- दिन के एक बजे बंद हो जायेंगे मंदिरों के कपाट, उसके बाद भोजन करना होगा गलत
- गर्भवती महिलाओं को रखना होगा खुद का विषय ध्यान
सन 2025 का आखिरी चंद्र ग्रहण रविवार, 7 सितंबर को लगने जा रहा जो भारत में भी दिखाई देगा। यह ग्रहण संडे रात 9:57 मिनट पर शुरु होगा और चंद्रमा रात 12 बजकर 23 मिटन तक पृथ्वी की छाया में रहेगा।यह इस वर्ष का दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण है। यह एक पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा के दिन यह ग्रहण लगेगा। इस चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की प्रच्छाया से पूर्ण रूप से छिप जायेगा। इसी कारण से ग्रहण से पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। यहां जानिए सूतक का महत्व, इसकी अवधि और इस दौरान क्या करना चाहिए और किन कामों से बचना चाहिए।चांद क्यों पड़ जाता है काला?: चंद्रमा जब अंतरिक्ष में फैली पृथ्वी का छाया से होकर गुजरता है तो उसका चमकीला हिस्सा धीरे-धीरे काला होता जाता है. चंद्रमा जब पूरी तरह से झरती की काली छाया में आ जाता है तो वह गायब नहीं होता बल्कि लाल रंग का दिखने लगता है. ऐसा इसलिए क्योंकि पृथ्वी के वायुमंडल से होकर लाल रंग की किरणें चांद तक पहुंचती हैं. इसी वजह से इस ब्लड मून भी कहा जाता है। क्या धरती को निगल जाएगा ब्लैक होल? वैज्ञानिकों ने क्यों कहा- 'डरने वाली बात...'
कितनी देर तक दिखेगा ये नजारा?: पहले आपको बता दें कि यह चन्द्र ग्रहण एशिया के ज्यादातर हिस्सों में दिखाई देगा जबकी ग्रहण के अलग-अलग चरण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के कुछ हिस्सों में भी दिखाई देंगे. साथ ही 2025 में लगने वाला ये आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण 5 घंटे 27 मिनट तक चलेगा। धरती से टकराया 'नरभक्षी' सौर तूफान; बिजली-सैटेलाइट पर पड़ा बुरा असर, स्पीड 21 लाख किमी/घंटे किन चरणों में होगा चंद्र ग्रहण? पहला चरण रात 8:58 पर होगा जह चंद्रमा पृथ्वी की हल्की छाया को छूएगा, दूसरा चरण रात 9:57 पर जब आंशिक ग्रहण की शुरुआत होगी। तीसरा चरण रात 11 बजे से रहेगा, ये वो समय होगा जब ग्रहण अपने चरम पर होगा। इसके बाद रात 12 बजकर 22 मिनट पर पूर्ण ग्रहण खत्म हो जाएगा और इसके लगभग 1 घंटे बाद आंशिर ग्रहण भी समाप्त हो जाएगा। अंत में रात 2 बजकर 25 मिनट पर चंद्रमा धरती की हल्की छाया से भी बाहर निकल जाएगा। सूतक शब्द का अर्थ है 'अशुद्धि' या 'अपवित्रता'। जब भी सूर्य या चंद्र ग्रहण होता है, तो उसका नकारात्मक प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है। इस नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए, ग्रहण से पहले एक निश्चित समय को 'सूतक काल' कहा जाता है। इस दौरान शुभ कार्यों और पूजा-पाठ से बचना चाहिए।
चंद्र ग्रहण की शुरुआत: 7 सितंबर, रात 9 बजकर 58 मिनट पर होगी। चंद्र ग्रहण का समापन: 8 सितंबर, देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर होगा। ग्रहण की कुल अवधि: 3 घंटे 29 मिनट सूर्य ग्रहण: सूर्य ग्रहण में सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। चंद्र ग्रहण: चंद्र ग्रहण में सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
7 सितंबर को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा, जिस कारण इसका सूतक काल भी मान्य होगा।
सूतक काल की शुरुआत: 7 सितंबर, दोपहर 12 बजकर 58 मिनट पर (ग्रहण से लगभग 9 घंटे पहले) सूतक काल (Sutak Kaal) शुरू होते ही, कुछ नियमों का पालन करना बेहद ज़रूरी माना जाता है। मंदिरों के कपाट बंद कर दें: सूतक काल शुरू होते ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, ताकि ग्रहण की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव भगवान की मूर्तियों पर न पड़े। ग्रहण समाप्त होने के बाद, मंदिर को अच्छी तरह साफ करके ही कपाट दोबारा खोले जाते हैं। पूजा-पाठ न करें: सूतक और ग्रहण के दौरान मूर्ति पूजा और धार्मिक अनुष्ठान नहीं करने चाहिए। इस समय भगवान का ध्यान और मंत्र जप करना शुभ माना जाता है। भोजन न