कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी को अक्षय नवमी के रूप में मनाया जाता है। गुरुवार को अक्षय नवमी मनाया जाएगा। अक्षय नवमी को आंवले के पेड़ का पूजन व उसके नीचे भोजन बनाकर खाने का विधान है। आप जिस आंवले के पेड़ की पूजा होते देख रहे है। इसे आज से 19 वर्ष पहले 2006 में अस्सी स्थित गोयनका संस्कृत पाठशाला परिसर में सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के पास नगर के जल स्रोतों काे बचाने के लिए संघर्षरत काशी के युवा पर्यावरणवीद् रामयश मिश्र ने लगाया और इसे अपने बच्चें की तरह पाला पोसा। समय पर खाद-पानी देकर इस देव रूवरूप आंवला वृक्ष को बड़ा किया, 19 साल की कड़ी मेहनत के बाद अाज यह वृक्ष पेड़ के रूप धारण कर लिया है। अक्षय नवमी पर पेड़ का पूजा कर लोग इसके नीचे भोजन बनाकर अपने परिवार के साथ ग्रहण भी कर रहे हैं। 19 वर्ष के बाद पेड़ को तैयार देख अपनी खुशी जाहिर करते रामयश मिश्र ने कहा की आज मेरा बेटा बड़ा हो गया और लोगों को छांव देने लगा है। रामयश मिश्र ने कहा की आज विकास के नाम पर शहर से पेड़-पौधे गायब होते जा रहे है। काशी जैसे धार्मिक शहर में पूजा के लिए आम का पल्लो व आंवले के पेड़ खोजने से नहीं मिल रहे है, ऐसे में अगर इस तरह का प्रयास किया जाय तो काशी फिर से आनंद-कानन वन के रूप में आच्छादित हो सकता है। आज इस आंवले के वृक्ष का पूजा होता देख मन को खुशी हो रही है की जीवन में कुछ तो अच्छा किया। ( काशी के पत्रकार रामयश मिश्र की कलम से )
काशी के इस कलमकार का बेटा बड़ा हो गया, यह देखिए लोगों को अब छांव देने लगा
अक्टूबर 29, 2025
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