- आतंकी संगठन तैयार किया है जिसका नाम है 'तहरीक-ए-तालिबान कश्मीरीस्तान
आतंक के नए चेहरे से हर हिन्दुस्तानी को सतर्क रहने की जरूरत: भारत के खिलाफ चल रही आतंकी साजिशें लगातार अपने रूप और नाम बदल रही हैं। TTK जैसे संगठन ISI की नई रणनीति का हिस्सा हैं, जिनका उद्देश्य आतंकवाद को छद्म रूप में जिंदा रखना है। भले ही जैश और लश्कर पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा हो, लेकिन पाकिस्तान अब नए नकाब में वही आतंकवाद आगे बढ़ा रहा है। भारत के लिए यह समय है कि वह सिर्फ पारंपरिक आतंकी संगठनों पर ही नहीं, बल्कि नवगठित संगठनों की डिजिटल गतिविधियों, प्रचार सामग्री और संदिग्ध बयानों पर भी पैनी नजर रखे। कश्मीर में शांति और स्थायित्व को बरकरार रखने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को TTK जैसे खतरनाक प्रयोगों पर तत्काल और कड़े एक्शन लेने की जरूरत है। भारत द्वारा चलाए गए प्रभावशाली 'ऑपरेशन सिंदूर' में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचने के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI अब एक नई साजिश रच रही है। इस बार ISI ने जम्मू-कश्मीर में मृतप्राय आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए एक नया आतंकी संगठन तैयार किया है जिसका नाम है 'तहरीक-ए-तालिबान कश्मीरीस्तान (TTK)'।
कौन है TTK का कमांडर?: इस नए आतंकी संगठन TTK का नेतृत्व कर रहा है मूसा गजनवी, जो पहले लश्कर-ए-तैयबा के चर्चित और कट्टर आतंकियों में गिना जाता था। मूसा ने सोशल मीडिया के ज़रिए TTK का पोस्टर, बयान, और एक वीडियो संदेश जारी किया है, जिसमें उसने दावा किया है कि TTK पाकिस्तान या कश्मीर के खिलाफ नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ बनाया गया संगठन है। गजनवी ने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल की कवर फोटो पर TTK का नाम और उद्देश्यों को दर्शाया है, और खुलेआम यह कहा है कि उनका उद्देश्य "भारत के खिलाफ जिहाद" करना है। प्रवक्ता महबूब बट और गुलाम-कश्मीर से बयान: TTK के प्रवक्ता के रूप में महबूब बट का नाम सामने आया है, जिसे सोपोर निवासी बताया जा रहा है। हालांकि, अभी तक इस संगठन ने कश्मीर घाटी में अपनी कोई सक्रिय उपस्थिति नहीं दिखाई है, और जो बयान सोशल मीडिया पर आया है, वह गुलाम जम्मू-कश्मीर से जारी किया गया प्रतीत होता है। TTK की गतिविधियां फिलहाल ऑनलाइन प्रचार तक सीमित हैं, लेकिन इससे यह संकेत अवश्य मिलता है कि ISI आतंकवाद को एक नई पहचान और नए चेहरे के साथ कश्मीर में फिर से सक्रिय करने की कोशिश कर रही है।TTK का घोषित उद्देश्य: भारत के खिलाफ जिहाद और कश्मीर में शरिया की बहाली: सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए अपने बयान में मूसा गजनवी ने कहा है कि: "हमारा जिहाद भारत के खिलाफ है। हमारा उद्देश्य कश्मीर की आज़ादी और शरिया कानून की बहाली है। हम अन्य जिहादी संगठनों और मुजाहिदीन के साथ मिलकर लड़ाई जारी रखेंगे, लेकिन यह केवल कश्मीर की धरती तक सीमित रहेगी।" गजनवी ने यह भी कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र की सिफारिशों के अनुसार जनमत संग्रह की वकालत करते हैं, और आरोप लगाया है कि पाकिस्तानी सेना ने भारतीय एजेंडे पर चलते हुए उनके जिहाद और जिहादी संगठनों को दबाया है। ISI और पाकिस्तानी सेना की मिलीभगत: रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक अशकूर वानी के अनुसार, ऐसा कोई आतंकी संगठन पाकिस्तानी सेना और ISI की अनुमति के बिना खड़ा नहीं हो सकता। उनका मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद लश्कर और जैश जैसे संगठनों को भारी क्षति पहुंची है, जिससे अब वे अपने छद्म संगठनों - जैसे TRF (The Resistance Front), PAFF (People's Anti-Fascist Front), कश्मीर टाइगर्स, गजनवी फोर्स - के नाम पर भी खुलकर गतिविधियां नहीं चला पा रहे हैं।ISI को यह डर सता रहा है कि यदि जैश और लश्कर फिर से किसी आतंकी वारदात में सामने आते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पर गंभीर पाबंदियां लग सकती हैं। इसी रणनीति के तहत ISI ने TTK जैसे नए संगठन की रचना की है, जिसे वे "तालिबानी संगठन" के तौर पर प्रस्तुत कर पाकिस्तान की भूमिका से खुद को अलग दिखाने की कोशिश करेंगे। नाम के पीछे की चाल: विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस आतंकी संगठन का नाम जानबूझकर "तहरीक-ए-तालिबान कश्मीरीस्तान" रखा गया है ताकि इसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे कट्टरपंथी संगठनों के साथ जोड़ा जा सके। TTP पहले से ही पाकिस्तानी सेना और सरकार के खिलाफ हमले करता आ रहा है। यदि TTK भविष्य में किसी आतंकी घटना को अंजाम देता है, तो पाकिस्तान इसे यह कहकर पल्ला झाड़ सकता है कि यह तो तालिबानी विचारधारा वाला संगठन है और पाकिस्तान इससे लड़ रहा है। ( हिंदुस्तान की सरहद से अशोक झा की रिपोर्ट )
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