दुर्लभ आयोजन में जुटे दिग्गज रचनाकार, गंभीर मंथन के साथ अब नई यात्रा शुरू
सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।
देहात का पहला लिट्रेचर फेस्टिवल कहे जाने वाले सदानीरा महोत्सव का छठवां सीजन पूरा हुआ। विगत 23-24 अक्टूबर को बिहार के गोपालगंज जिले के सुदूर देहात में करवतही बाजार नामक स्थान पर यह आयोजन पूरा हुआ। उस संसाधन हीन क्षेत्र में ऐसा भव्य आयोजन दुर्लभ ही है जहाँ सैकड़ों लेखक, पत्रकार, कलाकार और कवि सम्मिलित हुए। साहित्यिक परिचर्चा, समसामयिक विमर्श, कवि सम्मेलन, बांसुरी वादन, नृत्य और सङ्गीत के सत्रों से सजा यह आयोजन अपने आप में एक मिशाल ही है।
कार्यक्रम में पहला दिन कवि सम्मेलन के नाम रहा। डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, ज्ञान प्रकाश आकुल, संजय मिश्र संजय, नवल सुधांशु, सर्वेश त्रिपाठी, अंकित काव्यांश, विशाल समर्पित, लोकेश त्रिपाठी, संगीत सुभाष, आकृति विज्ञा अर्पण, अमरजीत यादव अमर, अजय यादव आदि कवियों ने काव्यपाठ किया। 
नौ शिक्षकों को दिया गया सदानीरा शिक्षक सम्मान 2025,
सदानीरा महोत्सव में इस बार से शिक्षक सम्मान की परम्परा की शुरुआत हुई। इस बार राज्य के नौ शिक्षकों को उनके उत्कृष्ट कार्य के सम्मानित किया गया। ये शिक्षक रहे- ओमप्रकाश राम, लोकेश राय, सुनील शर्मा, मनीष कुमार पाण्डेय, युगल किशोर पाण्डेय,  , अमृतेश आशुतोष, लोकेश कुमार और राजेश कुमार मिश्र हैं। इन नौ शिक्षकों को उनके उत्कृष्ट शिक्षण कार्य के लिए सदानीरा शिक्षक सम्मान 2025 प्रदान किया गया।
दूसरे दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ गङ्गा महासभा के अध्यक्ष स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ प्रवीण तिवारी, और वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार अनन्त विजय ने दीप प्रज्वलित कर किया। उसके बाद युवा बांसुरी वादक प्रशांत सौरभ ने बांसुरी वादन के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की। उद्घाटन सत्र में ही वामपंथ के अर्धसत्य विषय पर बोलते हुए अनन्त विजय ने अनेक समसामयिक मुद्दों पर तथाकथित साहित्यकारों की धूर्तता की पोल पट्टी खोली। डॉ प्रवीण तिवारी ने बिहार से पलायन के मुद्दे पर अपनी बात रखी। परिचर्चा में अवनीश शर्मा, लोकेश कौशिक, आशुतोष मृणाल, रिवेश प्रताप सिंह और सर्वेश तिवारी श्रीमुख आदि लेखकों ने भाग लिया।
सदानीरा साहित्य सम्मान 2025
महोत्सव के दूसरे दिन सदानीरा सम्मान प्रदान किये गए। सदानीरा महोत्सव की परम्परा है कि सम्मान किसी संत के हाथों ही प्रदान किये जाते हैं, सो इस बार सभी चयनित व्यक्तियों को अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती ने सम्मानित किया।  "सदानीरा साहित्य सम्मान 2025"  इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, दिल्ली के प्रोफेसर और फरवरी नोट्स, जोगी वीर और मास्क मेनिफेस्टो जैसी चर्चित पुस्तकों के लेखक डॉ पवन विजय को प्रदान किया गया। यह पुरस्कार पुर्व में अनंत विजय, नवीन चौधरी और आशीष त्रिपाठी को दिया जा चुका है। इस वर्ष का "पण्डित शर्मानन्द देहाती लोक सम्मान" प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता कुणाल सिंह को दिया गया। इसके पहले यह सम्मान प्रसिद्ध लोकगायक भरत शर्मा व्यास और प्रसिद्ध भोजपुरी आलोचक ब्रजभूषण मिश्र को मिल चुका है। कुणाल सिंह गंगा किनारे मोरा गांव, धरती मइया, दूल्हा गंगा पार के, घर अंगना, बैरी कंगना जैसी सुपरहिट भोजपुरी फिल्मों के नायक रह चुके हैं। कविता के लिए दिया जाने वाला "योगेंद्र योगी काव्य सम्मान 2025 " जाल फेंक रे मछेरे, ऋतुराज एक पल का, शिखरिणी, जाड़े में पहाड़, आदि पुस्तकों के रचयिता और देश के प्रतिष्ठित कवि एवं साहित्यकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र को दिया गया। यह सम्मान पूर्व में देवेन्द्र देव और ज्ञान प्रकाश आकुल को दिया जा चुका है। सदानीरा के मंच से किसी रचनाकार की पहली किताब के लिए दिया जाने वाला "रजनी राय स्मृति सम्मान 2025"  इस बार प्रसिद्ध कवि स्वयं श्रीवास्तव को उनकी पुस्तक "घर के वास्ते" के लिए दिया गया। स्वयं श्रीवास्तव नई पीढ़ी के सर्वाधिक चर्चित कवियों में से एक हैं, जिनकी पुस्तक खूब सराही गयी है।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन।
24 की शाम को भी अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि डॉ अनिल चौबे, प्रियंका राय ओमनन्दिनी, स्वयं श्रीवास्तव, रजनीश राय, अमन पाण्डेय आदि कवियों ने काव्यपाठ किया।
शाम रही लोक सङ्गीत के नाम...
महोत्सव के अंतिम सत्र में गायकी का जलवा रहा जिसमें मिताली श्री, करिश्मा कुमारी, भोजपुरी सम्राट विजय बहादुर चौबे और मशहूर लोक गायक गोपाल राय ने अपनी प्रस्तुति दी।लगभग दो घण्टे तक चले सङ्गीत सत्र में दर्शक झूमते रहे। ए राजा कहियो माहूर खा के मर जाइब, चलेलू डगरिया त नदी बीचे नईया हिलोर मारे, काहे किरिया धरावेल तू आन के तरे, धनिया सोना का पहिनबु, जैसे दर्जनों गीत सुना कर उन्होंने घण्टे भर तक दर्शकों का मनोरंजन किया।
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