताया जा रहा है कि गुरुवार को दुलारचंद यादव जहां धानुक जाति से आने वाले जनसुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के लिए वोट मांगने निकले थे। वहीं अनंत सिंह का भी काफिला इसी इलाके में था. यहां बता दें कि अनंत सिंह के बारे में कहा जाता है कि उन्हें मोकामा शहर या उसके आसपास के भूमिहारों पर उतनी पकड़ नहीं। जेडीयू में होने के चलते अनंत सिंह को मोकामा टाल क्षेत्र के कुर्मी, धानुक सहित अन्य ओबीसी जातियों का वोट मिलता रहा है। 2025 के चुनाव में आरजेडी के टिकट पर दूसरे बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी के मैदान में उतर गए हैं. धानुक बिरादरी से पीयूष प्रियदर्शी भी जनसुराज के टिकट पर मैदान में हैं। अनुमान है कि सूरजभान सिंह के मैदान में उतरने के चलते भूमिहार वोटों के बंटवारा हो सकता है. ऐसे में अनंत सिंह भी कुर्मी और धानुक बाहुल्य गांवों पर ज्यादा फोकस करते दिख रहे हैं। दुलारचंद यादव पीयूष प्रियदर्शी के लिए प्रचार करने निकले हुए थे। गुरुवार की तकरार में भी यह वजह मानी जा रही है।कौन थे दुलारचंद यादव?
मोकामा के रहने वाले दुलारचंद पहलवानी के साथ-साथ गाना गाने के भी शौकीन थे
अनंत सिंह के समर्थक रहे दुलारचंद 2025 चुनाव में जन सुराज का कर रहे थे समर्थन
काफी समय से सोशल मीडिया पर अनंत सिंह के खिलाफ बोल रहे थे दुलारचंद यादव
दुलारचंद यादव ने जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी का प्रचार गाना रिकॉर्ड कराया था
80 और 90 के दशक में दुलारचंद का नाम इलाके के दबंग लोगों में गिना जाता था
90 के दशक में राजद सुप्रीमो लालू यादव के संपर्क में आए मोकामा से चुनाव लड़े
चुनाव हारने के बाद दुलारचंद यादव कई दलों और नेताओं के साथ सक्रिय रहे
मोकामा के घोसवारी थाने क्षेत्र के तारतर गांव के रहने वाले थे दुलारचंद यादव
पटना जिले के घोसवारी और बाढ़ थानों में दुलारचंद पर कई मामले पहले से दर्ज हैं
दुलारचंद यादव का मोकामा में राजनीतिक प्रभाव के पीछे आपराधिक इतिहास भी रहा
'टाल के बादशाह' माने जाते थे दुलारचंद
दुलारचंद यादव चुनावी प्रचार में JDU उम्मीदवार और चर्चित बाहुबली अनंत सिंह के मुखर आलोचक हो गए थे। वो सार्वजनिक रूप से उन पर तीखी बयानबाजी और टिप्पणियां कर रहे थे। बेखौफ स्टाइल और लोकल इनफ्लुएंस की वजह से दुलारचंद को 'टाल का बादशाह' भी कहा जाता था। उन्होंने जन सुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के लिए एक गाना भी रिकॉर्ड करवाया था। माना जा रहा है कि मोकामा की चुनावी जंग अब व्यक्तिगत रंजिश और हिंसक टकराव की तरफ मुड़ गई है।
दुलारचंद यादव की हत्या कैसे हुई?
दुलारचंद यादव का राजनीतिक प्रभाव एक विवादित इतिहास से भी जुड़ा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2019 में दुलारचंद को पटना ग्रामीण इलाके में 'कुख्यात गैंगस्टर' बताकर गिरफ्तार किया गया था। घोसवारी के टाल इलाके में दुलारचंद यादव जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के चुनाव प्रचार काफिले के साथ चल रहे थे। पीयूष प्रियदर्शी ने इस हत्याकांड के लिए सीधे तौर पर अनंत सिंह के समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने दावा किया है कि हमलावरों ने दुलारचंद यादव को पहले लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटा और उसके बाद उन्हें गोली मार दी। ये दावा मोकामा की राजनीति में बाहुबलियों के बीच चल रहे टकराव को और अधिक गंभीर हिंसक मोड़ दे रहा है। ( बिहार से अशोक झा की रिपोर्ट )
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