- निगम के निर्देशानुसार अब निर्माणाधीन इमारतों के बाहर बोर्ड लगाना अनिवार्य
- अवैध निर्माण हो चुका है क्या उसपर भी कारवाई होगी या मिलेगा अभय दान
- अभी भी निर्देशों को ठेंगा दिखाकर नगर निगम के नाक के नीचे हो रहा अवैध निर्माण
- क्या निर्देश जमीन पर उतरेगा या कागज में ही सिमट कर रह जाएगा?
- इसके पीछे वोटबैंक की राजनीति तो नहीं, भाजपा रख रही है पैनी नजर
बंगाल में 2026 में विधानसभा का चुनाव होना है। इसके पहले जहां सीएम ममता बनर्जी ने सभी ग्रामीण क्षेत्र के प्रतिनिधियों से स्पष्ट किया है कि सड़कों को चकाचक करें। ऐसा नहीं हुआ तो लोग आपको क्यों वोट देंगे? इसी प्रकार सिलीगुड़ी नगर निगम पर टीएमसी के कब्जा के बाद इस क्षेत्र में आने वाला डाबग्राम फूलबाड़ी और सिलीगुड़ी
विधानसभा क्षेत्र पर कब्जा करना चुनावी चुनौती और नाक की लड़ाई बनकर सामने है। नगर निगम के सभी 47 वार्ड में अवैध निर्माण एक बड़ी चुनावी चुनौती हो सकती है। क्योंकि टॉक टू मेयर में अवैध बहुमंजिला भवन और अपार्टमेंट निर्माण शिकायतें आम है। इसे ध्यान में रखकर मेयर सह बिल्डिंग सेल के दायित्व निभाने वाले गौतम देव ने कुछ अहम निर्देश दिए है।
बिल्डिंग प्लान, रेरा पंजीकरण संख्या, एक क्यूआर कोड जिसे स्कैन कर ग्राहक आनलाइन जानकारी प्राप्त कर सकें, ये जानकारियां स्पष्ट रूप से अंकित होंगी। निर्देश की अनदेखी करने वाले बिल्डरों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह निर्देश और पहल को भले ही पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक अहम कदम उठाने वाला बताया जा रहा है। इस निर्देश के बाद शहर में एक प्रश्न तेजी से चर्चा में है क्या यह नियम अब जो बिल्डिंग, घर या अपार्टमेंट बनायेंगे उसके लिए लागू होगा या फिर शहर में अवैध निर्माण हो चुका या हो रहा है उसपर भी लागू होगा? इसका जवाब तो मेयर या नगर निगम के आयुक्त को ही देना होगा। चर्चा है कि शहर के टीएमसी कार्यालय के पास गयागंगा मेडिकल हॉल के पास भवन रिपेयरिंग के नाम पर पूरा बिल्डिंग ही नए सिरे से तैयार हो रहा है। अगर यह पुराने बिल्डिंग की रिपेयरिंग मात्र है तो पुराने और नए बनाए जा रहे कार्य को नगर निगम जनता और मीडिया के सामने प्रदर्शित करें। इसी प्रकार इंदिरा गांधी मैदान के पास सरकारी जमीन पर एक प्रोजेक्ट तैयार हो रहा है। उसकी भी अर्जन पदाधिकारी से जांच कराए तथा सरकारी जमीन पर बन रहे प्रोजेक्ट को रोका जाए। इसके अलावा वार्ड 46 में चंपासारी से लेकर देवीडांगा तक हाईड्रेन पर ही बहुमंजिला भवन निर्माण किया गया है। दागापुर वार्ड नंबर 46 में एक नर्सिंग होम अवैध जमीन पर ही तैयार हो गया।नगर निगम की ओर से नोटिस दिया गया पर जांच के बाद भी आज भी वह निसिंग होम चालू है। इसी तरह महावीर स्थान रेलगेट से सटे एक भवन के बेसमेंट में दुकानें चल रही है। उसके खिलाफ नगर निगम में दर्जनों बार शिकायत की गई पर उसपर कोई कारवाई नहीं हो पाई। इसलिए सवाल उठता है कि क्या नगर निगम अवैध निर्माण को तोड़ने के नाम पर लोगों के आंखों में धूल झोंकने का काम करेगी या बिना भेदभाव, वोट बैंक का नफा नुकसान देखकर कारवाई करेंगी। भाजपा विधायक शंकर घोष और नगर निगम में विपक्ष के नेता अमित जैन का कहना है कि नगर निगम के हर चाल पर बारीकी से नजर है। सभी खामियों को सूचीबद्ध किया जा रहा है। समय पर इसको लेकर बड़ा आंदोलन किया जायेगा। आप सभी को पता होगा कि नगर निगम में प्लास्टिक पूरी तरह प्रतिबंध है। उसका क्या पालन हो रहा है। निजी नर्सिंग होम को लेकर कई अभियान चला, नियम बने पर क्या उसका अनुपालन हो पाया? ई रिक्शा को लेकर आप सभी जानते ही है तो क्या अवैध भवन निर्माण का खेल। ही इसी तहर होता रहेगा या जमीन पर कारवाई दिखाई भी देगा।
क्या है रेरा , कैसे मिल सकता है इससे घर खरीदने वाले को फायदा: नगर निगम ने रेरा का जिक्र किया है इसको जानना जरूरी है। भारत सरकार ने घर खरीदने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए 2016 में RERA अधिनियम पारित किया। इसकी शुरुआत से ही, देश के अधिकांश राज्यों ने घर खरीदने वालों, बिल्डरों, दलालों आदि की चिंताओं को दूर करने के लिए इस पर भरोसा किया है। हालाँकि, पश्चिम बंगाल राज्य एक अपवाद था। RERA पश्चिम बंगाल को लागू करने के बजाय, राज्य ने WBHIRA (पश्चिम बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्री रेगुलेशन एक्ट) शुरू किया। ⁰2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने WBHIRA को 'असंवैधानिक' घोषित किया, जिससे WB RERA के कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस घोषणा के 18 महीने बाद, WB RERA आखिरकार दिसंबर 2022 में चालू हो गया। जबकि ऑफ़लाइन पंजीकरण और शिकायत दर्ज करना तुरंत शुरू हो गया, ऑनलाइन सुविधाएँ फरवरी 2023 में शुरू हुईं। बिल्डरों को भले ही इसके बारे में जानकारी ही परन्तु आम लोग जो घर या फ्लैट खरीदते है उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं है। ( बंगाल से अशोक झा )
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