किसी शहर में घूमने का मतलब वहां के बाजारों को देखना भी होता है। और रोचेस्टर प्रवास के दौरान मैंने यह काम बड़े इत्मिनान से किया। बाजारों में खूब भ्रमण किया। वहां के माल देखे। शॉपिंग कंपलेक्स देखे। और तरह-तरह की दुकानें जैसे कि अपने देश में होती हैं।
यद्यपि खरीदारी के मामले में पीछे ही रहे। दाम देखते रहे और आगे बढ़ते रहे। क्योंकि भारत से तुलना करने पर सामान सस्ते नहीं लगते ।
रोचेस्टर में दो बड़े माल हैं। पहले को विक्टर और दूसरे को ग्रीस रिज के नाम से जाना जाता है। यह दोनों माल अपने देश जैसे ही हैं। यहां एक छत के नीचे बहुत सी दुकानें हैं। आपको जिस दुकान में जाना है, अगर वह नहीं मिल रही है तो इसे यहां एटीएम की तरह लगे यांत्रिक डायरेक्टरी में भी खोजा जा सकता है।
माल में रेस्टोरेंट भी हैं। यहां सबसे सस्ती चाय- कॉफी ही मिल सकती है। जिसके लिए महज पांच से 10 डालर खर्च करना होगा । अमेरिका में कोई भी सामान खरीदने के पहले हिंदुस्तानी मानसिकता काम करने लगती है। फिर तो यही लगता है कि जितने डॉलर में यहां मिलेगा, उससे कम रुपये में अपने देश में भी खरीदा जा सकता है।
माल में वाइन की भी दुकानें हैं। अच्छी ब्रांड की शराब यहां मिलेगी, लेकिन यकीनन सस्ती नहीं होगी । माल में लोग सामान खरीदने भी आते हैं और घूमने भी। कुछ नहीं तो ठंड में टहलने का काम तो हो ही सकता है। बाहर का मौसम कैसा भी हो , माल के भीतर तो हमेशा खुशनुमा तापमान बना रहता है।
माल में खास है कैट कैफे
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विक्टर माल में मुझे एक मजेदार दुकान दिखी। नाम था कैट कैफे।अंदर बिल्लियां घूम रही थीं। पर इनके साथ मनोरंजन करने के लिए पैसा खर्च करना पड़ेगा ।
कुछ डालर खर्च करने पर बिल्लियों के पास जाया जा सकता है। ऋतंभरा ने मुझे कैट कैफे में जाने के लिए उत्साहित किया , परंतु मैं इसके लिए खर्च करने को तैयार नहीं था। फिर भी शीशे के बाहर से वीडियो बनाते और तस्वीर खींचते वक्त इतना जरूर समझ में आ गया कि यह बिल्लियां नफासत में रहने की अभ्यस्त हैं।
बड़े प्यार से उनकी देखभाल की जाती है । उधर कुछ लोग कुछ वक्त बिल्लियों के बीच बिताने के लिए टिकट भी लेते नजर आए।
अगर माल घूमते- घूमते थकान महसूस हो रही हो, तो मसाज कुर्सी हाजिर है। कुछ पैसा खर्च कीजिए और इस पर बैठ जाइए । 10 से 15 मिनट में यह मशीन शरीर का मसाज कर तरोताजा बना देगी। ऐसी मसाज चेयर माल में जगह जगह-जगह पर लगी हुई हैं।
कार्ड के साथ नगदी का भी प्रयोग
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अमेरिका में डिजिटल लेनदेन बहुत ज्यादा होता है, यह तो पुरानी जानकारी है मेरे लिए । लेकिन यहां पर नगद पैसे से खरीदारी करने वाले लोग भी दिख रहे थे । यह जरूर नई सूचना थी।
दुकानों के कैश काउंटर पर डालर की गिनती करते देख मुझे यही संतोष हुआ कि जब अमेरिका में अभी भी पूरी तरह डिजिटल लेन-देन नहीं हो पाया है, तब भारत में तो ऐसा सोचना अभी जल्दबाजी ही होगी।
बाजार में दिखती है पॉलिथिन
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रोचेस्टर के बाजारों में अमूमन पॉलिथिन का इस्तेमाल नहीं दिखता। यदि अपवाद की बात करें तो सब्जियों के बाजार में इसका प्रयोग होता है। लेकिन मुझे तो यही समझ में आता है कि संभवत: इनको रिसाइकिल किया जाता होगा।
