- हाथियों की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए एक नियंत्रण कक्ष और हेल्पलाइन नंबर पहले ही किया गया स्थापित
- आवास की हानि और जंगलों के नष्ट होने के कारण हाथियों के जीवन संकट में डालना
शिकारी के कारण कई बार हाथियों को शारीरिक और मानसिक होता है नुकसान
आज विश्व हाथी दिवस है। इस दिन को मनाने के लिए प्रकृति प्रेमियों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। हाथियों को बचाने के संदेश के साथ नेचर एनवायरमेंट एंड वाइल्ड लाइफ सोसायटी और कर्सियांग वन विभाग के सहयोग से मंगलवार को नक्सलबाड़ी कदमा मोड़ पर एक बाइक रैली निकाली गई। हाथी दिवस पर पशु प्रेमियों ने भाग लिया। रैली के माध्यम से सभी लोगों को हाथियों की सुरक्षा का संदेश दिया गया। इस अवसर पर कर्सियांग वन विभाग के डीएफओ देवेश पांडे, एडीएफओ राहुल देव मुखर्जी, पंचायत समिति अध्यक्ष आनंद घोष, उपाध्यक्ष सजनी सुब्बा, पंचायत समिति की कार्यकारी निदेशक पद्मा दे रॉय, मनीराम प्रधान, गौतम घोष आदि उपस्थित थे। डीएफओ देवेश पांडे ने कहा कि जागरूकता बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। हाथियों की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए एक नियंत्रण कक्ष और हेल्पलाइन नंबर पहले ही स्थापित किया जा चुका है। इस वर्ष जंगल बढ़ाने के लिए एक लाख पौधे लगाए गए है। वहीं, पंचायत समिति अध्यक्ष आनंद घोष ने कहा कि हाथियों के भोजन के लिए पेड़ लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा, हाथियों के हमले से प्रभावित परिवारों को सहायता राशि और नौकरी की व्यवस्था की गई है। जबकि सोसायटी के सचिव अनुजीत बसु ने कहा कि हाथियों और मनुष्यों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए सह-अस्तित्व के संदेश पर प्रकाश डालते हुए गांवों में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए। जिसके लिए प्रयास किए जा रहे है। आज इस रैली की माध्यम से शुरुआत हुई है। प्रतिष्ठित जानवरों में से एक माने जाते हैं। उनकी प्राकृतिक पारिस्थितिकी में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है, जो पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। हाथी जंगलों में घास, झाड़ियां और पेड़-पौधों को खाकर उनकी वृद्धि को नियंत्रित करते हैं, जिससे अन्य वन्यजीवों के लिए आहार की आपूर्ति बनी रहती है। इसके अलावा, उनका वजन और पैरों की संरचना जंगलों में पानी के स्रोतों की गहरी खुदाई करने में मदद करती है, जिससे अन्य जानवरों को भी पानी मिल पाता है। मानव-हाथी संघर्ष: हाल के वर्षों में, मानव-हाथी संघर्ष एक गंभीर समस्या बन गई है, क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के साथ हाथियों के प्राकृतिक आवास सिकुड़ते जा रहे हैं। जैसे-जैसे हाथियों के जंगलों में रहने की जगह कम हो रही है, वे भोजन और पानी की तलाश में मानव बस्तियों में घुसने लगे हैं। इसके परिणामस्वरूप, हाथियों और मनुष्यों के बीच संघर्ष की घटनाएं बढ़ी हैं, जिनमें कई बार हाथियों को शारीरिक और मानसिक नुकसान भी होता है। इसके अलावा, यह संघर्ष कभी-कभी मानव जीवन और संपत्ति के नुकसान का कारण भी बनता है।12 अगस्त 2012 को पहली बार विश्व हाथी दिवस मनाया गया था। इस दिन का मुख्य उद्देश्य था लोगों में हाथियों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना, खासकर अफ्रीका और एशिया के देशों में, जहां हाथियों के अस्तित्व को गंभीर खतरे का सामना है। विश्व हाथी दिवस का मुख्य उद्देश्य है।अवैध शिकार और हाथी दांतों के व्यापार को रोकना।आवास की हानि और जंगलों के नष्ट होने के कारण हाथियों के जीवन संकट में डालना।मानव-हाथी संघर्ष के कारण हाथियों की शारीरिक और मानसिक क्षति को कम करना।कैद में शोषण और पर्यटकों के लिए हाथियों का दुरुपयोग करना।हमारी ज़िम्मेदारी: विश्व हाथी दिवस हमें यह याद दिलाता है कि यह हमारी साझा जिम्मेदारी है कि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए इन राजसी जानवरों की रक्षा करें। अगर हम हाथियों के आवास को बचाने और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाते, तो अद्भुत प्रजाति संकट में पड़ सकती है। इस दिन हम संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने कार्यों के द्वारा हाथियों के संरक्षण में मदद करेंगे, ताकि वे भविष्य में भी हमारी साझा जिम्मेदारी है कि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए इन राजसी जानवरों की रक्षा करें। अगर हम हाथियों के आवास को बचाने और मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाते, तो यह अद्भुत प्रजाति संकट में पड़ सकती है। इस दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने कार्यों के द्वारा हाथियों के संरक्षण में मदद करेंगे, ताकि वे भविष्य में भी धरती पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहें।हाथियों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदम: कई देशों में हाथियों के संरक्षण के लिए विभिन्न संवेदनशील कदम उठाए गए हैं। भारत, अफ्रीका और अन्य देशों में सरकारें और वाइल्डलाइफ संगठन मिलकर हाथियों के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। इन प्रयासों में जंगलों का पुनर्निर्माण, हाथी गलियारों का निर्माण और हाथी संरक्षण परियोजनाएं शामिल हैं। साथ ही, शिकारियों और व्यापारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा रही है ताकि हाथियों को किसी भी प्रकार की शिकार और शोषण से बचाया जा सके। ( नक्सलबाड़ी से अशोक झा की रिपोर्ट )
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