- अलकायदा ट्रेनिंग देकर कर रहा भारत में घुसपैठ का प्रयास, बंगाल बिहार सीमांत क्षेत्रों में स्लीपर सेल को करेगा चुनाव पूर्व सक्रिय
बांग्लादेश स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) एक बार फिर सक्रिय होता नजर आ रहा है। बीते 8 वर्षों से निष्क्रिय हो चुके इस संगठन की फिर से वापसी से भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं और पश्चिम बंगाल पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। बांग्लादेश के इस आतंकी संगठन पर भारत ने 2019 में बैन लगा दिया था. भारत के अलावा बांग्लादेश, मलेशिया, यूके और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भी इसे आतंकी संगठन की लिस्ट में डाल रखा है। साल 1998 में अब्दुल रहमान नाम के आतंकी ने इस संगठन को शुरू किया था। इस संगठन के बारे में 2001 में तब पता चला जब बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले में इससे जुड़े बम और दस्तावेज बरामद हुए थे। इस दौरान आठ आतंकियों को भी गिरफ्तार किया गया था। फरवरी 2003 में सामने आया था कि इस आतंकी संगठन ने दिनाजपुर के छोटो गुरगोला इलाके में 7 बम धमाकों को अंजाम दिया था।बांग्लादेश की सरकार ने फरवरी 2005 में JMB पर प्रतिबंध लगा दिया था. अगले ही साल इस संगठन ने बांग्लादेश में 300 से ज्यादा जगहों पर 500 बम धमाके किए थे। वर्तमान में बांग्लादेश केइन हालात में जिहादी आतंकी संगठनों को भी फिर से अपना सिर उठाने का मौका मिल रहा है. अब जो ताजा जानकारी सामने आई है, उससे भारत के लिए भी बड़ा खतरा उभरता नजर आ रहा है। दोबारा सिर उठा रहा जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश: रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) एक बार फिर सक्रिय होता नजर आ रहा है. बीते आठ वर्षों से निष्क्रिय हो चुके इस संगठन की फिर से वापसी से भारत की पूर्वोत्तर सीमाओं और पश्चिम बंगाल पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।भारतीय खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि जेएमबी बड़ी तेजी से अपनी जड़ें मजबूत कर रहा है। यह सीधे तौर पर भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकता है।अवैध घुसपैठियों और शरणार्थियों का इस्तेमाल जेएमबी अपने 'फुट सोल्जर' के तौर पर कर रहा है। ऐसा करके भारत में अस्थिरता फैलाने की साजिशें रची जा रही हैं। शेख हसीना की विदाई के बाद तेजी से बिगड़ रहे हालात: रिपोर्ट में कहा गया है कि शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद कट्टरपंथी समूहों को खुली छूट मिल गई है. इसी के चलते न केवल जेएमबी, बल्कि कई अन्य आतंकी संगठनों को भी फिर से संगठित किया जा रहा है. आईएसआई और जमात-ए-इस्लामी की शह पर ये संगठन बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ को बढ़ावा दे रहे हैं। जेएमबी अब अपनी ताकत बढ़ाने के लिए अल-कायदा का भी साथ मांग रहा है, ताकि उसकी विचारधारा का तेजी से प्रसार हो सके. जहां अल-कायदा रणनीतिक दृष्टिकोण से प्रभावी है, वहीं जेएमबी जमीनी स्तर पर काम करने में माहिर है।
रोहिंग्याओं की भर्ती कर रहा आतंकी संगठन: मोहम्मद यूनुस के अंतरिम सरकार के प्रमुख बनने के बाद, आईएसआई के कई अधिकारी बांग्लादेश पहुंचे और कट्टरपंथी संगठनों के नेताओं से मुलाकात की।।रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएसआई चाहता है कि जेएमबी, अल-कायदा और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) मिलकर भारत को निशाना बनाएं और एक-दूसरे के काम में बाधा न डालें। भारत के खिलाफ जेएमबी की योजना बेहद खतरनाक मानी जा रही है। ये संगठन रोहिंग्या और अवैध प्रवासियों की भर्ती कर रहा है और उन्हें भारत के मुस्लिम बहुल इलाकों में भेजकर वहां छोटे-मोटे उद्योगों में काम करने को कह रहा है, ताकि वे संदेह से बचे रहें।साथ ही, समय-समय पर गुप्त बैठकों के जरिए योजना बनाई जा रही है।
