- खुफिया रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया फोटो, सीमांत क्षेत्रों में हाई अलर्ट
बिहार में चुनावी सरगर्मी और बंगाल में उत्सव के माहौल के बीच किसी बड़ी घटना की साजिश रची जा रही है। खूफिया विभाग ने 3 पाकिस्तानी आतंकवादियों के घुसपैठ की सूचना दी है। इसके बाद बिहार पुलिस ने सभी जिलों में अलर्ट जारी कर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।इतना ही नहीं सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष निगरानी की जा रही है।
आतंकवादियों के स्कैच भी जारी किए गए हैं। बताया कि यह आतंकवादी नेपाल के रास्ते भारतीय सीमा में घुसे हैं। बिहार पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, हसनैन, आदिल और उस्मान नामक 3 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की है। इनमें हसनैन अली पाकिस्तान के रावलपिंडी का रहने वाला है। जबकि, आदिल हुसैन, पाकिस्तान के उमरकोट और मो. उस्मान पाकिस्तान के बहावलपुर का रहने वाला है।जैश-ए-मोहम्मद से कनेक्शन: पुलिस सूत्रों के मुताबिक, ये तीनों टेररिस्ट पाकिस्तानी के प्रमुख आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े हैं। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों में हाई अलर्ट जारी इनके नाम और फोटो भेजे हैं।
अररिया के रास्ते बिहार पहुंचे आतंकी: खुफिया इनपुट के अनुसार, तीनों आतंकवादी आतंकी बिहार में अररिया जिले से भारतीय सीमा पर घुसे हैं। इनका मकसद बिहार में किसी बड़ी घटना को अंजाम देना था। हालांकि, इस बात की अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। पुलिस और जांच एजेंसियां जानकारी जुटा रही हैं। जानकारी के मुताबिक, महाबोधी मंदिर परिसर में ड्रोन गिरने की घटना बुधवार (27 अगस्त) दोपहर बाद की है। इसकी जानकारी मिलते ही मंदिर के पुजारी और बौद्ध भिक्षु वहां पहुंचे। उन्होंने बताया कि यह ड्रोन उनका है, जिसे वे परिसर में उड़ा रहे थे। बता दें कि महाबोधि मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। 2013 में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे इलाके को नो-फ्लाई ज़ोन घोषित कर दिया गया था। नियमों के मुताबिक, महाबोधि मंदिर और बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति के कार्यालय समेत आसपास के इलाकों में ड्रोन उड़ाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके बाद भी इस तरह की घटना को अंजाम देना महाबोधि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि महाबोधि मंदिर की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी सभी आने वाले पर्यटकों की गहन जांच के बाद ही मंदिर में प्रवेश देते हैं, फिर ड्रोन मंदिर परिसर में कैसे पहुंच गया? क्या महाबोधि मंदिर के पुजारियों और बौद्ध भिक्षुओं के लिए कोई अलग नियम या कानून है, जिसे सुरक्षाकर्मियों ने नज़रअंदाज़ कर दिया? या फिर मंदिर के पुजारियों और बौद्ध भिक्षुओं को विशेष छूट दी गई थी? अब देखना यह है कि बीटीएमसी और जिला प्रशासन इस घटना पर क्या कार्रवाई करता है।
आतंकी घटना की साजिश: सूत्रों ने दावा किया कि अगस्त के दूसरे सप्ताह तीनों आतंकवादी काठमांडू पहुंचे थे। पिछले सप्ताह वह अररिया जिले के रास्ते बिहार सीमा पर पहुंचे। यह किसी बड़ी आतंकी घटना की साजिश रच रहे हैं। पुलिस अफसरों ने सभी सभी जिलों में हाई अलर्ट जारी कर खुफिया तंत्र एक्टिव रखने के निर्देश दिए हैं।
