भगवान बुद्ध के अनुयायियों के लिए आज का दिन विशेष है। वैशाख पूर्णिमा पर सारनाथ में आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।
इस बार अस्थि कलश के दर्शन की अनुमति नहीं
इस बार श्रद्धालु भगवान बुद्ध के अस्थि कलश के दर्शन नहीं कर पाएंगे। बावजूद इसके बौद्ध अनुयायियों की आस्था कम नहीं हुई। बुद्ध मंदिर से लेकर सड़क तक रेड कारपेट बिछाया गया है। पूरा परिसर रंग-बिरंगी सजावट और रोशनी से सुसज्जित है। श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड समेत कई देशों से हजारों बौद्ध भिक्षु और अनुयायी यहां पहुंचे हैं।
क्यों है बुद्ध पूर्णिमा खास?
यह दिन भगवान बुद्ध के जीवन की तीन महत्वपूर्ण घटनाओं – जन्म, ज्ञान प्राप्ति और परिनिर्वाण – से जुड़ा है।
🔹 सारनाथ का ऐतिहासिक महत्व
भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद यहीं से बौद्ध धर्म का पहला उपदेश दिया था।
यह स्थान बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थों में से एक है – लुंबिनी, बोधगया, कुशीनगर और सारनाथ।
जैन धर्म के लिए भी यह स्थल पवित्र है – यहां 11वें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ का जन्म हुआ था।
श्रद्धालुओं की भावनाएं:
लखनऊ से पहुंचे बोले रमेश – “हम भगवान बुद्ध के दिखाए शांति के रास्ते पर चलते हैं।”
सुरेंद्र बोले – “अस्थि कलश के दर्शन न हो पाने का दुख है, पर भव्यता देखकर मन आनंदित हो गया।”
इतिहास की झलक:
कहा जाता है मोहम्मद गोरी ने यहां के पूजा स्थल नष्ट किए थे। बाद में ASI की खुदाई से अशोक काल और भगवान बुद्ध से जुड़े कई प्रमाण मिले।
आज सारनाथ सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि शांति, ज्ञान और करुणा का प्रतीक है।
#BuddhaPurnima #Sarnath #CMYogi #BuddhaTeachings #BuddhistPilgrimage #SarnathMahotsav #VishvaShanti #BuddhaJayanti #BanarasNews #UPTourism #BuddhaQuotes
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/