- एक न्यूट्रॉन न्यूक्लियर के एटम को विभाजित करता छोटे टुकड़ों में
- न्यूक्लियर बम न्यूक्लियर फ्रैगमेंटेशन के सिद्धांत पर करता है काम
- जिसमें गर्मी पहुंच सकती है लाखों डिग्री सेंटीग्रेट तक
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। जहां एक तरफ भारत सिर्फ सैन्य और आतंकी ठिकानों को निशाने पर ले रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान भारत के रिहायशी और सैन्य दोनों तरह के इलाकों में मिसाइल और ड्रोन से हमले कर रहा है। इसी बीच पाकिस्तान ने नेशनल कमांड अथॉरिटी की मीटिंग होने की खबर है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान की ये एथॉरिटी न्यूक्लियर मामले पर विचार करने के लिए होती है। ऐसे हर किसी के मन में सवाल आ रहा है कि आखिर न्यूक्लियर हमला होने पर क्या होता है? क्या होता है न्यूक्लियर बम में? न्यूक्लियर अटैक इंसानों पर अब तक जितने भी हमले हुए उसमें सबसे खतरनाक माना जाता है। न्यूक्लियर से न्यूक्लियर ऊर्जा मुक्त करने के दो प्राथमिक तरीके हैं: फ्रैगमेंटेशन और फ्यूजन। न्यूक्लियर फ्रैगमेंटेशन में, एक न्यूट्रॉन न्यूक्लियर के एटम को छोटे टुकड़ों में विभाजित करता है। इस प्रक्रिया में आमतौर पर यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 जैसे दो अणुभार वाले तत्व शामिल होते हैं। दूसरी ओर, न्यूक्लियर फ्यूजन छोटे न्यूक्लियर, अक्सर ड्यूटेरियम और ट्रिटियम जैसे हाइड्रोजन अणुओं को मिलाकर बड़े न्यूक्लियर बनाता है। कैसे काम करता है न्यूक्लियर बम?: न्यूक्लियर बम न्यूक्लियर फ्रैगमेंटेशन के सिद्धांत पर काम करता है। जब एक फ्री न्यूट्रॉन यूरेनियम या प्लूटोनियम जैसे रेडियो एक्टिव पदार्थों के एटम से टकराता है, तो यह एक्स्ट्रा न्यूट्रॉन और एनर्जी रिलीज करता है। ये नए फ्री न्यूट्रॉन फिर अन्य एटॉमिकों से टकराते हैं, जिससे कुछ ही सेकेंड में एक तेज़ रिएक्शन होता है जो भयानक एनर्जी पैदा करता है। जिसमें रोशनी, गर्मी और रेडियो एक्टिव तत्व बड़ी तादाद में रिलीज होते हैं। जिसमें गर्मी लाखों डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुंच सकती है। यानि कि इसके चपेट में यदि लोहा भी आया तो पिघल सकता है।न्यूक्लियर हमले की 6 स्टेज: जब कहीं पर न्यूक्लियर बम गिराया जाता है तो 6 स्टेज में उसका असर दिखता है।स्टेज 1- पहली स्टेज में एक लाइट निकलेगी, जिसमें इतनी तेज रोशनी होगी कि 80 किलोमीटर दूर खड़ा इंसान या जानवर कुछ वक्त के लिए अंधा हो सकता है। जो 20 किलोमीटर के भीतर होंगे उनके हमेशा के लिए अंधे होने की संभावना काफी ज्यादा है। स्टेज 2- इस स्टेज में एक हीटवेव आती है। जिसमें 8-10 किलोमीटर तक लोग इस हीटवेव में जलकर मर सकते हैं। इस हीटवेव का तापमान लाखों डिग्री में हो सकता है। स्टेज 3- न्यूक्लियर रेडिएशन रिलीज होगा जो वातावरण में जहर घोल देगा। स्टेज 4- आग का गोला बनेगा जिसे कई किलोमीटर दूर से देखा जा सकेगा। स्टेज 5- हवा में एक तेज धमाका होगा और जिससे भूकंप जैसा एहसास होगा, ये भूकंप रिएक्टर स्केल पर 7-9 तक जा सकता है। स्टेज 6- ये सबसे खतरनाक स्टेज होती है, जिसमें रेडियो एक्टिव तत्व रेत की तरह हवा में मंडराने लगता है। इनसे रेडियो एक्टिव जहर शरीर में फैलेगा। जिसका असर तकरीबन 40-80 किलोमीटर तक हो सकता है और ये बम की कैपेसिटी पर निर्भर करता है। हालांकि इस प्रक्रिया को शुरू होने में कुछ मिनिट से लेकर कुछ घंटे लग सकते हैं। हिरोशिमा और नागासाकी में असर: सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी में न्यूक्लियर बमों का इस्तेमाल किया गया था। हिरोशिमा बम, जिसका नाम 'लिटिल बॉय' था, लंबा और पतला था, जिसमें यूरेनियम-235 का इस्तेमाल किया गया था। इसके विस्फोट से 15,000 टन टीएनटी के बराबर ऊर्जा निकली। इससे अलग, नागासाकी बम, जिसे 'फैट मैन' कहा जाता है, गोल था और इसमें प्लूटोनियम-239 का इस्तेमाल किया गया था, जिससे 21,000 टन टीएनटी के बराबर ऊर्जा निकली थी। न्यूक्लियर और हाइड्रोजन बम: न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्शन हल्के एटम्स को उच्च तापमान पर मिलाकर करके भारी मात्रा न्यूक्लियर सेल्स का निर्माण करके न्यूक्लियर एनर्जी छोड़ते हैं। हाइड्रोजन बम न्यूक्लियर बमों की तुलना में अधिक विनाशकारी होते हैं। फ्यूजन रिएक्शन के लिए उच्च तापमान के कारण, उन्हें थर्मोन्यूक्लियर विस्फोट कहा जाता है। पहला हाइड्रोजन बम 1 नवंबर 1952 को मार्शल द्वीप समूह के एनीवेटोक में विस्फोटित किया गया था। इसका विस्फोट कई मेगाटन टीएनटी का था, जिसकी रोशनी एक हजार सूर्यों से भी अधिक थी और इसकी गर्मी 50 किलोमीटर दूर तक महसूस की गई थी। अगस्त 1953 में, सोवियत संघ ने मेगाटन रेंज में एक हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया। ( बॉर्डर से अशोक झा )
#OperationSindoor #India #Pakistan #PMModi #IndiaPakistanConflict #PMModiAddress @NarendraModi
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/