करें: सूतक काल शुरू होने के बाद खाना पकाना और खाना नहीं चाहिए। अगर घर में पहले से बना हुआ खाना है, तो उसमें तुलसी का पत्ता डाल दें। गर्भवती महिलाएं रहें सावधान: गर्भवती महिलाओं को इस दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए। माना जाता है कि ग्रहण की नकारात्मक किरणें गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा असर डाल सकती हैं। उन्हें सिलाई, बुनाई और काटने जैसे कामों से भी बचना चाहिए। क्या करें: ग्रहण के बाद स्नान करें, स्वच्छ कपड़े पहनें और घर की अच्छी तरह साफ-सफाई करें। इससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव खत्म हो जाता है। वैसे भी, इस चंद्र ग्रहण पर 100 साल बाद पितृ पक्ष पड़ रहा है। इस बार पूर्णिमा ग्रहण लगेगा, जो शनि की राशि कुंभ और बृहस्पति के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद में लगने जा रहा है। साल 2025 के आखिरी चंद्र ग्रहण को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा, किस समय होगा और इसका समय क्या होगा। आइए जानते हैं पूरी जानकारी।
7 सितंबर को भारत में इस समय लगेगा चंद्र ग्रहण
ज्योतिष की दृष्टि से 7 सितंबर यानी कल लगने वाला चंद्र ग्रहण बेहद ख़तरनाक माना जा रहा है क्योंकि जब भी कोई चंद्र ग्रहण लगता है, उसका असर देश-दुनिया पर 3 महीने पहले और 3 महीने बाद तक दिखाई देता है। 7 सितंबर की रात को लगने वाला चंद्र ग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। वैसे, 7 सितंबर यानी कल रात 8:59 बजे चंद्रमा पर हल्की छाया पड़नी शुरू हो जाएगी। इसे चंद्र ग्रहण की उपछाया कहते हैं। लेकिन, सूतक काल इसके अनुसार नहीं, बल्कि गहरी छाया पड़ने से 9 घंटे पहले माना जाता है।चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को रात 9:58 बजे शुरू होगा और 8 सितंबर को सुबह 1:26 बजे समाप्त होगा। ग्रहण के सबसे महत्वपूर्ण और चरम समय की बात करें तो यह रात 11:42 बजे अपने चरम पर होगा। अर्थात, भारत में संपूर्ण ग्रहण काल की कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट होगी।
चंद्र ग्रहण का सूतक काल: चूँकि 7 सितंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण रात्रि 9:58 बजे लग रहा है, इसलिए इसका समय 9 घंटे पहले, यानी दोपहर 12:57 बजे होगा। यह चंद्र ग्रहण कहाँ दिखाई देगा?: यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा। इसके अलावा, यह चंद्र ग्रहण यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, अमेरिका, फ़िजी और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में भी दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण के दौरान ग्रहों की स्थिति क्या होगी?
7 सितंबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण राहु के नक्षत्र शतभिषा में शुरू होगा और बृहस्पति के नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद में समाप्त होगा। इस दिन सूर्य, शनि और बृहस्पति जैसे प्रमुख ग्रहों का महासंयोग भी बन रहा है। इस दिन दो ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँगे। चंद्र ग्रहण में राहु और चंद्रमा एक साथ होते हैं। इस बार ग्रहण रविवार को है, इसलिए सूर्य भी प्रवेश कर रहा है, क्योंकि रविवार सूर्य देव का दिन है। साथ ही, यह वर्ष मंगल का वर्ष है, इसलिए मंगल भी आ गया है। जिस दिन यह ग्रहण लग रहा है, वह तिथि है और उस तिथि का मूलांक 7 है जो केतु का प्रतिनिधित्व करता है।
भारत पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव: ज्योतिषी के अनुसार, 7 सितंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण का भारत की राजनीति और प्रशासन पर भारी प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, ज्योतिष में पूर्णिमा ग्रहण को विशेष माना जाता है, क्योंकि इस समय प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बढ़ जाता है। खासकर पहाड़ी इलाकों में बाढ़, भारी बारिश और तबाही मचने की संभावना रहती है। इसका असर लोगों और जानवरों दोनों के जीवन पर पड़ेगा। सूतक के दौरान क्या न करें: शास्त्रों में कहा गया है कि चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है। सूतक के दौरान खाने-पीने से बचना चाहिए। किसी भी प्रकार का नकारात्मक कार्य करना वर्जित माना गया है। इस दौरान आध्यात्मिक चिंतन, मनन, रामचरितमानस का पाठ और शिव मंत्रों का जाप करें। इसके अलावा, ग्रहण के दौरान बचे हुए भोजन में तुलसी का पत्ता अवश्य डालें।
चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें: चंद्र ग्रहण के दौरान केवल भगवान के मंत्रों का जाप करना चाहिए, जो दस गुना फलदायी माने जाते हैं। चंद्र ग्रहण के बाद शुद्ध जल से स्नान करें और गरीबों को दान दें, मंदिर जाकर पंडितों को वस्त्र दान करें और दक्षिणा दें। ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को भोजन, जरूरतमंदों को वस्त्र दान करने से कई गुना पुण्य मिलता है।
रविवार को तुलसी को ना तोड़े: शास्त्रों के अनुसार रविवार के दिन भी तुलसी पूजन करने या तुलसी को स्पर्श करने की मनाही होती है।।इससे धार्मिक पुण्य में कमी आती है. इसलिए ग्रहण के समय भोजन-पानी में डालने के लिए आप एक दिन पहले यानी शनिवार को ही तुलसी की पत्तियां तोड़कर इसे धोकर किसी साफ कपड़े में लपेट कर रख सकते हैं। इससे कोई दोष नहीं लगेगा। अशनं सायं न कर्तव्यं न तुलस्या दलं हरेत्।
रविवारे च संक्रान्तौ द्वादश्यां च विशेषतः॥ पद्पुराण के इस श्लोक के अनुसार- शाम के समय, रविवार, संक्रांति और द्वादशी तिथि को तुलसीदल तोड़ना वर्जित होता है।इस दौरान ना तो शुभ काम होते हैं और ना ही कोई पूजा-पाठ किए जाते हैं।
ग्रहणकाल में सबसे ज्यादा परेशान गर्भवती महिलाएं होती हैं क्योंकि उन्हें बड़े बुजुर्ग घर से बाहर जाने और कुछ काम करने से रोकते हैं। माना जाता है कि ग्रहणकाल में अगर कोई गर्भवती महिला बाहर जाती है तो उसके होने वाले बच्चे के कान-नाक कट-फट जाते हैं। हालांकि आज तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है लेकिन फिर भी ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए क्योंकि ग्रहणकाल में वातावरण में काफी गर्मी होती हैं जो कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
आइए जानते हैं कि चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिलाओं को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?गर्भवती महिलाओं को क्या नहीं करना चाहिए : तेज धार वाले उपकरण जैसे कैंची, चाकू, सुई आदि का उपयोग न करें।
ग्रहण के समय सोना, खाना-पीना या पानी पीना वर्जित माना जाता है। घर से बाहर निकलने और चंद्रमा को सीधे ना देखें।
नकारात्मक विचार, झगड़ा या तनाव से दूर रहें। गर्भवती महिलाओं को क्या करना चाहिए : इस समय भगवान का स्मरण और मंत्र जाप करना उत्तम होता है। ग्रहण के दौरान और बाद में स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। तुलसी पत्ती को भोजन और पानी में डालकर रखने की परंपरा है, ताकि भोजन अशुद्ध न हो। भगवान विष्णु, शिव और देवी दुर्गा की उपासना करना शुभ माना गया है। अब सवाल ये उठता है कि ग्रहण अगर लंबा हो तो प्रेग्रेंट महिला कैसे लंबे वक्त तक भूखी रह सकती है तो उसके लिए उन्हें सलाह दी जाती है कि वो गरिष्ठ भोजन के बजाए हल्का-फुल्का खाना खा सकती हैं क्योंकि लाइट फूड उनके शरीर को ऊर्जा तो देंगे लेकिन गर्मी प्रदान नहीं करेंगे।
Chandra Grahan 2025 के दौरान करें इन मंत्रों का जाप
गर्भवती महिलाएं मानसिक शांति और शिशु की रक्षा हेतु निम्न मंत्रों का जाप कर सकती हैं। ॐ नमः शिवाय
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय, ॐ दुर्गायै नमः, ॐ चन्द्राय नमः
इन मंत्रों के जाप से मानसिक स्थिरता, शांति और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिलती है।ग्रहण के बाद की सावधानियां
ग्रहण समाप्त होते ही स्नान कर लेना चाहिए।घर को गंगाजल या पवित्र जल से शुद्ध करें।गर्भवती महिलाएँ ताजे भोजन का सेवन करें। भगवान को अर्पित करके ही भोजन करें। ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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