- मरने वालो की संख्या पहुंची 24, कई की हालत चिंताजनक
- नेपाल की सेना के नियंत्रण के साथ शांति की अपील
नेपाल बोर्डर से अशोक झा: युवाओं के हिंसक प्रदर्शन के बीच, मंगलवार को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। नेपाल का राजनीतिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में हिंसक विरोध-प्रदर्शन जारी हैं। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। नेपाल सेना ने ऐलान किया कि मंगलवार रात 10 बजे से सुरक्षा अभियानों की कमान वह संभाल ली है। इसी कड़ी में, त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की सुरक्षा भी नेपाली सेना के हाथों में चली गई है। एक ओर प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दे दिया है और स्थिति अराजक हो गई है। ऐसे में सेना प्रमुख सेना की तैनाती पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अब नेपाल सेना के नियंत्रण में रहेगा? क्या आप जानते हैं कि नेपाली सेना की तैनाती के नियम और तैयारियां क्या हैं?
रिपब्लिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, जेनरेशन-जेड आंदोलन के परिणामस्वरूप नेपाली सेना ने प्रमुख सरकारी भवनों की सुरक्षा और स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए सेना की तैनाती पर आंतरिक विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।
सेना प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल राजाराम बसनेत के अनुसार, सोमवार शाम राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद, सेना संसद भवन सहित महत्वपूर्ण सरकारी ढांचों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ व्यापक सुरक्षा उपायों पर भी चर्चा की थी। सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप व्यापक आगजनी और तोड़फोड़ हुई है। ऐसे में, स्थानीय पुलिस और सशस्त्र पुलिस बल (APF) के जवान स्थिति को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस बीच, काठमांडू में पुलिस चौकियों पर कई हमलों की खबरें भी सामने आई हैं। ब्रिगेडियर बसनेत ने पुष्टि की कि सेना स्थिति को नियंत्रित करने के तरीकों पर गंभीरता से विचार-विमर्श की है। क्योंकि अकेले कानून प्रवर्तन एजेंसियां अशांति को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं। क्या सेना की तैनाती संवैधानिक रूप से उचित है? नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 267 के तहत, सेना की तैनाती दो तरीकों से निर्धारित की गई है। पहला, उप-अनुच्छेद 4 के तहत, सेना को विकास कार्य, आपदा प्रबंधन या अन्य संघीय कानूनी कार्यों के लिए तैनात किया जा सकता है। दूसरा, उप-अनुच्छेद 6 के तहत, युद्ध, बाहरी आक्रमण, सशस्त्र विद्रोह या गंभीर आर्थिक व्यवधान की स्थिति में, राष्ट्रपति, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और मंत्रिमंडल के निर्णय के आधार पर सेना की तैनाती की जा सकती है।
राष्ट्रपति नेपाल सेना के सर्वोच्च कमांडर हैं। नेपाल के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति को नेपाल सेना का सर्वोच्च कमांडर भी नियुक्त किया गया है। फिलहाल, एहतियात के तौर पर त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सेना के नियंत्रण में है। सत्तारूढ़ दल के नेताओं का तर्क है कि मौजूदा अशांति और जन सुरक्षा को खतरे को देखते हुए, अनुच्छेद 267(4) या 267(6) के तहत सेना की तैनाती संवैधानिक रूप से उचित है। राष्ट्रपति ने अपील की है कि सभी पक्ष संयम दिखाएं और देश को शांति की ओर ले जाएं। उन्होंने खासतौर पर जेन-जी प्रदर्शनकारियों से कहा कि लोकतंत्र और जनता की भलाई के लिए सहयोग जरूरी है। बुधवार को सेना और राष्ट्रपति की बैठक में आगे का रास्ता निकल सकता है। जेन Z ने भी बुधवार सुबह एक बैठक बुलाई है। हालात और बिगड़े जब महोत्तरी के जलेश्वर जेल से 570 से ज्यादा कैदी भाग निकले। खबरों के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों ने जेल की दीवार तोड़ी और भीतर मौजूद कैदियों ने रसोई के औजारों से मदद की। पुलिस और भीड़ के बीच झड़प के दौरान अराजकता फैल गई।रुपन्देही जिले में उपद्रवियों ने कई सरकारी दफ्तरों और अदालतों में आग लगा दी। बुटवल हाई कोर्ट, भैरहवा जिला अदालत और सिराहा कोर्ट में महत्वपूर्ण दस्तावेज जलकर राख हो गए। वहीं भैरहवा के गौतम बुद्ध इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर खड़े वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया। पांच कारें और दो मोटरसाइकिलें राख में तब्दील हो गईं। काठमांडू में मंगलवार को हुए संघर्ष में घायल तीन प्रदर्शनकारियों की अस्पताल में मौत हो गई। इस तरह जेन-जी आंदोलन में अब तक मरने वालों की संख्या 24 पहुंच गई है, जिनमें से 22 राजधानी काठमांडू में और 2 ईटहरी में मारे गए। भारत ने जारी की एडवाइजरी: नेपाल में स्थिति इस हद तक बिगड़ चुकी है कि भारत-नेपाल सीमा पर भी अलर्ट जारी करना पड़ा है। इंडो-नेपाल बॉर्डर पर एसएसबी ने गश्त और सुरक्षा बढ़ा दी है ताकि हिंसा का असर भारतीय क्षेत्र में न फैले। वहां के हालात पर भारत ने चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर कहा कि भारतीय नागरिक फिलहाल नेपाल यात्रा स्थगित करें। जो पहले से वहां मौजूद हैं, वे घर से बाहर न निकलें और स्थानीय प्रशासन तथा भारतीय दूतावास, काठमांडू की सुरक्षा सलाहों का पालन करें। आपात स्थिति में दूतावास के हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं।+977 – 980 860 2881 (व्हाट्सएप कॉल उपलब्ध)+977 – 981 032 6134 (व्हाट्सएप कॉल उपलब्ध)भारत ने मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई है और उम्मीद जताई है कि नेपाल जल्द शांति और स्थिरता की राह पर लौटेगा।
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