इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेशानुसार, आवासीय इलाके में पावरलूम या अन्य शोर पैदा करने वाले कारखानों को नहीं लगने देने और लग जाने पर उसे बंद कराने की जिम्मेदारी स्थानीय विकास प्राधिकरण की है. जी हाँ, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एक दंत विहीन विभाग है और वह जनता की शिकायत पर स्थलीय निरीक्षण करके, कारखाने को बंद करने की संस्तुति (Recommendation) भर करता है, मगर बंद कराने की जिम्मेदारी, विकास प्राधिकरण की है. इन सब बातों को स्पष्ट करने के लिए, ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने वाली संस्था 'सत्या फाउंडेशन' ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की प्रति के साथ, गत दिनों, वाराणसी विकास प्राधिकरण के अपर सचिव परमानंद यादव से VDA कार्यालय में मुलाकात की.
चित्र में (बायें से दायें):-
श्री परमानंद यादव, अपर सचिव, वाराणसी विकास प्राधिकरण; चेतन उपाध्याय, संस्थापक सचिव, सत्या फाउंडेशन; श्री हर्ष; श्रीमती रेनू श्रीवास्तव; श्री नीरज कुमार सिंह
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