रिश्तों में ठंडापन बना कड़वाहट की वजह:
गौरतलब है कि 2014 में पश्चिम बंगाल के बर्दवान में हुए विस्फोट में भी जेएमबी का हाथ था, जिसमें एक बम बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ था. तब भी इसमें शामिल अधिकतर लोग अवैध प्रवासी थे। वर्तमान में जेएमबी भारत-बांग्लादेश की पश्चिम बंगाल और असम सीमा की कमजोरी का फायदा उठा रहा है। मौजूदा परिस्थितियों में बांग्लादेश की अस्थिरता और भारत से ठंडी पड़ी कूटनीतिक रिश्तों के कारण, भारत के लिए यह खतरा और भी गंभीर हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस चुनौती से निपटने के लिए बांग्लादेश सरकार के सहयोग की जरूरत है, जैसा कि शेख हसीना के कार्यकाल में देखने को मिला था। लेकिन अब यूनुस सरकार का झुकाव पाकिस्तान की ओर अधिक है, जिससे भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव बना हुआ है। यह अपने पर्चों में जेएमबी साफ ज़ाहिर करता रहा है कि वह सेक्युलर, समाजवादी और लेफ्ट विचारधारा के अतिवादियों के खिलाफ है। 2016 की एक रिपोर्ट की मानें तो बांग्लादेश सरकार ने माना था कि कई ब्लॉगरों की हत्या के पीछे जेएमबी का ही हाथ था। गौरतलब है कि वामपंथी विचारों के लिए मशहूर कई ब्लॉगरों को पिछले एक दशक में बांग्लोदश में मौत के घाट उतारा गया। इसके साथ ही, जेएमबी खुले सांस्कृतिक कार्यक्रमों, सिनेमाघरों, दरगाहों और एनजीओ जैसे संगठनों के खिलाफ है क्योंकि उसके मुताबिक़ ये इस्लाम के अनुसार मान्य नहीं हैं।कितना कुख्यात और खतरनाक है जेएमबी? स्थापना के तीन साल बाद 2001 में ये गिरोह पहली बार तब कुख्यात हुआ था, जब दिनाजपुर ज़िले में इस संगठन की गतिविधियों से जुड़े दस्तावेज़ और बम बरामद किए गए थे। फरवरी 2005 में बांग्लादेश ने जेएमबी को आधिकारिक रूप से आतंकवादी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित किया था जब एनजीओ पर हमले किए जाने की घटनाएं हुई थीं। रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिबंध का बदला लेने के लिए जेएमबी ने अगस्त 2005 में बांग्लादेश में 300 जगहों पर 500 बम प्लांट किए थे।इसके बाद इस संगठन के नेताओं को पकड़ा गया था. फिर ये संगठन 2016 में नए सिरे से खड़ा हुआ और लेखकों और ब्लॉगरों को इसने निशाना बनाते हुए उत्तरी बांग्लादेश में कई हत्याएं कीं, जिनमें लेफ्ट और सेक्युलर विचार रखने वाले कई लोग मारे गए। ऐसे कसा गया शिकंजा:
मौलाना रहमान के साथ ही इस संगठन की बुनियाद में सिद्दीकुल इस्लाम उर्फ बंग्ला भाई का नाम लिया जाता है। 2005 और 2006 में जजों की हत्याओं समेत बड़ी आतंकी घटनाओं के बाद बांग्लादेश ने इस गिरोह के रहमान और बंग्ला भाई के साथ ही चार अन्य नेताओं को कानूनी कार्रवाई के बाद 2007 में सज़ा ए मौत दे दी थी। इसके बाद ये गिरोह कुछ सालों के लिए ठंडा पड़ गया थाकितना बड़ा है नेटवर्क?:
राजशाही, खुलना, ढाका और चटगांव के क्षेत्रों में यह संगठन अब भी गहरी जड़ें रखता है. आईसीटी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि जेएमबी के पास 10 हज़ार आतंकियों का नेटवर्क है और 2000 फिदायीनों यानी आत्मघाती हमलावरों की ब्रिगेड भी है. साथ ही, जमात उल इस्लामी यानी जेआई जैसे संगठनों के साथ ही इस आतंकी गिरोह के तार अल कायदा के फंड से चलने वाले जेएमजेबी जैसे गिरोहों के साथ भी जुड़े हैं जो पूरी दुनिया में जिहादी एजेंडा के लिए सक्रिय हैं। ( बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा की रिपोर्ट )
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