- मिदनापुर की 300 साल पुरानी अनोखी परंपरा!
- द्वारिकानाथ घोष ने सबसे पहले दुर्गा पूजा की तर्ज पर जगधात्री पूजा की शुरुआत
बंगाल में जगधात्री पूजाका शुभारंभ 30 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। दुर्गापूजा के तर्ज पर ही इस पूजा को मनाया जाता है। घोष के घराने की जगधात्री पूजा लोकप्रिय हो गई। बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले की घोष बाड़ी (घोष निवास) की जगधात्री पूजा प्राचीन पारंपरिक पूजाओं में से एक है। यह घोष बाड़ी मिदनापुर शहर के कंठकाली क्षेत्र में होती है। इसे द्वारिकानाथ की भूमि के रूप में भी जाना जाता है। इस पूजा की खास बात यह है कि पुरुषों को मूर्तियों को छूने का अधिकार नहीं होता।पूजा का इतिहासःघोष बाड़ी की जगद्धात्री पूजा 300 वर्षों से भी अधिक समय से होती आ रही है। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार, घोष परिवार हुगली के जमींदार थे। इसके एक सदस्य द्वारिकानाथ घोष थे। वे व्यापार-वाणिज्य के सिलसिले में अपने परिवार के साथ हुगली से मेदिनीपुर आ गए थे. यहीं द्वारिकानाथ घोष ने सबसे पहले दुर्गा पूजा की तर्ज पर जगधात्री पूजा शुरू की। तभी से घोष के घराने की जगधात्री पूजा इलाके में लोकप्रिय हो गई।पूजा की विशेषताएंः जगधात्री की मूर्ति बनाने का काम तब तक शुरू नहीं होता जब तक दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन न हो जाए।दुर्गा प्रतिमा के नदी में विसर्जित होने के बाद, उसकी मिट्टी लाकर जगधात्री की मूर्ति बनाने का काम शुरू होता है। दूर से दर्शन कर सकते पुरुषः इस पूजा में घर के पुरुषों को शुरू से लेकर विसर्जन तक मूर्ति को छूने का अधिकार नहीं होता। वे केवल दूर से ही दर्शन और पूजा कर सकते हैं। अंत में, विसर्जन के लिए जब मूर्ति को घाट पर ले जाया जाता है, तभी पुरुषों को माता की सेवा का अधिकार मिलता है।घर में बनी धूपबत्ती से होती पूजाः जगद्धात्री पूजा में देवी के सामने जलाई जाने वाली धूप सोलह प्रकार के मसालों से बनी होती है। मां की पूजा के लिए कोई भी धूप बाहर से नहीं खरीदी जाती। घोष परिवार की महिलाएं मिलकर धूप बनाती हैं।बलिदान की परंपराः इस पूजा की मुख्य विशेषता बलि प्रथा है। पहले भैंसों की बलि दी जाती थी।समय के साथ इसमें बदलाव आया है। अब लगभग 50 मेमने, भेड़, कद्दू और लौकी की बलि दी जाती है।यह बलि प्रथा पूजा के सातवें, आठवें, नौवें और दसवें दिन निभाई जाती है। परिवार सहित आसपास के गांवों के लोग इसका प्रसाद खाने के लिए इकट्ठा होते हैं।पूजा गीत की रचना : घोष परिवार की जगधात्री पूजा छठी पीढ़ी से मनाई जा रही है। घोष परिवार के वंशज पश्चिम मेदिनीपुर ज़िले सहित विभिन्न राज्यों में फैले हुए हैं. उनकी संख्या 150 से ज़्यादा है। घोष परिवार की जगधात्री पूजा आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी मनाई जा रही है। परिवार के एक सदस्य, सुशांत घोष ने हाल ही में घर पर होने वाली इस पूजा पर एक गीत भी तैयार किया है।जानते हैं कि कौन सा मंडप किस थीम पर सजाया गया है?
इस बार चंदननगर में पूजा समिति ने मंडप को कैसे सजाया?
चंदननगर में एक पूजा मंडप
चंदननगर की रोशनी की तरह, जगद्धात्री की मूर्ति भी प्रसिद्ध है। यहाँ मूर्ति की सजावट सभी का ध्यान आकर्षित करती है। और इस सजावट का एक हिस्सा है चलचित्र। जो मूर्ति के ठीक पीछे होता है। इसीलिए चंदननगर की विशाल मूर्तियों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहाँ आते हैं। इस बार चंदननगर में पूजा समिति ने मंडप को कैसे सजाया? क्या आप जानते हैं कि उनकी थीम क्या है?
