- यूनुस ने बांग्लादेश में बड़े पदों पर नियुक्त किए 17 हजार इस्लामी कट्टरपंथी
-बांग्लादेश में पाकिस्तान व तुर्किए भी एक्टिव,एर्दोगन का भी बढ़ रहा प्रभाव
भारत की 4000 किमी लंबी सीमा से सटे देश में, भारत के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन चूका है। बांग्लादेशी एक्सपर्ट ने भी भारत को इस खतरे के लिए आगाह किया है। बांग्लादेश के मशहूर पत्रकार सलाहुद्दीन शोएब चौधरी ने भारत को आगाह करते हुए कहा है कि बांग्लादेश की स्थिति इस वक्त काफी गंभीर है और भारत को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा है कि भारत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान भी इस ओर दिलाना चाहिए क्योंकि मोहम्मद यूनुस अगर इसी रास्ते पर आगे बढ़ते रहे तो बांग्लादेश एक इस्लामी देश बन सकता है। इस तरह पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैलेगी और खासतौर पर भारत इससे प्रभावित होगा क्योंकि दोनों देश एक साझा संस्कृति रखते हैं। यूनुस ने बांग्लादेश में बड़े पदों पर नियुक्त किए 17 हजार इस्लामी कट्टरपंथी: शोएब चौधरी का कहना है कि पिछले 11 महीनों में यूनुस सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव किए हैं। पुलिस, बॉर्डर गार्ड और कोस्ट गार्ड में 17,000 नए लोगों की भर्ती की है, जिनका बैक ग्राउंट कट्टर इस्लामी है। उन्होंने अपने लेख में बताया है कि कैसे अपने धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए पहचान रखने वाला बांग्लादेश मोहम्मद यूनुस के शासन में इस्लामीकरण की तरफ बढ़ रहा है। शोएब चौधरी ने बताया कि यूनुस सरकार में कई लोगों को बड़े पदों पर नियुक्त किया गया है, जो साधारण सैल्यूट भी नहीं कर पाते हैं, उनकी योग्यता सिर्फ यही है कि उनकी कट्टरपंथ पृष्ठभूमि है। इनको ट्रेनिंग दी जा रही हैं। यूनुस सरकार में हो रहे इन बदलावों से पता चलता है कि बांग्लादेश की सुरक्षा व्यवस्था में इस्लामीकरण हो रहा है।
बांग्लादेश में पाकिस्तान और तुर्किए भी एक्टिव: बांग्लादेश के इस्लामीकरण में पाकिस्तान और तुर्किए भी मदद कर रहे हैं. एक तरफ पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई है तो दूसरी तरफ तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन का भी प्रभाव बांग्लादेश में बढ़ रहा है। इसी महीने बांग्लादेश ने अंतरराष्ट्रीय मुस्लिम एनजीओ के एक समूह की मेजबानी की, जिसे लेकर मोहम्मद यूनुस ने सोशल मीडिया पोस्ट किया और साफतौर पर लिखा कि इस मीटिंग का मकसद मुस्लिम दुनिया को एकजुट करना है। एर्दोगन का भी बढ़ रहा प्रभाव: मीटिंग में तुर्किए, पाकिस्तान, मलेशिया और इंडोनेशिया के इस्लामी संगठन शामिल हुए थे। उधर, तुर्किए का भी प्रभाव बांग्लादेश में बढ़ रहा है। तुर्किए के रक्षा उद्योग सचिव ने बांग्लादेश के सेना प्रमुख से मुलाकात की, जिसमें तुर्किए ने बांग्लादेश को साथ मिलकर सैन्य उपकरण बनाने का प्रस्ताव दिया था. इसे न सिर्फ बांग्लादेश में बल्कि दक्षिण एशिया में एर्दोगन की विचारधारा को फैलाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान अब पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमाओं से निकलकर