मणिपुर के चांदेल में भारतीय सेना ने उग्रवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में दस उग्रवादियों को मार गिराया है। असम राइफल्स ने भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया है।
जवाबी कार्रवाई में 10 उग्रवादी मारे गए।भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के बाद अब भारत-म्यांमार सीमा पर हलचल तेज हुई है। मणिपुर के चांदेल में भारतीय सेना ने उग्रवादियों के खिलाफ एक बड़े ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। भारतीय सेना ने सशस्त्र उग्रवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। जो भारतीय सेना पर आंख उठाने की कोशिश कर रहे थे। चांदेल जिले के खेंगजॉय इलाके में भारत-म्यांमार बॉर्डर के पास भारतीय सेना के असम राइफल्स के जवानों ने 10 उग्रवादियों को ढेर कर दिया है। सेना ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि इस इलाके में कुछ और उग्रवादियों के छुपे होने की आशंका है। चंदेल जिला भारत और म्यांमार की सीमा पर स्थित है और यहां से भारत विरोधी कई सारी अवैध गतिविधियों के चलने की आशंका भी रहती है। प्रदेश में कुकी और मैतेयी समुदाय के बीच लंबे समय से संघर्ष चल रहा हैं। म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता और मुश्किल हालात की वजह से अवैध घुसपैठियों का संकट भी है। समझें सुरक्षा के लिहाज से यह सीमावर्ती इलाका क्यों अहम है और कैसे यहां भारतविरोधी गतिविधियां पनप रही हैं। मणिपुर के सीमावर्ती हिस्से म्यांमार से सटे हुए हैं. यह इलाका भौगोलिक दृष्टि से भी चुनौतीपूर्ण हैं, क्योंकि यह सघन जंगलों से घिरा इलाका है। चंदेल जिले में 185 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र जंगल से घिरा है और यह जैव विविधता से भरपूर इलाका है. कुछ स्थानीय गुट प्राकृतिक रूप से जटिल इस इलाके का इस्तेमाल अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करते हैं। इसमें अफीम समेत दूसरे नशीले पदार्धों की तस्करी भी शामिल है। इसके अलावा, म्यांमार से आने वाले अवैध घुसपैठियों के लिए भी इस रास्ते का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इन सभी वजहों से इस इलाके में भारतविरोधी गतिविधियां होती रही हैं। सेना और सुरक्षा बलों की तमाम सतर्कता और लगातार ऑपरेशन चलाए जाने के बाद भी इस इस क्षेत्र से उग्रवादी गतिविधियां खत्म नहीं हुई हैं। कुकी उग्रवाद का केंद्र रहा है चंदेल: मणिुपुर में कुकी बनाम मैतेयी जातीय संघर्ष दशकों पुराना है जिसकी शुरुआत 1980 के दशक में ही हो गई थी। प्रदेश के चुराचांदपुर, चंदेल, तामेंगलोंग और उखरुल जैसे कुकी बहुल आबादी वाले जिलों को मिलाकर अलग कुकीलैंड बनाने की मांग भी होती रही है। कुकी समुदाय की आबादी यहां काफी ज्यादा है और भारतीय सेना और सशस्त्र बलों को लेकर इनके मन में दशकों बाद भी अविश्वास की जड़ें खत्म नहीं हो सकी हैं। इस इलाके में पहले भी कई बार भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के साथ उग्रवादियों की झड़प हो चुकी है। केंद्र सरकार के लिए पूर्वोत्तर के इस राज्य में जातीय संघर्ष को खत्म करने के साथ ही इस रास्ते से अवैध ढंग से प्रवेश करने वाले घुसपैठियों को रोकना बड़ी चुनौती होगी। इसी बीच एक अच्छी खबर आई कि सुरक्षा बलों ने 10 उग्रवादी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए कैडर की पहचान डेविड नगमजांग (25) के रूप में हुई है, जो कि केसीएलए/यूपीएलएफ का स्वयंभू सार्जेंट मेजर है और काकचिंग जिले के एम. तातजांग गांव का निवासी है। पुलिस प्रवक्ता द्वारा गुरुवार को दी गई जानकारी के अनुसार, नगमजांग पिछले तीन वर्षों से चुराचांदपुर जिले के जोवेंग गांव से अपनी गतिविधियां चला रहा था। उसे चुराचांदपुर थाना क्षेत्र के सैकोट गांव के पास से पकड़ा गया। तलाशी के दौरान उसके पास से एक 9 एमएम पिस्तौल और तीन जिंदा कारतूस भी बरामद किए गए। केसीएलए, यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (केसीएलए/यूपीएलएफ) की सशस्त्र शाखा है, जो केंद्र सरकार के साथ निलंबन समझौते (एसओओ) में शामिल नहीं है। सुरक्षाबलों ने बताया कि केसीएलए/यूपीएलएफ उन कुछ कुकी-जो संगठनों में शामिल है जो एसओओ समझौते से बाहर रहकर सक्रिय हैं, जबकि वर्तमान में 25 कुकी-जो अंडरग्राउंड संगठन इस समझौते के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं। मुख्य गिरफ्तारी के बाद जिले के संवेदनशील क्षेत्रों में 110 की पोस्टों पर की गई तलाशी और डोमिनेशन ऑपरेशन के दौरान 9 और संदिग्धों को हिरासत में लिया गया। ( अशोक झा की कलम से )
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