- भारत निर्णायक लड़ाई के मूड में, बैठकों का दौर शुरू
- पाक को चार हिस्सों में बांटने की तैयारी में भारत
पाकिस्तान ने लगातार दूसरे दिन भारत पर ड्रोन्स और मिसाइल से हमले किए। शुक्रवार को शाम होते ही पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के 6 सेक्टर उरी, तंगधार, केरन, मेंढर, नौगाम, आरएसपुरा, अरनिया और पुंछ में फायरिंग शुरू कर दी। रात 8:30 बजे पंजाब के फिरोजपुर, अमृतसर में मिसाइल अटैक किया। इसे नाकाम कर दिया गया। उधर, राजस्थान के पोकरण, जम्मू के सांबा में भी ड्रोन हमला किया गया। उधर, चंडीगढ़ और अंबाला में हवाई हमले की चेतावनी दी गई है। चंडीगढ़ में सेना की वेस्टर्न कमांड है, NIA का भी दफ्तर है। अंबाला में एयरफोर्स स्टेशन है।पंजाब के फिरोजपुर और राजस्थान के जैसलमेर में कम्प्लीट ब्लैकआउट कर दिया गया है।केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है। इसमें कहा गया है कि सेना प्रमुख चाहें तो वे टेरिटोरियल आर्मी (TA) के अफसरों-जवानों को बुला सकते हैं। TA अर्धसैनिक बल है, जो जरूरत पड़ने पर सेना की सहायता करते हैं।गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इमरजेंसी पावर का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नेवी चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और CDS अनिल चौहान ने ताजा हालात की जानकारी दी।
गृह मंत्री ने भी BSF, CISF के अफसरों के साथ मीटिंग की। उन्होंने भारत-पाकिस्तान बॉर्डर और एयरपोर्ट्स की सिक्योरिटी की जानकारी ली। कृषि मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी तैयारियों को लेकर मीटिंग की।नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तानी फौज 3 दिन से लगातार फायरिंग कर रही है। इसमें 17 नागरिकों की मौत हुई है। इसमें 5 बच्चे भी शामिल हैं। कई इमारतों और गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों सेनाओं के पूर्व प्रमुखों से अपने आवास पर डेढ़ घंटे मुलाकात की।तेल कंपनियां IOC, BPCL और HPCL ने अलग-अलग बयानों में कहा कि देश में पेट्रोल और डीजल का पर्याप्त स्टॉक है। घबराकर खरीदारी करने की कोई जरूरत नहीं है। इस बीच कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश में अनाज का पर्याप्त भंडार है।भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है. पाकिस्तान ने कल की तरह ही हरकत शुरू कर दी है. जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन हमला और गोलीबारी शुरू कर दी है. जम्मू में तो सीएम उमर अब्दुल्ला ने पुष्टि की है कि धमाकों की आवाजें सुनाई दे रही है. जम्मू-श्रीनगर, पठानकोट, फिरोजपुर में ब्लैकआउट है. लगातार सायरन बज रहे हैं. फिरोजपुर में भारतीय सेना ने कुछ पाकिस्तानी ड्रोन मार गिराए गए हैं. इसके साथ ही पोखरण में भी ड्रोन हमले की खबर है. वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी ने तीनों सेना प्रमुखों, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, एनएसए अजित डोभाल के साथ बैठक की है. राजौरी में भी ब्लैकआउट की बीच फायरिंग की जबरदस्त आवाजें आ रही हैं।पाकिस्तान के विभाजन की बात अक्सर राजनीतिक बयानबाजी और अटकलों में उठती है, विशेष रूप से बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्रों में अलगाववादी आंदोलनों के संदर्भ में. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने 27 अप्रैल 2025 को दावा किया कि 2025 के अंत तक पाकिस्तान चार हिस्सों में बंट जाएगा, और योगी आदित्यनाथ ने भी ऐसा ही दावा किया है. हालांकि, इन दावों के पीछे कोई ठोस आधार नहीं हैं. पर क्या 1971 के पहले किसी भारतीय या पाकिस्तानी ने सोचा था कि बांग्लादेश अलग देश बनेगा. 2019 से पहले कोई भारतीय ये सोचता था कि कश्मीर से 370 खत्म किया जा सकेगा. आज से 10 साल पहले अयोध्या में राम मंदिर बनने की बात भी किसी के गले नहीं उतरता था. दरअसल कोई भी ऐतिहासिक कार्य नेतृत्व की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है. 1971 की लड़ाई में बांग्लादेश बनना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की इच्छा शक्ति का ही कमाल था. इंदिरा ने बांग्लादेश बनने से पहले राजाओं के प्रिवपर्स और बैंकों का राष्ट्रीयकरण करके अपनी इच्छाशक्ति का परिचय दे दिया था. ठीक उसी तरह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनुच्छेद 370 की समाप्ति, वक्फ संशोधन अधिनियम, तीन तलाक का खात्मा, एनआरसी , नोटबंदी आदि लागू करके अपनी इच्छाशक्ति का परिचय पूरी दुनिया को दिया है. जाहिर है कि एक बार फिर देश को मजबूत और दृण इच्छाशक्ति वाला नेतृत्व मिला है. इसलिए कुछ भी असंभव को संभव किया जा सकता है।पाकिस्तान में बलूच अलगाववादी आंदोलन जिस तरह आजकल चरम पर है वो 1971 के पूर्वी पाकिस्तान में चल रहे आंदोलन की याद दिला रहा है.बलूच आर्मी के आगे पाकिस्तानी आर्मी हर रोज मात खा रही है. बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार बिल्कुल नाममात्र की रह गई है. बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसियों अब दमन करने में सक्षम नहीं रह गई हैं. भारत ने जिस तरह सिंधु जल संधि को स्थगित किया है वो पाकिस्तान में भविष्य में गृहयुद्ध का कारण बन सकता है। बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, लेकिन आर्थिक और राजनीतिक रूप से उपेक्षित रहा है. यहां बलूच नेशनलिस्ट आंदोलन सक्रिय है, जो पाकिस्तान से स्वतंत्रता या अधिक स्वायत्तता की मांग करता है. बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) जैसे समूह पाकिस्तानी सेना के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध लड़ रहे हैं. बलूच आबादी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान सरकार के खिलाफ है, जो 1971 में पूर्वी पाकिस्तान की तरह भारत के लिए अनुकूल स्थिति हो सकती है.बलूचिस्तान में संसाधनों की लूट जैसे ग्वादर पोर्ट और प्राकृतिक गैस ने स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ाया है.इसके साथ ही बलूचिस्तान की सीमा ईरान और अफगानिस्तान से लगती है, जहां से पाकिस्तान को अतिरिक्त दबाव का सामना करना पड़ सकता है। ( बोर्डर से अशोक झा )
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