- शेख हसीना की बात सच साबित हो रही है कि आतंकियों के द्वारा चल रही बांग्लादेश सरकार
पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश में नित नए प्रयोग से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बांग्लादेश को क्या पूर्वी पाकिस्तान बनाने की कवायत हो रही है?क्या शेख हसीना को हटाने के लिए भारत विरोधी आतंकी संगठन ने खेला किया था? क्या शेख हसीना की बात सच है कि बांग्लादेश में आतंकियों की हुकूमत है।मोहम्मद युनुस एक मोहरा भर है। ऐसा इसलिए भी माना जा सकता है क्योंकि एक बार फिर बांग्लादेश के टाका (रुपए) से शेख मुजीबुर्रहमान का चित्र हटाने का निर्णय लिया गया है। वही दूसरी ओर मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद से जुड़े प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के वरीय आतंकी का दावा है कि बांग्लादेश को फिर से पूर्वी पाकिस्तान बनाया जाएगा। जो जानकारी आ रही है उसके अनुसार नोट श्रृंखला में हिंदू और बौद्ध मंदिरों, स्वर्गीय जैनुल आबेदीन की कलाकृतियों, और 1971 के मुक्ति संग्राम के राष्ट्रीय शहीद स्मारक की तस्वीरें शामिल की गई हैं। बैंक ने शुरुआत में तीन मूल्यवर्ग के नोट जारी किए हैं और आगे अन्य नोटों को भी चरणबद्ध तरीके से पेश किया जाएगा।मुजीब की यादें मिटाने की कवायद: शेख मुजीबुर रहमान, जिन्हें ‘बंगबंधु’ कहा जाता है, बांग्लादेश के संस्थापक नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता हैं. 1972 में देश की आज़ादी के बाद जारी की गई पहली बैंक नोट श्रृंखला में उनका चित्र शामिल किया गया था. तब से अधिकांश बांग्लादेशी नोटों पर उनकी छवि रही है, विशेषकर जब अवामी लीग सत्ता में रही। हालांकि अब शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने और यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद, विपक्ष इसे राष्ट्रपिता की स्मृति मिटाने की कोशिश करार दे रहा है। यह कदम शेख मुजीब की विरासत को सीमित करने की दिशा में एक राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
पहले भी बदली गई थी मुद्रा: यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश की मुद्रा में बदलाव किया गया है. 1972 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता मिलने के बाद बांग्लादेश ने नई मुद्रा पेश की थी, जिसमें देश का नक्शा अंकित था. बाद के वर्षों में, विभिन्न सरकारों के दौर में नोटों पर ऐतिहासिक स्थलों, सांस्कृतिक प्रतीकों और राजनीतिक नेताओं की तस्वीरें जोड़ी और हटाई जाती रही हैं। वही दूसरी ओर मास्टरमाइंड हाफिज सईद से जुड़े प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (JuD) के वरिष्ठ नेताओं ने दावा किया है कि उन्होंने पिछले साल बांग्लादेश में हुए बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटना पड़ा। इस दावे ने क्षेत्रीय राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।
हाफिज सईद के सहयोगियों का उत्तेजक बयान: JuD के नेताओं सैफुल्लाह कसूरी और UN द्वारा नामित आतंकवादी मुजम्मिल हाशमी ने इस सप्ताह अपने जोशीले भाषणों में ये दावे किए। कसूरी ने राहिम यार खान के इलाहाबाद में समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, "मैं चार साल का था जब 1971 में पाकिस्तान का विभाजन हुआ था. तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने घोषणा की थी कि उन्होंने खलीज (बंगाल की खाड़ी) में दो-राष्ट्र सिद्धांत को डुबो दिया. 10 मई को... हमने 1971 का बदला ले लिया." कसूरी का इशारा 1971 के मुक्ति संग्राम की ओर था, जिसमें बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) ने भारतीय सैनिकों और बांग्लादेशी स्वतंत्रता सेनानियों के संयुक्त प्रयासों से स्वतंत्रता हासिल की थी। भारतीय हवाई हमले में JuD सदस्य की मौत: कसूरी ने अपने भाषण में खुलासा किया कि उनके सहयोगी मुदस्सर की 7 मई को मुरिदके में भारतीय हवाई हमले में मौत हो गई, जो JuD और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुख्यालय है. यह हमला 'ऑपरेशन सिंदूर' का हिस्सा था, जो 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले (जिसमें 26 लोग मारे गए) के जवाब में किया गया था। कसूरी ने भावुक होकर कहा, "मुझे उसके अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत नहीं थी।उस दिन मैं बहुत रोया." हालांकि, उसने यह नहीं बताया किया उसे किसने रोका। पाकिस्तानी अधिकारियों की मौजूदगी: हैरानी की बात है कि मुदस्सर और दो अन्य JuD सदस्यों के अंतिम संस्कार में पंजाब प्रांत के सैन्य, पुलिस और नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी की खबरें थीं, जिसे मीडिया ने भी कवर किया। कसूरी ने कहा, "पहलगाम हमले के समय मैं अपने क्षेत्र में लोगों से मिल रहा था। भारत ने मुझे इस हमले का मास्टरमाइंड बताया और मेरे शहर कसूर को दुनिया में मशहूर कर दिया।" उन्होंने आगे कहा, "हम अगली पीढ़ी को जिहाद के लिए तैयार कर रहे हैं... हमें मरने का डर नहीं है। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन: गुजरांवाला में एक अन्य कार्यक्रम में मुजम्मिल हाशमी ने भारतीय नेतृत्व को संबोधित करते हुए दावा किया, "हमने पिछले साल बांग्लादेश में आपको हराया." उनका इशारा 5 अगस्त को शेख हसीना के सत्ता से हटने की ओर था, जो छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद हुआ। हसीना इसके बाद भारत भाग गई थीं, और तीन दिन बाद मुहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार का पद संभाला। पाकिस्तान-बांग्लादेश संबंधों में सुधार: हसीना के जाने के बाद पाकिस्तान और बांग्लादेश के कूटनीतिक संबंधों में सुधार की खबरें हैं। हालांकि, JuD नेताओं के इन भड़काऊ बयानों पर पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक हुसैन हक्कानी ने कहा, "जिहादी चरमपंथियों की सार्वजनिक रैलियों में की गई बयानबाजी से यह विश्वास करना मुश्किल हो जाता है कि पाकिस्तान अब उनकी सहायता या समर्थन नहीं करता। शेख हसीना का इस्तीफा: बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्युनल के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने हाल ही में हसीना के इस्तीफे से जुड़े विवरण साझा किए. प्रोथोम आलो में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सैन्य अधिकारियों ने हसीना से और रक्तपात रोकने के लिए इस्तीफा देने को कहा था. हसीना ने शुरू में मना किया और कहा, "मुझे यहीं, गणभवन में गोली मार दो और दफना दो." अंततः, उनके बेटे के समझाने पर वह ढाका से भाग गईं। (बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
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