बांग्लादेश में सक्रिय भर्ती कर रहा है, जबकि वहां की खुफिया एजेंसियां इस खतरे से पूरी तरह अनजान दिखाई दे रही हैं। हाल ही में दो संदिग्ध आतंकियों की गिरफ्तारी और एक बांग्लादेशी युवक की अफगानिस्तान में मौत से इस नेटवर्क की परतें खुलने लगी हैं। टीटीपी की बांग्लादेश में बढ़ती उपस्थिति, खासकर भारत की 4000 किमी लंबी सीमा से सटे देश में, भारत के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बन चूका है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में सक्रिय आतंकी संगठन टीटीपी अब बांग्लादेश में जड़ें जमा रहा है। जानकारी के अनुसार, दो बांग्लादेशी युवक पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान पहुंचे, जिनमें से एक अहमद जुबैर को अप्रैल 2025 में वज़ीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने मार गिराया। उसका साथी, मोहम्मद फोयसल, जुलाई की शुरुआत में ढाका के पास सावर शहर से गिरफ्तार किया गया है।ढाका स्थित द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार फोयसल ने स्वीकार किया कि उसने जुबैर के साथ अक्टूबर 2024 में अफगानिस्तान की यात्रा की थी। इस यात्रा की योजना इमरान हैदर नामक एक एयरोनॉटिकल इंजीनियर ने बनाई थी, जो अफगानिस्तान में बांग्लादेशी युवकों को ऑनलाइन जिहादी विचारधारा के लिए प्रेरित करता था। बांग्लादेश की एंटी-टेररिज्म यूनिट ने फोयसल और अन्य पांच व्यक्ती इमरान हैदर, रेज़ाउल करीम अबरार, आसिफ अदनान, ज़कारिया मसूद और मो. सनाफ हसन के खिलाफ 5 जुलाई को आतंकवाद निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
14 जुलाई को एयू ने शमीन महफूज़ को नारायणगंज से गिरफ्तार किया गया। शमीन एक कुख्यात आतंकवादी है, जो पहले जमातुल मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) का नेता था और 2019 में जमातुल अंसार फिल हिंदाल शरकिया नामक संगठन की स्थापना की थी। वह पहले 2014 और 2023 में गिरफ्तार हो चुका है और उस पर 10 आपराधिक मामले चल रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, शमीन ने 2020 में अलगाववादी संगठन कुकी-चिन नेशनल फ्रंट (KNF) के नेता नाथन बॉम के साथ चटगांव हिल ट्रैक्ट्स में आतंकी प्रशिक्षण शिविर भी स्थापित किए थे। शमीन और नाथन बॉम दोनों ढाका विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं और करीबी मित्र थे। शमीन को आतंकी सर्कल में "सर" के नाम से जाना जाता है। वह बांग्लादेश ओपन यूनिवर्सिटी में शिक्षक रह चुका है और अभी 5 दिन की रिमांड में है। इस बीच, मलेशिया में भी जून में 36 बांग्लादेशियों को आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े होने पर हिरासत में लिया गया। न्यू स्ट्रेट्स टाइम्स और रॉयटर्स की रिपोर्टों के अनुसार, ये लोग फैक्ट्रियों और निर्माण क्षेत्रों में काम करने के लिए गए थे, लेकिन कुछ को आईएसआईएस और TTP से जोड़ने वाली गतिविधियों में संलिप्त पाया गया। सोशल मीडिया और मैसेजिंग ऐप्स के माध्यम से कट्टरपंथी विचार फैलाए जा रहे थे और e-wallets के ज़रिए सीरिया और बांग्लादेश में फंड ट्रांसफर किया गया। इनमें से 5 लोगों पर आतंकी संगठन से संबंध रखने का मुकदमा चल रहा है, जबकि 15 को बांग्लादेश भेजने की तैयारी है और 16 अभी जांच में हिरासत में हैं। बांग्लादेश 2016 में ढाका के होली आर्टिज़न बेकरी हमले जैसी चरमपंथी घटनाएं झेल चुका है, जिसमें 22 नागरिक मारे गए थे। मौजूदा घटनाक्रम यह साफ करता है कि राजनीतिक अस्थिरता के बाद चरमपंथी नेटवर्क दोबारा सिर उठा रहे हैं।