श्रीधर वेम्बू की अनोखी सोच, गांवों से खड़ी हुई कंपनी और वैश्विक संकट को अवसर में बदलने का नायाब मॉडल
आईटी सेक्टर के आने पर कहा गया था कि भारत में तकनीकी क्रांति आ गई है। लेकिन सच यह है कि वह ज़्यादातर आईटी मज़दूरी की क्रांति थी,जहां भारतीय युवा पश्चिमी कंपनियों के लिए कोडिंग और सपोर्ट का काम करने लगे। मेहनत हमारी थी, मगर मालिकाना हक़ किसी और का था।
श्रीधर वेम्बू ने इस मानसिकता को चुनौती दी। उनकी कंपनी ज़ोहो सिर्फ़ एक बिज़नेस मॉडल नहीं, बल्कि यह इस सोच की क्रांति है कि तकनीक का केंद्र गांव भी बन सकते हैं और प्रतिभा डिग्री या अंग्रेज़ी की मोहताज बिल्कुल नहीं।
सिलिकॉन वैली से तमिलनाडु के गांवों तक
वेम्बू अमेरिका में रहकर करोड़ों कमा सकते थे, लेकिन उन्होंने ठान लिया कि "अगर रोज़गार गांव तक नहीं जा रहा, तो हम ही उद्योग गांव तक ले जाएंगे।"
जहां बाक़ी आईटी कंपनियां बड़े शहरों में टॉवर बना रही थीं, वहीं ज़ोहो ने तमिलनाडु के छोटे कस्बों और गांवों में दफ़्तर खोले। वहां के युवाओं को ज़ोहो ने बिना डिग्री, बिना अंग्रेज़ी और महंगे कॉलेज के बिना ख़ुद ट्रेनिंग देकर काम दिया।
आज ज़ोहो के हज़ारों कर्मचारी ऐसे गांवों से आते हैं, जिनका आईटी से कोई संबंध पहले नहीं था।
नौकरी नहीं, सोच की क्रांति
ज़ोहो ने तीन बड़े बदलाव किए:असली टैलेंट की पहचान गांव के युवाओं को सिखाकर इंटरनेशनल प्रोडक्ट बनवाए गए; आउटसोर्सिंग नहीं, अपना प्रोडक्शन किया जाए। ज़ोहो ने माइक्रोसॉफ़्ट और गूगल जैसी कंपनियों को टक्कर देने वाले सॉफ़्टवेयर ख़ुद तैयार किए;गांवों में रोज़गार और आत्मनिर्भरता को बढावा दिया जाए।इसके लिए शहरों को बोझ से बचाकर विकास को गांवों तक पहुँचाया गया।
ट्रम्प की टैरिफ नीति: संकट को अवसर में बदलने की मिसाल
जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन पर भारी टैरिफ लगाए, तो दुनिया की टेक कंपनियों में हड़कंप मच गया। सप्लाई चेन से लेकर सर्विस डिलीवरी तक सब पर असर पड़ा। कई कंपनियों ने लागत बढ़ने की वजह से विस्तार रोक दिया।
लेकिन ज़ोहो ने इस संकट को मौका बना लिया।अमेरिकी और यूरोपीय कंपनियां चीन के विकल्प खोजने लगीं। ऐसे में भारत एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में उभरा।फिर ज़ोहो जैसे स्वदेशी और स्वतंत्र मॉडल की ओर दुनिया का ध्यान गया।
ज़ोहो ने इस दौरान बिना विदेशी निवेश और किसी दबाव के बिना अपने सॉफ़्टवेयर प्रोडक्ट्स को अमेरिका, यूरोप और एशिया के बाज़ारों में मज़बूती से स्थापित किया। यहीं से यह साबित हुआ कि भारत सिर्फ़ “बैक ऑफिस” नहीं, बल्कि नए वैश्विक समाधान का निर्माता है और उस निर्माण की जड़ें गांव में भी हो सकती हैं।
पश्चिमी ढांचे को सीधी चुनौती
अब तक भारतीय आईटी सेक्टर की पहचान यही थी कि “काम हम करें, मालिकाना हक़ उनका हो।”
वेम्बू ने इसे उलट दिया। बिना विदेशी फंड और बिना शेयर मार्केट के दबाव के ज़ोहो आज 190 से ज़्यादा देशों में सेवाएं दे रहा है।
बादल गयी सपनों की भाषा
अब यह संभव है कि सरकारी स्कूल का बच्चा ग्लोबल सॉफ़्टवेयर बनाए;गांव की लड़की अंतरराष्ट्रीय टीम संभाले;बिना एमबीए और आईआईटी के लोग प्रोडक्ट डिज़ाइनर बनें;कंपनी विदेशी निवेश के बिना भी बढ़े;यह दान नहीं, दूरदर्शी आत्मनिर्भरता के बूते सम्भव है।
असली आईटी क्रांति कैसी होगी ?