मई में 18 संदिग्ध घुसे, खालिस्तानी पकड़ाया: बिहार में घुसपैठ का यह कोई पहला मामला नहीं है। 3 माह पहले मई में 20 दिन के अंदर 18 संदिग्ध बिहार सीमा पर घुसे। इनमें से एक खालिस्तानी भी शामिल है। बिहार में नेपाल की 729 किमी लंबी सीमा और बंगाल से 100 किलोमीटर सीमा लगती है। लिहाजा, अक्सर यहां घुसपैठ की साजिश होती रहती हैं।
बांग्लादेश से नेपाल और फिर भारत में प्रवेश करने की आशंका : बांग्लादेश में बीते साल विरोध प्रदर्शनों के बीच एक नाटकीय घटनाक्रम में शेख हसीना की सरकार गिर गई थी। हसीना के ढाका छोड़ने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी।ढाका में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत की चिंताएं पूर्वोत्तर सीमाओं को लेकर बढ़ी हैं। यूनुस सरकार ने भारत पर चीन और पाकिस्तान को तरजीह दी है। वहीं दूसरी ओर आतंकी गुटों और कट्टरपंथियों को खुली छूट देकर अलग चुनौती खड़ी की है। खासतौर से बांग्लादेश में चार गुटों का गठबंधन भारत के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को जिन सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं से सावधान रहना चाहिए, उनमें से एक बांग्लादेश में फोर (चार) ब्रदरहुड गठबंधन है। म्यांमार की तर्ज पर बने इस चार गुटों के ब्रदरहुड गठबंधन में अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA), रोहिंग्या साल्वेशन ऑर्गनाइजेशन (RSO), रोहिंग्या इस्लामी महाज (RIM) और अराकान रोहिंग्या आर्मी (ARA) शामिल हैं।
क्या हैं ये चार गुट: ARSA की स्थापना 2013 में हराका अल-यकीन के रूप में हुई थी। इस समूह का नेता अताउल्लाह अबू अम्मार जुनूनी है। ARSA खां माउंग सेक नरसंहार के लिए जिम्मेदार था, जिसमें 99 हिंदू महिलाओं और बच्चों की हत्या कर दी गई थी। RSO ने एक समय ARSA का विरोध किया था। इस वर्ष मार्च में ढाका ट्रिब्यून ने इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की RSO और ARSA के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक की जानकारी दी। RIM का चीफ मौलवी सलीमुल्लाह है, जो बांग्लादेश में कई मदरसे चलाता है। वहीं नबी हुसैन के नेतृत्व वाले ARA पर बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) ने दस लाख टका का इनाम रखा था। ARA कथित तौर पर पाकिस्तान का एक छद्म संगठन है। रोहिंग्या उग्रवादियों का यह गठबंधन पाकिस्तान की आईएसआई के संरक्षण में है। इनको लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने ट्रेनिंग दी है। रोहिंग्या बन रहे ढाल:बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने ना केवल कट्टरपंथी ताकतों को एक-दूसरे के साथ गठबंधन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है बल्कि पाकिस्तान के साथ संबंधों को भी सुधारा है। इसमें रोहिंग्या मुद्दा वह धुरी प्रतीत होता है, जिसके जरिए कई अंतर्राष्ट्रीय शक्तियां बांग्लादेश में पैर जमाने के लिए कर रही हैं। इसमें पाकिस्तान से लेकर तुर्की जैसे कई नाम हैं। रोहिंग्याओं का नया फोर ब्रदरहुड गठबंधन कोई अकेला गठबंधन नहीं है बल्कि यह ज्यादा व्यापक है। ढाका विश्वविद्यालय में हाल ही में ग्रेटर बांग्लादेश के नक्शे में भारत के बिहार, झारखंड, ओडिशा, पूर्वोत्तर राज्य और म्यांमार का रखाइन प्रांत शामिल किया गया। ऐसे में भारत को पूर्वोत्तर राज्यों की ओर ध्यान देने की जरूरत है। बांग्लादेश में पनाह पाए कट्टरपंथी गुट भारत की सीमा के आसपास के इलाकों में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर सकते हैं। ( नेपाल बॉर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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