यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को आज हिसार पुलिस जिला अदालत में पेश करेगी, दरअसल, आज ज्योति की पांच दिन की रिमांड खत्म हो रही है। अब ये देखना होगा कि कोर्ट पाकिस्तान के लिए जासूसी करने की आरोपी ज्योति को ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजती है या फिर पुलिस उसकी दोबारा रिमांड की अर्जी दाखिल करती है।आखिरकार उसने पूरी बात कबूल कर ली है। ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा ने पूछताछ में कबूल किया है कि उसका पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के अधिकारी अली हसन से संपर्क था और हसन ने ही पाकिस्तान में उसके ठहरने और घूमने की व्यवस्था की थी।दानिश से कैसे हुई मुलाकात?:सूत्रों के मुताबिक, ज्योति ने बताया कि 2023 में पाकिस्तान जाने के लिए वीजा के लिए दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमीशन जाने के दौरान उसकी मुलाकात एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश से हुई थी। पाकिस्तानी हाई कमीशन के कर्मचारी दानिश के माध्यम से ही उसका संपर्क अली हसन से हुआ। ज्योति दो बार पाकिस्तान गई। अली ने ही उसके ठहरने और घूमने का इंतजाम किया। संदिग्ध पाकिस्तानी जासूस ज्योति का जीवनस्तर काफी आलीशान था। वह वैभवपूर्ण जीवन जी रही थी। एक के बाद एक देशों में घूमना, पांच सितारा होटलों में रहना, क्या इन सबका खर्च ज्योति अकेले उठाती थी? आईएसआई एजेंट से कैसे हुई पहचान?:अली ने ज्योति की मुलाकात पाकिस्तानी सुरक्षा बल के अधिकारियों और इतालवी अधिकारियों से करवाई। वहीं पर ज्योति की पहचान राणा शाहबाज और शाकिर नाम के दो ISI एजेंट से हुई। संदेह से बचने के लिए ज्योति ने शाकिर का नंबर अपने मोबाइल फोन में जाट रंधावा के नाम से सेव कर रखा था। इसके बाद ज्योति ने पूछताछ में कबूल किया है कि उसने व्हाट्सएप, स्नैपचैट, टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इन सभी से संपर्क बनाए रखा और जानकारी का आदान-प्रदान शुरू किया। आरोप है कि पाकिस्तान से देश लौटने के बाद भी ज्योति का पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारी दानिश से लगातार संपर्क बना हुआ था।
ज्योति के कथित कबूलनामे ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है. दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग के एक अधिकारी दानिश के साथ संपर्क के बाद ज्योति ने पाकिस्तान की यात्रा की और वहां कई खुफिया अधिकारियों से मुलाकात की. यह मामला देश विरोधी गतिविधियों और जासूसी से जुड़ा हुआ है, जिसमें नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।पाकिस्तानी अधिकारियों से रिश्ते: ज्योति मल्होत्रा ने जांच एजेंसियों को बताया, "मेरे पास एक यूट्यूब चैनल है जिसका नाम है 'Travel with JO'. मेरा पासपोर्ट नंबर 56098262 है। मैंने साल 2023 में पाकिस्तान जाने के लिए दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग से वीजा प्राप्त करने की कोशिश की थी." वहां उसकी मुलाकात अहसन-उर-रहीम उर्फ दानिश से हुई, जो उच्चायोग में कार्यरत था. उसने बताया, "दानिश और मैंने मोबाइल नंबर 981xxxxx39 पर एक-दूसरे से संपर्क बनाए रखा और फिर हमारी बातचीत शुरू हो गई पाकिस्तान में खुफिया मुलाकातें: ज्योति ने आगे बताया कि उन्होंने पाकिस्तान की दो बार यात्रा की. वहां दानिश के कहने पर वह अली हसन से मिलीं, जिसने उनके रहने और यात्रा की व्यवस्था की. उसने बताया, "अली हसन ने मेरी मुलाकात पाकिस्तान के खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों से करवाई. वहां मेरी शाकिर और राना शाहबाज़ से मुलाकात हुई. मैंने शाकिर का मोबाइल नंबर 92317xxxxx9 लिया और उसे जाट रढ़ावन के नाम से सेव कर लिया ताकि कोई मुझ पर शक न करे. फिर मैं भारत लौट आई। सोशल मीडिया के जरिए सूचनाओं का लेन-देन: भारत लौटने के बाद भी ज्योति इन अधिकारियों के संपर्क में बनी रहीं. उन्होंने बताया, "इसके बाद मैंने WhatsApp, Snapchat और Telegram जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए