- यह अभ्यास 25 सितंबर से 16 अक्टूबर 2025 के बीच होगा
-चीन की सीमा के पास गरजेंगे राफेल और सुखोई-30
- सिलीगुड़ी कॉरिडोर, असम,अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर के बड़े हिस्से को करेगा कवर
ऑपरेशन सिंदूर मई 2025 में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों पर किया गया एक सटीक हमला था। अब वायुसेना पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपना सबसे बड़ा हवाई अभ्यास करने जा रही है। यह अभ्यास 25 सितंबर से 16 अक्टूबर 2025 तक चलेगा। इस एक्सरसाइज को उत्तरी बंगाल (सिलीगुड़ी कॉरिडोर), सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड में आयोजित किया जाएगा।
चीन की सीमा के पास गरजेंगे राफेल और सुखोई-30
21 दिन तक चलने वाले एक्सरसाइज को लेकर वायुसेना ने नोटिस टूएयरमैन (नोटम) जारी कर दिया है ताकि इस दौरान सभी सिविल फ्लाइट्स सावधानी-पूर्वक उड़ान भर सकें. एक्सरसाइज को कराने की जिम्मेदारी वायुसेना की पूर्वी कमान (मुख्यालयशिलॉन्ग) के कंधों पर है और उत्तर-पूर्व के सभी महत्वपूर्ण एयरबेस (तेजपुर, झाबुआ, हासीमारा इत्यादि) सहित फाइटरजेट, मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और हेलीकॉप्टर हिस्सा लेंगे। इसके लिए एक नोटिस टू एयरमेन (NOTAM) जारी किया गया है, सिलीगुड़ी कॉरिडोर, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर के बड़े हिस्से को कवर करेगा। यह क्षेत्र चीनी सीमा के पास है। इसमें भूटान और म्यांमार का हवाई क्षेत्र भी शामिल है। यह 22 दिनों का सत्यापन अभ्यास होगा, जो 25 सितंबर 2025 को दोपहर 2 बजे शुरू होगा। यह 16 अक्टूबर 2025 को शाम 6:29 बजे समाप्त होगा। इसका असर पूर्वोत्तर के एक बड़े हिस्से पर पड़ेगा, खासकर सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर। सिलीगुड़ी कॉरिडोर को 'चिकन नेक' कहा जाता है, जो सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा है। यह कॉरिडोर पूर्वोत्तर के 5 करोड़ लोगों को शेष भारत से जोड़ता है। अगर यह कॉरिडोर बंद हो जाता है, तो पूर्वोत्तर अलग-थलग पड़ सकता है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह भारतीय वायुसेना का सबसे बड़ा अभ्यास होगा। ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। सेना सभी सीमाओं पर हाई अलर्ट पर है। यह अभ्यास भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल तैयारियों को सुनिश्चित करेगा। ऑपरेशन सिंदूर क्या था?: ऑपरेशन सिंदूर भारत की एक साहसिक सैन्य कार्रवाई थी, जो 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले का जवाब थी। उस हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। भारत ने 7 मई 2025 की सुबह पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में 9 आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए। इनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के ठिकाने शामिल थे। भारतीय वायुसेना ने राफेल, सुखोई-30 और ब्रह्मोस मिसाइलों का इस्तेमाल किया। यह ऑपरेशन 50 से भी कम हथियारों के साथ पूरा किया गया। भारत ने दावा किया कि 70-100 आतंकवादी मारे गए। यह ऑपरेशन भारत की नई रणनीति का हिस्सा था, जिसमें राजनीतिक और रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ड्रोन की बजाय पूरी हवाई शक्ति का इस्तेमाल किया गया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सफल रहा और सभी पायलट सुरक्षित लौट आए।
पूर्वोत्तर क्षेत्र का सामरिक महत्व : पूर्वोत्तर भारत सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। यह चीन, भूटान और म्यांमार से सटा हुआ है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर यहाँ सबसे संवेदनशील है, जो बंगाल को असम से जोड़ता है। अगर चीन या कोई भी दुश्मन इस पर कब्ज़ा कर लेता है, तो पूर्वोत्तर का संपर्क टूट जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में यहाँ कई तनाव रहे हैं...
2020 में सिक्किम सेक्टर में भारत-चीन सीमा विवाद।
2022 में तवांग (अरुणाचल प्रदेश) में टकराव। डोकलाम पठार, जो भारत-चीन और भूटान के बीच एक टकराव का केंद्र है। 2017 में यहाँ 73 दिनों तक गतिरोध रहा था। भारत ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति मजबूत की है। त्रिशक्ति कोर (17 माउंटेन डिवीजन) की संख्या बढ़ाई गई है, जो पूर्वोत्तर में तैनात है। एस-400 जैसी उन्नत वायु रक्षा प्रणालियाँ स्थापित की गई हैं। हासीमारा एयरबेस पर राफेल लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन तैनात हैं, जो इस अभ्यास में भाग लेंगे। अभ्यास में क्या होगा?: यह अभ्यास भारतीय वायुसेना की परिचालन तत्परता बढ़ाने पर केंद्रित होगा। इसमें संयुक्त हवाई-ज़मीनी अभियान होंगे, जहाँ कई एयरबेसों से राफेल, सुखोई-30, मिग-29 और तेजस जैसे अग्रिम पंक्ति के विमान शामिल होंगे। सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जहाँ हवाई हमले, रक्षा और त्वरित तैनाती का अभ्यास किया जाएगा।भारतीय वायुसेना हर साल गगन शक्ति या वायु शक्ति जैसे अभ्यास करती है, लेकिन यह पूर्वोत्तर में सबसे बड़ा होगा। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की क्षमताओं को भी प्रदर्शित करेगा।
भारत की सैन्य तैयारी और भविष्य: ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत ने अपनी सैन्य रणनीति में बदलाव किया है। अब छद्म युद्ध का जवाब सीधी कार्रवाई से दिया जा रहा है। पूर्वोत्तर में तैनाती बढ़ाने से चीन को एक संदेश जाएगा। भारतीय वायुसेना बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान (एमआरएफए) निविदा जैसे आधुनिकीकरण पर ज़ोर दे रही है। इस अभ्यास से न केवल तैयारियाँ बढ़ेंगी, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी मज़बूत होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहेगी। ( पूर्वोत्तर से अशोक झा )
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