पहली आईटी लहर ने भारत के शहरों को काम दिया,ज़ोहो वाली यह लहर भारत के गांवों को आत्मविश्वास दे रही है। इतना ही नहीं यह निम्नलिखित तीन मिथक को भी तोड़ती है।
नवाचार सिर्फ़ शहरों में होता है
टैलेंट की भाषा सिर्फ़ अंग्रेज़ी है
सफलता के लिए निवेशक ज़रूरी हैं
यह कहानी भारत के लिए क्यों ज़रूरी है?
आज जब स्टार्टअप सिर्फ़ फंडिंग और वैल्यूएशन के पीछे भाग रहे हैं, ज़ोहो ने यह दिखाया कि लाभ, उत्पाद और अपना देसी मानव संसाधन को साथ लेकर भी विश्वस्तरीय सफलता हासिल की जा सकती है।
वेम्बू ने यह भरोसा पैदा किया है कि भारत का विकास आयातित नहीं, आत्मनिर्भर और स्थानीय भी हो सकता है।
श्रीधर वेम्बू ने कंपनी नहीं, सोच की दिशा बदली है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि गांव का युवा कर्मचारी नहीं, मैन्युफैक्चरर बन सकता है। अगर नीयत, दृष्टि और आत्मविश्वास साफ़ हो,तो चीन-अमेरिका जैसा वैश्विक संघर्ष भी भारत के लिए अवसर में बदला जा सकता है।
अगर भारत को तकनीकी महाशक्ति बनना है, तो उसे निम्नलिखित बातें यह पार लेनी होगी:
मॉडल बाहर से नहीं लाया जाए,
प्रतिभा को बाहर नहीं बेचा जाए
मैन्युफैक्चरिंग को गांवों तक ले जाया जाए
जिनको अबतक नज़रअंदाज़ किया गया है, उन्हीं पर भरोसा किया जाए
पहली IT Waves ने भारत को दुनिया के सामने अपनी विजिबिलिटी दिखाई,वेम्बू जैसे लोगों की यह न्यू IT Waves भारत की मौलिकता को संसार के सामने रखेगी बनाएगी।
ज़ोहो एक भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी है
जो व्यापार के लिए सॉफ्टवेयर और वेब-आधारित टूल बनाती है, और इसमें Zoho Mail, Zoho CRM, और Zoho Workplace जैसे कई ऐप हैं जो ईमेल, ग्राहक संबंध प्रबंधन और टीम सहयोग में मदद करते हैं। ज़ोहो के ऐप्स को मोबाइल और वेब पर इस्तेमाल किया जा सकता है, जो टीमों को दुनिया भर में कनेक्ट होने, काम करने और उत्पादकता बढ़ाने में मदद करते हैं।
जोहो के कुछ मुख्य ऐप और सेवाएं
Zoho Mail: यह एक पूर्ण-विकसित ईमेल, कैलेंडर और संपर्कों का सुइट है जो आपको एक ही ऐप में अपने ईमेल और शेड्यूल प्रबंधित करने देता है, साथ ही ऑफ़लाइन काम करने की सुविधा भी प्रदान करता है।
Zoho CRM: यह एक ग्राहक संबंध प्रबंधन एप्लिकेशन है जो बिक्री, विपणन और ग्राहक सहायता गतिविधियों को व्यवस्थित करने में मदद करता है, जिससे सभी ग्राहक टचपॉइंट पर एक सुसंगत अनुभव मिलता है।
Zoho Workplace: यह उत्पादकता और सहयोग के लिए एक सुइट है, जिसमें आप अपनी टीम के साथ संचार, फ़ाइल शेयरिंग और ऑनलाइन मीटिंग कर सकते हैं।
Zoho Assist: एक रिमोट सपोर्ट सॉफ्टवेयर जो तकनीशियनों को स्क्रीन शेयरिंग और रिमोट सपोर्ट प्रदान करने में मदद करता है।
- साभार सोशल मीडिया 🙏🙏🙏🙏
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