बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज की रेप-हत्या पीड़िता के माता-पिता द्वारा निकाले गए 'नवान्न अभियान' में पुलिस लाठी चार्ज के बाद जमकर हंगामा हुआ। इसमें पीड़िता के माता-पिता घायल हुए हैं। रैली नबन्ना (राज्य सचिवालय) की ओर बढ़ रही थी, जहां परिजन अपनी बेटी के लिए न्याय की मांग कर रहे थे।
पीड़िता की माँ का बयान,'शंखा' टूटी, सिर में लगी चोट:
पीड़िता की माँ ने कहा कि उन्हें जबरन रोका गया, जिससे उनके हाथों की पारंपरिक 'शंखा' टूट गई और सिर में चोट आई। उन्होंने यह सवाल उठाया कि जब उनका उद्देश्य केवल न्याय पाना है, तो उन्हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से क्यों रोका जा रहा है।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग,मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग: इस रैली में शामिल लोगों ने ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की, यह आरोप लगाते हुए कि राज्य सरकार महिलाओं की सुरक्षा में पूरी तरह असफल रही है। रैली में बड़ी संख्या में लोग तिरंगा और 'न्याय दो' जैसे पोस्टर-बैनर के साथ शामिल हुए।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोका,भारी पुलिस बल ने रोकी रैली: जैसे ही प्रदर्शनकारी नबन्ना की ओर बढ़ने लगे, पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया। पीड़िता के पिता ने भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें डोरीना क्रॉसिंग तक पहुँचने से रोका, जबकि उन्हें शांतिपूर्ण रैली के लिए कोर्ट से अनुमति मिली थी। बीजेपी का समर्थन,BJP ने बिना झंडे के दिया समर्थन : राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं से रैली में पार्टी का कोई झंडा या चिन्ह न लाने की अपील की थी। वह खुद कुछ विधायकों के साथ पीड़िता के परिजनों से जुड़े और सरकार पर भीड़ से डरने का आरोप लगाया। रैली में नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी भी शामिल हुए थे। उन्होंने ऐलान किया है कि भाजपा अब पुलिस की इस बर्बरता के खिलाफ और बड़े पैमाने पर आंदोलन करेगी। शनिवार को अधिकारी ने तीन घंटे के धरने के बाद अस्पताल में जाकर पीड़िता के मां-बाप से मुलाकात की है। पार्क स्ट्रीट-जे. एल. नेहरू रोड चौराहे पर हुए इस विरोध में सैकड़ों लोग न्याय की मांग को लेकर जुटे थे, लेकिन पुलिस की रोक और लाठीचार्ज के बाद पीड़िता की मां के गंभीर रूप से घायल होने पर आंदोलन को बीच में रोकना पड़ा।
अधिकारी ने बताया कि पीड़िता की मां को पुलिस ने बेरहमी से पीटा, जिससे उनके माथे पर चोट आई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उन्होंने कहा, "पीड़िता के माता-पिता मेरे आमंत्रण पर इस रैली में शामिल हुए थे, ऐसे में उनका इलाज और देखभाल करना मेरा कर्तव्य है। पुलिस की यह बर्बर कार्रवाई लोकतंत्र, शांतिपूर्ण विरोध और महिलाओं की सुरक्षा के प्रति राज्य सरकार की बेरुखी दिखाती है।" उन्होंने कहा कि आंदोलन का अगला चरण भाजपा प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य, पार्टी नेतृत्व और अन्य संगठनों से चर्चा के बाद तय किया जाएगा। अधिकारी ने यह भी कहा कि शहर में जल्द ही पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट और 'अभया मंच' का विरोध प्रदर्शन होने वाला है, इसलिए भाजपा चाहती है कि वे अपनी लड़ाई बिना बाधा के जारी रख सकें।
शुभेंदु अधिकारी ने वीडियो फुटेज दिखाकर आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर कोलकाता पुलिस कमिश्नर मनोज वर्मा और अन्य अफसरों ने अत्याचार किया। उन्होंने बीएनएस की धाराओं के तहत इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। बाद में वह अस्पताल जाकर पीड़िता की मां से मिले और फिर पत्रकारों को बताया कि उनकी हालत गंभीर है और वह दर्द में हैं। अधिकारी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से पीड़िता के माता-पिता को "खत्म" करने की साजिश रची गई।
इससे पहले, पीड़िता की मां ने आरोप लगाया था कि जब वह 'नवान्न' मार्च में शामिल होने जा रही थीं, तब महिला पुलिसकर्मियों ने उन्हें धक्का दिया, जिससे उनका 'शंखा' (पारंपरिक चूड़ी) टूट गया और सिर पर चोट लग गई।
भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य मंत्री शशि पांजा ने कहा, "शांतिपूर्ण प्रदर्शन के नाम पर तोड़फोड़ हुई। बाहर से लोग लाए गए, जो राखी के दिन बंगाल की संस्कृति और परंपरा को नहीं समझते।"
टीएमसी के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने कहा, "रक्षाबंधन के दिन उपद्रवी भीड़ जुटाकर अशांति फैलाने की कोशिश भाजपा की हिंदू धर्म के प्रति असम्मान को दिखाती है। प्रदर्शन में मुश्किल से कुछ सौ लोग थे और वे लगातार पुलिस को उकसा रहे थे, जबकि पुलिस ने काफी संयम दिखाया।" ( कोलकाता से अशोक झा )
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