ईरान के किसी भी परमाणु संयंत्र को अमेरिका या इस्राइल का कोई हथियार नुकसान नहीं पहुंचा सकता। जानते हैं क्यों? जवाब है ईरान का मजबूत सीमेंट।
तो चलिए, समझते हैं कि ईरान का सीमेंट इतना खास क्यों है? इससे बनीं परमाणु संयंत्र की दीवारें इतनी मजबूत कैसे हैं कि कोई तोड़ नहीं सकता?
ईरान का खास सीमेंट, जिसे अल्ट्रा-हाई-परफॉर्मेंस कंक्रीट यानी UHPC कहते हैं, वो इतना तगड़ा है कि सात गुना ज्यादा ताकतवर है। मान लो, आम सीमेंट 4000 पाउंड का दबाव झेल सकता है, तो ये UHPC 30,000 पाउंड तक झेल लेता है। यानी, इसे तोड़ना या फोड़ना आसान नहीं।
इसे बनाने में ढेर सारी खास चीजें डालते हैं, जैसे पोर्टलैंड सीमेंट, सिलिका फ्यूम, क्वार्ट्ज फ्लोर, बारीक रेत और कुछ इस्पात या प्लास्टिक के पतले-पतले तार। ये सब मिलकर इसे ऐसा बनाते हैं कि न इसमें दरारें पड़ती हैं, न ये आसानी से टूटता है। और हां, ये नमक या रसायनों से होने वाले नुकसान को भी 100 गुना बेहतर तरीके से रोकता है।
ईरान में भूकंप बहुत आते हैं। वहां की जमीन हिलती रहती है। तो उनके लिए ऐसा सीमेंट चाहिए जो भूकंप में भी इमारतों को बचा ले। ये UHPC ऐसा ही है। ये न सिर्फ भूकंप से बचाता है, बल्कि दीवारों को इतना मजबूत बनाता है कि बम भी आसानी से नहीं तोड़ पाते। यही बात हमें ईरान के परमाणु संयंत्रों की तरफ ले जाती है।
ईरान के परमाणु संयंत्र नतांज, फोरडो, अराक और बूशहर में हैं। इनमें से कई संयंत्र जमीन के बहुत नीचे बने हैं, यानी 80-90 मीटर गहरे। अब इतनी गहराई में कोई बम पहुंचे भी, तो उसे तोड़ने के लिए बहुत ताकत चाहिए। और यहां UHPC की मजबूती काम आती है।
ये सीमेंट इतना सख्त है कि बड़े-बड़े बम, जिन्हें बंकर-बस्टिंग बम कहते हैं, वो भी इसे आसानी से नहीं भेद पाते। एक टेस्ट में देखा गया कि 13 टन का ऐसा बम आम सीमेंट में 180 फीट तक घुस सकता है, लेकिन अगर सीमेंट दो गुना मजबूत हो, तो सिर्फ 25 फीट। और UHPC तो सामान्य सीमेंट से कई गुना ज्यादा ताकतवर है।
अब बात करते हैं कि इसे भेदना क्यों मुश्किल है। मान लो, दुश्मन देश इन संयंत्रों पर हमला करना चाहे। वो बम फेंकेगा, लेकिन अगर दीवारें UHPC की बनी हैं और संयंत्र जमीन के इतने नीचे है, तो बम का असर कम हो जाता है। पिछले 3 दिनों में इस्राइल ने ईरान के कई परमाणु संयंत्रों पर हमले किए। लेकिन 80-90 मीटर गहरे संयंत्रों को कोई नुकसान नहीं हुआ। ये खबर IAEA, यानी इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी ने भी दी। इसका मतलब है कि UHPC और गहरी जमीन का कॉम्बिनेशन इन जगहों को लगभग अजेय बना देता है।
लेकिन भाई ऐसा बिल्कुल मत सोचिए कि ये सीमेंट सिर्फ परमाणु संयंत्रों के लिए बना है। ईरान में इसका इस्तेमाल पुल, बांध और बड़ी-बड़ी इमारतें बनाने में भी होता है। क्योंकि वहां भूकंप का डर रहता है, तो ये सीमेंट इमारतों को गिरने से बचाता है। ये एक तरह से दोहरा फायदा देता है, एक तरफ आम लोगों की जिंदगी बचाता है, दूसरी तरफ सैन्य ठिकानों को सुरक्षित रखता है।
