देशभर में प्रतिमा विसर्जन के जुलूस में समय-सीमा और डेसीबल-सीमा का उल्लंघन करते हुए,तमाम पूजा समितियों द्वारा मनमाने साउण्ड के चलते सड़क किनारे रहने वाले लाखों लोगों की जिंदगी पर बहुत ही खराब असर पड़ा। उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले के भेलूपुर थाना अंतर्गत कश्मीरीगंज में कल शनिवार रात, एक के बाद एक, प्रतिमा विसर्जन जुलूस में बजाये जा रहे डी.जे. के कारण एक वृद्ध महिला की जान पर बन आयी। 81 साल की श्रीमती उर्मिला अग्रवाल के परिवार ने शोर के खिलाफ अभियान चलाने वाली संस्था, 'सत्या फाउण्डेशन' के हेल्पलाइन नंबर 9212735622 पर कॉल करके सूचना दी और बताया कि शिकायत करने पर भी पुलिस द्वारा 'धार्मिक मामला' कह कर पल्ला झाड़ने और कार्यवाही नहीं होने से हृदय रोग से पीड़ित माँ की जान खतरे में है।
इसके बाद आनन फानन में 'सत्या फाउण्डेशन' के सचिव चेतन उपाध्याय मौके पर पहुँचे तो देखा कि वृद्ध महिला के घर के मोड़ पर ही एक पूजा समिति के लोग वाहन पर डी.जे. रख कर डांस कर रहे थे। हालांकि खुद चेतन उपाध्याय की माँ इस दुनिया में नहीं हैं मगर ईश्वर का नाम लेकर चेतन उपाध्याय, बिना किसी कैमरा के ही भीड़ में पहुँचे और हाथ जोड़ते हुए कुछ सक्रिय युवाओं के कानों में बस जोर से कहते गए कि 'मेरी माँ की जान खतरे में है' और फिर डी.जे. का साउण्ड थोड़ा कम हुआ तो सभी को सम्बोधित करते हुए, बहुत ही भावुक होकर, हाथ जोड़ते हुए सैकड़ों की भीड़ से बोले कि आपके डी.जे. के कारण, सामने वाले घर में 'मेरी माँ की जान को खतरा है।' इतना सुनते ही भीड़ में सन्नाटा छा गया और बिना किसी विरोध के डी.जे. का शोर समाप्त हो गया। इसके बाद चेतन उपाध्याय वहाँ से लौटने लगे तो घटनाक्रम के चश्मदीद, इलाके के कुछ युवाओं ने चेतन उपाध्याय को घेर लिया और इस नेक कार्य के लिए बधाई देते हुए कहा कि ऐसा तो अपने जीवन में कभी नहीं देखा कि डी.जे. बजाने वाली भीड़ में कोई इस तरह से बिना किसी ताम-झाम और लाव-लश्कर के घुस कर डी.जे. बंद कराने की अपील कर दे और भीड़ द्वारा बिना किसी विरोध के डी.जे. बंद हो जाए।
वृद्ध महिला के पुत्र और आसपास के लोगों की वीडियो बाईट, फेसबुक पेज Chetan Upadhyaya पर उपलब्ध है।
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सभी के लिए आवश्यक जानकारी :
पूजा-इबादत, शादी-विवाह, उत्सव-जलसे या उद्योग-व्यापार के नाम पर शोर मचाना धर्मशास्त्र, चिकित्सा शास्त्र और कानून के ख़िलाफ है.
क्या कहता है कानून?
रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच: साउंड प्रूफ ऑडिटोरियम/हॉल के अलावा किसी भी खुली जगह में ध्वनि प्रदूषण जैसे- लाउडस्पीकर, डी.जे., आतिशबाजी, बैंड-बाजा, पावरलूम, स्कूटर-कार-बस आदि का हार्न और यहाँ तक कि बिना लाउडस्पीकर वाला कंठ/वाद्य संगीत भी पूरी तरह से प्रतिबंधित है. इस दौरान मशीन/बाजा पूरी तरह स्विच ऑफ होना चाहिए.
प्रातः 6 बजे से रात 10 बजे के बीच: ध्वनि के स्रोत से 1 मीटर की दूरी पर अधिकतम 70 से 75 डेसीबल से अधिक का शोर गैरकानूनी है. कृपया गूगल प्ले स्टोर से साउंड लेवल मीटर को डाउनलोड करें.
रात की समय सीमा या दिन की डेसीबल सीमा का उल्लंघन करने वाले दोषी को आई.पी.सी. की धारा 290 व 291 के अलावा पर्यावरण संरक्षण एक्ट-1986 के तहत ₹1,00,000 (1 लाख) तक जुर्माना या 5 साल तक की जेल या एक साथ दोनों सजा हो सकती है. शिकायत दर्ज कराने के लिए डायल 112 अथवा निकटतम थानाध्यक्ष से संपर्क करें.
घर बैठे मुकदमा दर्ज करने के लिए कृपया गूगल प्ले स्टोर से UPCOP को डाउनलोड करें.
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(चेतन उपाध्याय)
संस्थापक सचिव
सत्या फाउण्डेशन
9212735622
X: @chetanupadhyaya
YouTube : Satya Foundation Varanasi
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