सभी से संपर्क बनाए रखा और देशविरोधी जानकारी साझा करना शुरू कर दिया. इस बीच मैंने दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में दानिश से कई बार मुलाकात की। देशविरोधी नेटवर्क में नौ गिरफ्तार: इस मामले में कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तारियों की सूची में ज्योति मल्होत्रा के अलावा उत्तर प्रदेश से एक, पंजाब से तीन और हरियाणा से चार लोग शामिल हैं. हरियाणा के हिसार से गिरफ्तार ज्योति के अलावा अन्य आरोपियों में देवेंद्र सिंह ढिल्लों, नौमान इलाही, अरमान, तारीफ, मोहम्मद मुर्तजा अली, रकीब खान और शहजाद के नाम शामिल हैं।।जांच एजेंसियां इस पूरे नेटवर्क की कड़ियां जोड़ने में जुटी हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि किस स्तर तक यह देशविरोधी साजिश फैली हुई थी।दरअसल, केंद्रीय एजेंसियों ने जनवरी 2025 से मार्च 2025 तक तीन महीने से ज्यादा वक्त तक चले एक बेहद खुफिया ऑपरेशन में दिल्ली में फैले आईएसआई के स्लीपर सेल नेटवर्क को ध्वस्त किया. इस ऑपरेशन में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल भी शामिल थी. इस ऑपरेशन के दौरान दिल्ली के होटल से नेपाली मूल के अंसारुल मियां अंसारी को गिरफ्तार किया गया था जो पाकिस्तान भागने की फिराक में था। एजेंट के पास मिले कई खुफिया डॉक्यूमेंट: जानकारी के अनुसार, जांच एजेंसियों और पुलिस ने गिरफ्तार अंसारुल के पास से भारतीय सेना और सशस्त्र बलों से जुड़े कई गोपनीय डॉक्यूमेंट बरामद किए हैं। इन दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच में पुष्टि हुई कि वे सशस्त्र बलों के अत्यंत संवेदनशील और गोपनीय दस्तावेज थे. अंसारुल को आईएसआई ने इन डॉक्यूमेंट्स की एक सीडी बनाकर पाकिस्तान भेजने का निर्देश दिया था।कतर से पाकिस्तान तक की साजिश: पूछताछ में अंसारुल ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए जांच एजेंसियों को बताया कि वह पहले कतर में कैब ड्राइवर के रूप में काम करता था. जहां उसकी मुलाकात एक आईएसआई हैंडलर से हुई थी. इसके बाद उसे पाकिस्तान ले जाया गया, जहां आईएसआई के सीनियर अधिकारियों ने कई दिनों तक उसका ब्रेनवॉश किया और खास ट्रेनिंग दी. अंसारुल को नेपाल के रास्ते दिल्ली भेजा गया, ताकि वह भारत में आईएसआई की साजिश को अंजाम दे सके. उसका मुख्य मिशन भारतीय सेना से जुड़े गोपनीय दस्तावेजों को एकत्र कर उन्हें पाकिस्तान भेजना था। रांची से सहयोगी की गिरफ्तारी: अंसारुल से पूछताछ के आधार पर केंद्रीय एजेंसियों ने रांची से अखलाख आजम को भी गिरफ्तार किया है। अखलाख आईएसआई के अधिकारियों तक भारतीय सेना के दस्तावेजों को पाकिस्तान पहुंचाने में अंसारुल की मदद कर रहा था. इस पूरे नेटवर्क के तार दिल्ली से लेकर रांची तक फैले हुए थे, जिसे केंद्रीय एजेंसियों ने अपनी सतर्कता और खुफिया ऑपरेशन से तोड़ दिया है।पहलगाम हमले से पहले की साजिश: ये खुलासा ऐसे समय में हुआ है, जब पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया. 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई थी, जिसके जवाब में भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' लॉन्च किया. इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया. भारतीय सेना का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। केंद्रीय एजेंसियों का मानना है कि दिल्ली में स्लीपर सेल नेटवर्क का ये खुलासा पहलगाम हमले से पहले की एक बड़ी साजिश का हिस्सा था, जिसे वक्त रहते नाकाम कर दिया गया।क्या है स्लीपर सेल?: स्लीपर सेल ऐसे व्यक्ति या समूह होते हैं जो लंबे वक्त तक सामान्य नागरिक की तरह रहते हैं, लेकिन किसी बड़े हमले या जासूसी के लिए सक्रिय हो जाते हैं. अंसारुल जैसे एजेंट्स को विशेष रूप से ट्रेनिंग देकर किसी देश में भेजा जाता है, जहां उन्हें संवेदनशील जानकारी इकट्ठा करने और आतंकी साजिश को अंजाम देने में मदद करने के लिए भेजा जाता है। ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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