एक बहुत पुरानी कहावत है कि जिस दिन आप अपनी संस्कृति को भूलने लगते हैं, उससे दूर होने लगते हैं, उसी दिन से आप अपने आप को नीचे गिराने लगते हैं।यदि इस नजरिये से देखें तो बांग्लादेश के सत्ता प्रमुख मोहम्मद यूनुस इस वक्त बांग्लादेश की कब्र खोदने में लगे हैं।इसे पूर्णलक्ष्मी भवन के नाम से भी जाना जाता था. इसी साल जून में दंगाइयों ने म्यूजियम में तब्दील हुए सत्यजित रे के इस मकान को क्षतिग्रस्त कर दिया था. भारत सरकार ने इस पर आपत्ति ली थी और अपना विरोध दर्ज कराया था. भवन गिराए जाने से पूर्व भारत ने बांग्लादेश सरकार से पुनर्विचार की भी अपील की थी लेकिन मो. यूनुस को तो हर उस काम में मजा आता है जिससे भारत की भावनाएं आहत होती हैं. लेकिन मोहम्मद यूनुस को क्या इस बात का जरा सा भी मलाल नहीं है कि उन्होंने केवल सत्यजित रे का मकान नहीं ध्वस्त किया है बल्कि उन्होंने बंगाली अस्मिता के एक प्रतीक को ध्वस्त किया है! हालांकि सत्यजित रे को केवल बांग्लादेशी अस्मिता के दायरे में रखना उनके प्रति नाइंसाफी होगी क्योंकि वे तो भूरे अविभाजित भारत की अस्मिता के प्रतीक थे. मगर स्वाभाविक रूप से बांग्ला बोलने वाले लोग उनकी भाषा में अपनी संस्कृति की तासीर महसूस करते रहे हैं। चाहे वो भारत के बांग्ला भाषी हों या फिर बांग्लादेश के बांग्ला भाषी! मगर मोहम्मद यूनुस धार्मिक कट्टरता और संकीर्णता की ऐसी अंधी गली में प्रवेश कर चुके हैं कि विरासत का उजाला उन्हें पसंद ही नहीं है. इसमें किसी को कोई संदेह नहीं कि जिस दिन वक्त बदलेगा, बांग्लादेश की किस्मत फिर से चमकेगी, उस दिन मो. यूनुस को एक काले अध्याय की तरह कूड़ेदान में डाल दिया जाएगा।आखिर कोई शख्स ऐसा कैसे कर सकता है कि जिस देश ने उसकी बहन बेटियों के साथ लाखों की संख्या में बलात्कार किए हों, कई लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया हो, उसी के साथ सत्ता का ये लोभी व्यक्ति गलबहियां डाले घूम रहा है।
लेकिन सवाल यह है कि वह कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन इतिहास के तथ्यों को कैसे भुला सकता है कि पाकिस्तानियों ने भाषा के नाम पर बांग्लादेश पर जुल्म किया। मो. यूनुस के बदलने से कभी इतिहास बदल नहीं सकता। बांग्लादेश में सत्यजित रे का मकान भले ही गिरा दिया गया है लेकिन उनके काम को नेस्तनाबूद करने की ताकत तुम में नहीं है यूनुस!
तुम धार्मिक कट्टरता के आधार पर जुल्म कर सकते हो लेकिन बांग्लादेशी संस्कृति को मिटा नहीं सकते. और जहां तक तुम्हारा सवाल है तो अब कोई भी बांग्लादेशी तुम्हें शायद ही बांग्लादेशी मानेगा. तुमने एक घर नहीं, विरासत को गिराया है. इसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए, कम है। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
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