यही बात अमेरिका, इस्राइल को चिंता में डालती है। वो सोचते हैं कि ईरान इस सीमेंट का इस्तेमाल परमाणु हथियारों को छुपाने के लिए कर रहा है।
अब थोड़ा पीछे चलते हैं। ईरान का सीमेंट उद्योग 1933 से शुरू हुआ, जब डेनमार्क की एक कंपनी ने वहां पहला कारखाना लगाया। आज ईरान इतना सीमेंट बनाता है कि वो दुनिया के टॉप देशों में गिना जाता है। 2020 में उसने 60 मिलियन टन सीमेंट बनाया। पहले-पहल ईरान में लोग सरूज और हाइड्रोलिक लाइम जैसी चीजें इस्तेमाल करते थे। ये पुराने जमाने का सीमेंट था, जो बांध और बंदरगाह बनाने में काम आता था। उसकी ताकत ने ही आज के UHPC की नींव रखी।
UHPC बनाना आसान नहीं है। इसे बनाने में 48 घंटे तक भाप में पकाना पड़ता है, ताकि वो अपनी पूरी ताकत पा सके। और हां, ये आम सीमेंट से 10 गुना महंगा भी है। इसलिए इसे हर जगह नहीं इस्तेमाल करते। लेकिन जहां भी इसकी जरूरत पड़ती है, जैसे परमाणु संयंत्र या बड़े पुल, वहां ये कमाल कर देता है। कुछ लोग कहते हैं कि ईरान ने इस सीमेंट में नैनोपार्टिकल्स भी डाले हैं, जो इसे और चार गुना मजबूत बना सकते हैं। लेकिन ये अभी सिर्फ अनुमान है, क्योंकि इसके टेस्ट की खबरें पूरी तरह पक्की नहीं हैं।
ईरान का सीमेंट बाहर भी बिकता है, लेकिन कभी-कभी इसकी क्वालिटी पर सवाल उठते हैं। मिसाल के तौर पर, पाकिस्तान में कुछ लोग कहते हैं कि ईरान से तस्करी करके लाया गया सीमेंट ठीक नहीं था। फिर भी, ईरान के लिए ये उद्योग बहुत जरूरी है, क्योंकि ये उनकी अर्थव्यवस्था का हिस्सा है और उनके ढांचों को मजबूत बनाता है।
तो भाई लोग, अब तो समझ गए होंगे? ईरान का सीमेंट इसलिए बेस्ट है क्योंकि वो सुपर मजबूत है, भूकंप और बम दोनों से लड़ सकता है। और उसके परमाणु संयंत्र इसलिए सुरक्षित हैं क्योंकि वो इस सीमेंट से बने हैं और जमीन के बहुत नीचे हैं। इसे तोड़ना ऐसा है जैसे किसी ने सुपरमैन को लात मारकर गिराने की कोशिश की! लेकिन हां, इसकी ताकत की वजह से दुनिया में थोड़ी हलचल भी है, क्योंकि कुछ देशों को डर है कि ईरान इसका गलत फायदा उठा सकता है। पर जो भी हो, ये सीमेंट अपने आप में एक कमाल की चीज है, जो न सिर्फ इमारतें बचाता है, बल्कि ईरान की ताकत को भी दिखाता है।
और एक बात भाई। ईरान की मिसाइल सिस्टम को भी हल्के में मत आंकना... अमेरिका, इस्राइल और बाकी सबकी तबीयत हरी करने की ताकत है उसमें।
बाकी युद्ध का मज़ा लेते रहिए। युद्ध नहीं, ये बिजनेस का खेल है। हथियारों का दिखावा है कि मार्केट में खरीदार मिले। और अमेरिका क्या पूरी दुनिया जोर लगा दे, तब भी ईरान के परमाणु संयंत्र बम से तो नहीं उड़ा सकते...😃
( देश के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप की रिपोर्ट )
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