पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के पहले एसआईआर के मुद्दे पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में टकराव बढ़ता जा रहा है। मंगलवार 4 नवंबर को दोनों दल इस मुद्दे पर आमने-सामने होंगे। मुख्यमंत्री ममता ममता बनर्जी इसके खिलाफ कोलकाता में रैली निकालेंगी, वहीं भाजपा नेता इसके समर्थन में उत्तर 24 परगना में रैली की तैयारी में है। वहीं राज्य में दो लोगों की मौत पर भी एसआईआर को लेकर राजनीति हो रही है। पश्चिम बंगाल में अगले साल अप्रैल में होने वाला विधानसभा चुनाव पूरी तरह से भाजपा बनाम टीएमसी होगा। पिछले चुनाव में भी यही स्थिति बनी थी, लेकिन तब यह साफ नहीं था कि भाजपा कांग्रेस व वामपंथी दलों को पूरी तरह से हाशिए पर डालकर ममता बनर्जी का एक मात्र विकल्प बनकर उभरेगी। जो स्थितियां हैं, उनमें भाजपा को तृणमूल कांग्रेस के साथ सीधी लड़ाई में काफी लंबा सफर तय करना होगा। राज्य में किसी तीसरी ताकत के न होने से ममता बनर्जी के लिए यह लाभ की स्थिति हो सकती है। विदेशी घुसपैठ बड़ा मुद्दा पश्चिम बंगाल में विदेशी घुसपैठ बड़ा मुद्दा रहा है। ऐसे में चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर का फैसला इससे जुड़ जाता है। वोट बैंक की राजनीति में टीएमसी ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जबकि भाजपा इसके साथ खड़ी हो गई है। हालांकि, भाजपा ममता बनर्जी के तेवरों को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है। भाजपा लगातार यह आरोप लगाती रही है कि राज्य में घुसपैठियों को टीएमसी का समर्थन मिलता है, ऐसे में एसआईआर से सत्ताधारी दल को बड़ा झटका लगेगा। सीधी लड़ाई में भाजपा की मुश्किलें बढ़ेगी पश्चिम बंगाल में भाजपा की समस्या टीएमसी से सीधी लड़ाई भी है। गांव-गांव तक बदलाव की बड़ी लहर न होने पर ध्रुवीकरण की स्थिति में ममता बनर्जी ज्यादा लाभ की स्थिति में रहती है। पिछले चुनाव में कांग्रेस व वामपंथी दलों का खाता भी नहीं खुला था। ऐसे में भाजपा अपनी मौजूदा ताकत को दो गुना भी कर ले, तब भी ममता बनर्जी भारी पड़ सकती हैं। बंगाल में SIR ट्रेनिंग का विरोध: BLO बोले- प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्थाएं ठीक नहीं, ट्रेनिंग को ऑन ड्यूटी नहीं मान रही सरकार। कोलकाता में जुलूस निकालेगी TMCइधर, TMC ने 4 नवंबर को SIR के विरोध में कोलकाता में एक जुलूस निकालने का आह्वान किया है। इस जुलूस का नेतृत्व मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी और उनके पार्टी महासचिव भतीजे अभिषेक बनर्जी करेंगे। TMC ने कोलकाता और आसपास के जिलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं को मंगलवार दोपहर 1.30 बजे रेड रोड स्थित बीआर आंबेडकर की प्रतिमा के सामने इकट्ठा होने का आदेश दिया गया है। जुलूस दोपहर 2.30 बजे शुरू होगा।पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के लिए शनिवार को BLO का ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किया। इस दौरान कई BLO ने प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्थाओं का विरोध किया। उन्होंने उचित दस्तावेज और सुरक्षा देने की मांग की है। BLO का कहना है कि ट्रेनिंग के दौरान उनके स्कूलों में उपस्थिति दर्ज नहीं की जा रही है और BLO के रूप में उनकी ड्यूटी को ऑन ड्यूटी नहीं माना जा रहा है। BLO ने मांग