"जय श्रीराम" राम मंदिर आंदोलन का वह नारा था जिससे राम भक्तों में जोश भरता था। उसके बाद यह नारा आम बोलचाल में एक सनातनी दूसरे सनातनी से मिलने पर बोलकर उनमें जोश भरते थे। लेकिन बंगाल में यह नाम अब आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। आपको याद होगा कि वर्षों पूर्व जयश्री राम के नारे से परेशान राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बीच सड़क पर गाड़ी से उतरकर नारे लगाने वाले को पकड़ने का निर्देश दी थी। उसके बाद बंगाल में भाजपा या उससे जुड़ी कोई भी संगठन इसे नारा के तौर पर इस्तेमाल करने लगी। सांसद और विधायक तो दूर खुद पीएम भी अपनी सभाओं में जय श्री राम का जयघोष करने लगे। ऐसा ही कुछ 31 मई को माटीगाड़ा तुम्बाजोत में हुआ। यहां एक धर्म विशेष के लोगों द्वारा सनातनी घरों में तोड़फोड़ किए जाने के बाद माहौल तनावपूर्ण था। इसी बीच सिलीगुड़ी के एसीपी देवाशीष बोस वहां पहुंचे। भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की। कुछ लोग मीडिया से अपना बयान दे रहे थे। उनको देखकर कुछ युवाओं में जय श्री राम के नारे लगाने लगे? एसीपी ने अपना आपा खो दिया और नारा लगाने वाले को देख लेने की धमकी दे डाली। इसके बाद यह नारा और बुलंदी से लगाया जाने लगा। उसके बाद उन्होंने कहा कि दिन में जितना जय श्रीराम कहना है कहो रात को जय श्री राम हम बुलाएंगे। इस बात को वहां पहुंचे सांसद और विधायक से लोगों ने शिकायत करते हुए बताया। सांसद ने इस मामले को राज्यपाल समेत राज्य के आलाधिकारियों तक लिखित पहुंचाया। इसी बात को लेकर बंगाली हिंदू महामंच के बैनर तले शाम को सिलीगुड़ी थाने के सामने प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारी धार्मिक वाद्ययंत्र लेकर जय श्रीराम के नारे के साथ घंटों प्रदर्शन कर पुलिस अधिकारी पर कारवाई की मांग की। प्रदर्शन के साथ कल होने वाले बंद को सफल बनाने के लिए भी जय श्रीराम के नारे लगाए गए। ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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