पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने SIR के खिलाफ बड़ी रैली निकाली। टीएमसी का आरोप है कि बीजेपी और केंद्र सरकार मिलकर बंगाल में मतदाताओं के नाम कटवा रही है। वहीं बीजेपी ने ममता पर रोहिंग्याओं को वोटर लिस्ट में जोड़ने का आरोप लगाया। इस मुद्दे पर बंगाल में सियासी टकराव बढ़ गया है। ममता बनर्जी ने कहा भाजपा "चुपचाप, अदृश्य धांधली" करार देते हुए, मुख्यमंत्री बनर्जी ने केंद्र की भाजपा सरकार और चुनाव आयोग पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया।विरोध मार्च सुबह रेड रोड पर डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ शुरू हुआ और रवींद्रनाथ टैगोर के पैतृक निवास, जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी में समाप्त हुआ। तिरंगा और पार्टी के झंडे लिए हजारों टीएमसी कार्यकर्ताओं ने रैली में भाग लिया और "लोकतंत्र बचाओ" और "बंगाल का वोट बंगाल का अधिकार है" जैसे नारे लगाए। पारंपरिक सफेद सूती साड़ी और चप्पल पहने ममता बनर्जी ने बीच-बीच में सड़क किनारे खड़े लोगों का अभिवादन किया। उनके साथ उनके भतीजे और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी, वरिष्ठ मंत्री और नेता भी थे।टीएमसी ने प्रतीकात्मक रूप से इस विरोध प्रदर्शन को बंगाली अस्मिता और संविधान की रक्षा के संघर्ष से जोड़ा है। पार्टी नेताओं ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ़ मतदाता सूची की नहीं, बल्कि बंगालियों के वोट के अधिकार की रक्षा की है।
इस बीच, टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने भी चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए कहा, "एसआईआर एक धोखाधड़ी है, जिसे एक 'बेहद समझौतावादी' संस्था चला रही है।" उन्होंने दावा किया कि 2011 से लगातार जीत रही तृणमूल कांग्रेस 2026 के विधानसभा चुनाव भी जीतेगी।ममता बनर्जी की रैली कोलकाता के रेड रोड पर बीआर अंबेडकर की मूर्ति से शुरू हुई और रवींद्रनाथ टैगोर के पुश्तैनी घर जोरोसांको ठाकुरबाड़ी तक पहुंची. करीब 3.8 किलोमीटर लंबी इस रैली में टीएमसी के झंडे, पोस्टर और नारेबाजी से सड़कें गूंज उठीं। ममता बनर्जी अपने पहचान वाले अंदाज में सफेद साड़ी और चप्पल पहने हुए सबसे आगे चल रही थीं. रास्ते में लोग अपनी बालकनी से झांककर उन्हें देख रहे थे. कुछ लोगों ने फूल बरसाए तो कई जगहों पर लोग सड़क के किनारे खड़े होकर उनका स्वागत करते दिखे.
ममता के भतीजे और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी भी रैली में शामिल थे. वे समर्थकों की तरफ हाथ हिलाते हुए चलते नजर आए. उनके साथ कई मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी थे.
टीएमसी का आरोप – डर के माहौल में तीन लोगों की मौत
टीएमसी का कहना है कि एनआरसी और इस SIR प्रक्रिया को लेकर लोगों में डर फैल गया है. पार्टी का दावा है कि इसी तनाव में बंगाल में अब तक तीन लोगों की जान जा चुकी है.
टीएमसी के मुताबिक, पिछले हफ्ते दो पुरुषों ने आत्महत्या की और एक 60 साल की महिला की मौत हार्ट अटैक से हो गई. पार्टी का आरोप है कि लोग अपने नाम मतदाता सूची से कट जाने के डर में हैं, और इसी वजह से ऐसी घटनाएं हो रही हैं.
बीजेपी ने पलटवार किया, कहा – “ये जमात की रैली है”
ममता बनर्जी की रैली पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी. विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस मार्च को “जमात की रैली” बताया और कहा कि ये भारतीय संविधान की भावना के खिलाफ है.
वहीं, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने ममता पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर ममता जी को कोई शिकायत है तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए. बंगाल में पूरी तरह अराजकता का माहौल है.” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ममता बनर्जी राज्य में रोहिंग्याओं को बुला रही हैं और उन्हें वोटर लिस्ट में शामिल करने की कोशिश हो रही है.
SIR क्या है, और इस पर विवाद क्यों
SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन एक प्रक्रिया है जिसमें बूथ लेवल अधिकारी घर-घर जाकर मतदाता सूची की जांच करते हैं. इसमें ऐसे नाम हटाए जाते हैं जो दो बार दर्ज हैं, या जिन लोगों की मौत हो चुकी है, या जो किसी दूसरे इलाके में चले गए हैं.
इस तरह का बड़ा संशोधन आखिरी बार करीब 20 साल पहले हुआ था. इस बार इसे 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा रहा है, जिनमें बंगाल भी शामिल है।
बंगाल में अब सड़क से लेकर अदालत तक लड़ेगी टीएमसी
अब जब SIR प्रक्रिया बंगाल में शुरू हो गई है, तो ममता बनर्जी ने इस मुद्दे को बड़ा बना दिया है. उन्होंने साफ कहा कि वो बंगाल के लोगों का नाम मतदाता सूची से कटने नहीं देंगी. रैली खत्म होने के बाद ममता ने कहा कि “यह सिर्फ एक राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है। भाजपा का पलटवार पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मंगलवार के मार्च को जमात की रैली बताया और दावा किया कि यह भारतीय संविधान की भावना के विरुद्ध है।इसी बात को दोहराते हुए, पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा, "अगर ममता जी को कुछ कहना है, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल में पूरी तरह अराजकता है और कानून-व्यवस्था बिल्कुल नहीं है।"उन्होंने आगे आरोप लगाया कि राज्य में जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो रहे हैं और दावा किया कि ममता बनर्जी रोहिंग्याओं को राज्य में आमंत्रित कर रही हैं... क्या जनता चाहती है कि रोहिंग्याओं को मतदाता सूची में शामिल किया जाए?
12 राज्यों में एसआईआर शुरू गौरतलब है कि एसआईआर का दूसरा चरण 4 नवंबर से शुरू होकर 4 दिसंबर तक चलेगा। इसके तहत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का विशेष पुनरीक्षण किया जाएगा। पश्चिम बंगाल में इसका महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि राज्य में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।ममता बनर्जी ने चेतावनी दी, "अगर मतदाता सूची से नाम हटाने या मताधिकार छीनने की कोई कोशिश की गई, तो हम संविधान की शपथ लेंगे और सड़कों पर लड़ेंगे।"
( कोलकाता से अशोक झा की रिपोर्ट )
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