की है कि आयोग में उनकी ट्रेनिंग और फील्ड वर्क को ड्यूटी माना जाए और इसके लिए जरूरी कागजात जारी किए जाएं। आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने ट्रेनिंग का कोई वैध प्रमाण-पत्र या दस्तावेज नहीं दिया, जिससे वे अपने विभाग में उपस्थिति सिद्ध कर सकें। दुर्गापुर के उप-मंडलीय कार्यालय (SDO) में भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन किए गए। वहां BLO ने सामूहिक रूप से असंतोष जताया। दरअसल, राज्य में SIR 4 नवम्बर से 4 दिसम्बर किया जाना है। इस दौरान बूथ स्तर अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर वोटर्स का सत्यापन और फॉर्म भरने का काम करेंगे। BLO की ट्रेनिंग 3 नवम्बर आज तक चली। कोलकाता में ट्रेनिंग के दौरान मौजूद BLO
जो फॉर्म दिया गया, उसमें ट्रेनिंग का कोई जिक्र नहीं
एक शिक्षक ने कहा, “आज हमें जो फॉर्म दिया गया, उसमें ट्रेनिंग का कोई जिक्र नहीं है। पहले की तरह कागजात दिए जाने चाहिए, ताकि हमें अपने स्कूल में उपस्थित माना जाए।
एक अन्य प्रतिभागी ने कहा, “हम काम करने को तैयार हैं, लेकिन आयोग को हमें सुरक्षा और उचित प्रमाण-पत्र देना चाहिए। इनके बिना हम ड्यूटी जारी नहीं रख सकते।”
चुनाव आयोग ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती नहीं की जाएगी। आयोग ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य प्रशासन की होगी। आयोग ने बड़े बूथों के लिए दो BLO नियुक्त करने के प्रस्ताव को भी नहीं माना।
चुनाव आयोग ने BLO के लिए 16 प्वाइंट वाली गाइडलाइन जारी की है और फील्ड कार्य को सरल बनाने के लिए एक नया मोबाइल एप भी शुरू किया है। ट्रेनिंग के दौरान BLO को विशेष किट और प्रोसेस की विस्तार से जानकारी दी जा रही है।
SIR क्या है?: SIR चुनाव आयोग की एक प्रक्रिया है। इसमें वोटर लिस्ट अपडेट की जाती है। इसमें 18 साल से ज्यादा के नए वोटर्स को जोड़ा जाता है। ऐसे लोग जिनकी मौत हो चुकी है। जो शिफ्ट हो चुके हैं उनके नाम हटाए जाते हैं। वोटर लिस्ट में नाम, पते में हुई गलतियों को भी ठीक किया जाता है। BLO घर-घर जाकर खुद फॉर्म भरवाते हैं। SIR के दौरान BLO/BLA वोटर को फॉर्म देंगे। वोटर को उन्हें जानकारी मैच करवानी है। अगर दो जगह वोटर लिस्ट में नाम है तो उसे एक जगह से कटवाना होगा। अगर नाम वोटर लिस्ट में नहीं है तो जुड़वाने के लिए फॉर्म भरना होगा और संबंधित डॉक्यूमेंट्स देने होंगे। SIR मकसद क्या है
1951 से लेकर 2004 तक का SIR हो गया है, लेकिन पिछले 21 साल से बाकी है। इस लंबे दौर में मतदाता सूची में कई परिवर्तन जरूरी हैं। जैसे लोगों का माइग्रेशन, दो जगह वोटर लिस्ट में नाम होना।
डेथ के बाद भी नाम रहना। विदेशी नागरिकों का नाम सूची में आ जाने पर हटाना। कोई भी योग्य वोटर लिस्ट में न छूटे और कोई भी अयोग्य मतदाता सूची में शामिल न हो। ये खबर भी पढ़ें ममता बनर्जी बोलीं- फूट डालो-राज करो की राजनीति न करें:TMC का दावा- SIR के डर से दो सुसाइड, अभिषेक ने शाह-CEC को जिम्मेदार ठहराया
चुनाव आयोग के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि हर असली वोटर को सुरक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में किसी तरह की फूट डालो-राज करो की राजनीति नहीं होनी चाहिए। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट )
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