माल में घूमते वक्त मेरी दृष्टि एक ऐसे बोर्ड पर पड़ी , जहां लोगों से खिलौने दान में देने की अपील की गई थी। बड़े से संदूक में झांक कर देखा तो वहां ढेर सारे खिलौने पड़े हुए थे। इसका मतलब तो यही निकला कि यहां भी कुछ बच्चे ऐसे जरूर होंगे, जिनको बचपन में मनमाफिक खिलौने नहीं मिल पाते होंगे । अन्यथा ऐसी अपील करने की जरूरत ही नहीं थी।
त्योहारों पर होती है सजावट
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क्रिसमस जैसे बड़े त्यौहार पर माल में खूब सजावट होती है। कई दिन पहले से ही यहां पर क्रिसमस ट्री और सेंटा क्लॉज दिखाई पड़ने लगते हैं । यही नहीं सेंंटा क्लॉज बने व्यक्ति के साथ फोटो खिंचवाना भी लोग पसंद करते हैं। खासकर बच्चे। और माता-पिता उनकी खुशी के लिए पैसे भी खर्च करते दिखते हैं ।
बाजार का अपना अलग आचारशास्त्र होता है । यहां की दुकानों में ग्राहकों को लुभाने के लिए भारत की तरह ही सारे हथकंडे अपनाए जाते हैं । क्रिसमस पर सामान पर छूट के बोर्ड लगे रहते हैं। कई दुकानों में तो पर्व बाद भी छूट दी जाती है ।
दुकानों में सामान के दाम भी लुभावने होते हैं। मसलन 10 डालर की जगह 9. 9 डालर दाम रखने के पीछे भी कोई मनोविज्ञान होता होगा। कई सामान पर इसी प्रकार के दाम लिखे रहते हैं। यही नहीं
कई बार तो सामान पर कोई मूल्य भी नहीं लिखा होता। जिसका मतलब तो यही हुआ कि वह सामान सभी जगह पर एक दाम पर नहीं मिलेगा।
शापिंग काम्प्लेक्स भी
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रोचेस्टर में माल के अलावा कई स्थानों पर शॉपिंग कंपलेक्स हैं। जहां पर ढेर सारी दुकानें हैं । कई दुकानों के नाम भी हम जैसे लोगों का ध्यान खींचते हैं - जैसे टारगेट , नमस्ते, स्पाइस बाजार , वेगमेंस, कास्टको, वॉलमार्ट आदि ।
यह वह ब्रांड हैं जो अमेरिका के विभिन्न शहरों में भी मिल जाएंगे। इनमें नमस्ते और स्पाइस बाजार ऐसी दुकानें हैं , जहां भारतीय बाजारों की वस्तुएं खूब मिलेंगी।
अब किसी भारतीय को अगर हवन पूजन के लिए सामग्री की तलाश हो तो और कहीं और भले न मिले , यहां जरूर मिल जाएगी।
सामान लौटाने पर मिलते हैं पैसे
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किसी दुकान का सामान पसंद ना आने पर उसे लौटा देना तो आम प्रचलन है। पर रोचेस्टर में मैंने देखा कि महीनों बाद भी किसी सामान को लौटाया जा सकता है। कई दुकानें तो 3 माह तक या उससे भी अधिक समय तक ग्राहकों को लौटाने का वक्त देती हैं।
समान लौटाते समय कोई पूछताछ भी नहीं होनी है। उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए कुछ दुकानें सामान वापस करने पर पांच डालर भी देती हैं।
मैं सोचने लगा है कि यदि एक समान लौटाने पर 5 डालर मिलते हैं तो दो सामान लौटाने पर 10 मिलना चाहिए। हालांकि इस तरह कब तक सामान लौटाया जा सकता है। इसकी कोई सीमा भी जरूर होनी चाहिए।
जहां भी दुकानें होती हैं वहां निःशुल्क पार्किंग की सुविधा अवश्य होती है। लेकिन उनकी देखरेख के लिए कोई व्यक्ति नहीं होता। लगता है यहां चोरी की घटनाएं कम होती होंगी या नहीं होती होंगी।
क्रमश: . ......
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