चंदननगर में जगद्धात्री पूजा
कल्पुकुर सर्वजनिन इस बार अपने 49वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस वर्ष, उनकी थीम 'मिट्टी के घर में माँ' है। सजी हुई मूर्तियाँ और रोशनी इस मंडप का मुख्य आकर्षण हैं। दिल्ली रोड पर चंदननगर में पुल से उतरते ही आप इस मंडप को देख सकते हैं।
बड़ाबाजार सर्वजनिन ई समय
बड़ाबाजार सर्वजनिन इस बार 63 वर्ष के हो गए हैं। इस बार उन्होंने अपने मंडप में बीरभूम के आदिवासी गाँवों की लुप्तप्राय संस्कृति को प्रदर्शित किया है। मंडप में आदिवासी संस्कृति के जीवंत प्रदर्शन देखे जा सकते हैं। अस्पताल चौराहे से सीधे आने पर आप इस मंडप को देख सकते हैं।
उड्डीबाजार ई समय
उड्डीबाजार सर्वजनिन 63 वर्ष के हो गए हैं। इस वर्ष उनका विषय 'अस्तित्व का आकर्षण' है। मुख्य आकर्षण मंडप के अंदर लोहे की जाली वाली रोशनी है। चंदननगर फेरी घाट से सीधे आने पर आप इस मंडप को देख सकते हैं।
बेसोहाता ई समय
बेसोहाता सर्वजनिन 76 वर्ष के हो गए हैं। इस वर्ष उन्होंने पूरे मंडप को '75 के दशक के देश में 76 की माँ' की थीम पर सजाया है। पूरे मंडप को चंदननगर शहर और पराधीनता से स्वतंत्र हुए क्रांतिकारियों के चित्रों से सजाया गया है। चंदननगर रवींद्र भवन से सीधे ज्योतिर मोड़ की ओर जाएँ तो मंडप पहुँच जाएगा।
विद्यालंकार
विद्यालंकार अपने 69वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस बार उनकी थीम 'झिनुके सौर साज' है। माता की मूर्ति और पोशाक मुख्य आकर्षण हैं। चंदननगर अस्पताल मोड़ से सीधे जाएँ तो मंडप पहुँच जाएगा।
चंदननगर में जगद्धात्री पूजा
कुथिर मठ उत्तर इस बार अपने 31वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस बार उनकी थीम 'देवी शक्ति' है। मंडप में प्रवेश करते ही आपको दीपों की रोशनी में शेरों और हाथियों के चेहरे दिखाई देंगे। अस्पताल के सामने वाली सड़क पर गंगा की ओर थोड़ा चलने पर मंडप पहुँच जाएगा।
नोनाटोला
नोनाटोला अपने 46वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस वर्ष वे अपने मंडप में 'रूपदर्शिका' प्रस्तुत करेंगे। पूरा मंडप बाँस, सरकंडे, पत्तों और पुआल से बना है। इसके माध्यम से आगंतुकों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाएगा।चंदननगर स्ट्रैंड घाट से बाएं मुड़कर दाईं ओर की सड़क पर जाने पर आपको यह मंडप दिखाई देगा।चंदननगर पुलिस आयुक्तालय अमित पी जवालगी द्वारा आयोजित इस उद्घाटन समारोह में राज्य के मंत्री इंद्रनील सेन, ज़िलाधिकारी मुक्ता आर्य, चंदननगर के मेयर राम चक्रवर्ती, डिप्टी मेयर मुन्ना अग्रवाल डीसीपी चंदननगर अलकनंदा भवाल, डीएसपी श्रीरामपुर अर्णब विश्वास, डीएसपी शुभेंदु बनर्जी सहित समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे. उद्घाटन कार्यक्रम में पुलिस आयुक्त अमित पी जवालगी ने बताया कि इस वर्ष 250 स्थानों पर पूजा का आयोजन किया जा रहा है, पर 220 पूजा आयोजकों को ही प्रशासन ने अनुमति दी है. हुगली में जगद्धात्री पूजा का आयोजन कुछ बड़े स्तर पर होता है, राज्य के विभिन्न हिस्सों से लोग रेल, सड़क और फेरीघाट के रास्ते पूजा देखने आते हैं. सुरक्षा के कड़े प्रबंध : इसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस प्रशासन ने इस बार सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किये हैं. बाहर के जिलों से भी अतिरिक्त पुलिस बल चंदननगर बुलाया गया है. शहर में 300 अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं, जिनकी निगरानी के लिए तीन नए कंट्रोल रूम खोले गये हैं. इन कंट्रोल रूमों से 24 घंटे शहर पर नजर रखी जायेगी. भीड़भाड़ वाले इलाकों में सादे कपड़ों में पुलिसकर्मी और महिला पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे. ‘विनर्स टीम’ और ‘पिंक मोबाइल टीम’ की महिला पुलिस कर्मी लगातार गश्त करेंगी. जगद्धात्री पूजा के दौरान तीन हजार पुलिस कर्मी और लगभग एक हजार होमगार्ड तैनात रहेंगे. सुरक्षा व्यवस्था को छह सेक्टरों में बांटा गया है, जिनकी जिम्मेदारी छह पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों को दी गयी है. उनके साथ 20 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और 35 निरीक्षक स्तर के अधिकारी रहेंगे. 50 मोटरसाइकिलों पर तैनात ‘स्वीपिंग पार्टी’ लगातार पेट्रोलिंग करेगी. ड्रोन से भी की जायेगी निगरानी: सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए शहर के हर कोने में ड्रोन कैमरों से निगरानी की जायेगी. चंदननगर और भद्रेश्वर क्षेत्र के सभी घाटों पर लांच सेवा चालू रहेगी, जबकि पुलिस कंट्रोल रूम 24 घंटे खुला रहेगा. वाटर एम्बुलेंस की व्यवस्था की गयी. वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए भी विशेष दर्शन की व्यवस्था की गयी है. पूजा के दौरान शहर में 44 जगहों पर वाहनों की नो एंट्री रहेगी : यातायात नियंत्रण की शुरुआत षष्ठी (गुरुवार) से होगी. दोपहर दो बजे से अगले दिन सुबह छह बजे तक मालवाही वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा. शहर के कुल 44 स्थानों पर “नो एंट्री” लागू की जाएगी. मंत्री इंद्रनील सेन ने कहा कि यह पूजा केवल चंदननगर का गौरव नहीं, बल्कि देश और दुनिया में प्रसिद्ध है. इस बार पूजा का सीधा प्रसारण कर इसे विश्व स्तर पर पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। ( बंगाल से अशोक झा की रिपोर्ट)
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