- श्रीराममंदिर आंदोलन और निर्माण के असली हीरो थे सिंघल
आज विहिप नेता अशोक सिंघल की 99 जन्म जयंती है। विहिप नेता अशोक सिंघल सही मायने में अयोध्या के राम मंदिर के नींव के पत्थर था। विहिप नेता अशोक सिंघल 1989 में राम नाम की पहली ईंट सिर पर रख चले थे। राम मंदिर आंदोलन के नायकों में सबसे बड़ा नाम अगर कोई आता है तो वह हैं विहिप नेता अशोक सिंघल। वास्तव में वह श्रीराम मंदिर के असली हीरो थे। एक ऐसे राम साधक, संन्यासी, योद्धा, शिल्पकार, हिंदुत्व के प्रखर वक्ता, जिनकी साधना-जिनकी तपस्या, जिनकी दूरदृष्टि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का आकार ले चुकी है, वो सही मायने में अयोध्या के राम मंदिर के नींव के पत्थर हैं। अशोक सिंघल 1989 मे राम नाम की पहली ईंट सिर पर रख अयोध्या के लिए निकले थे। उस दौर में अलीगढ़ में भी रामभक्तों की एक सभा को संबोधित करते हुए अयोध्या जाने का आह्वान किया था। वह जब भगवान राम को टेंट में विराजमान देखते थे तो भावुक होकर कहते थे कि एक दिन प्रभु राम भव्य राम मंदिर में विराजेंगे। उनकी कही बात आज साकार हो गई। श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के दौरान जिनकी हुंकार से रामभक्तों के हृदय हर्षित हो जाते थे, वे श्री अशोक सिंहल जी संन्यासी भी थे और योद्धा भी पर वे स्वयं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक प्रचारक ही मानते थे। उनका जन्म आश्विन कृष्ण पंचमी (27 सितंबर, 1926) को उत्तर प्रदेश आगरा में हुआ था। सात भाई और एक बहिन में वे चौथे स्थान पर थे। मूलतः यह परिवार ग्राम बिजौली (जिला अलीगढ़,यूपी) का निवासी था। उनके पिता श्री महावीर जी शासकीय सेवा में उच्च पद पर थे। घर में संन्यासी तथा विद्वानों के आने के कारण बचपन से ही उनमें हिंदू धर्म के प्रति प्रेम जाग्रत हो गया। 1942 में प्रयाग में पढ़ते समय प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) ने उन्हें स्वयंसेवक बनाया। उन्होंने अशोक जी की मां विद्यावती जी को संघ की प्रार्थना सुनायी। इससे प्रभावित होकर उन्होंने अशोक जी को शाखा जाने की अनुमति दे दी। 1947 में देश विभाजन के समय कुछ नेता सत्ता पाने की खुशी मना रहे थे, पर देशभक्तों के मन इस पीड़ा से सुलग रहे थे कि ऐसे सत्तालोलुप नेताओं के हाथ में देश का भविष्य क्या होगा ? अशोक जी भी उन्हीं में से एक थे। इस माहौल को बदलने हेतु उन्होंने अपना जीवन संघ को समर्पित कर दिया। बचपन से ही उनकी रुचि शास्त्रीय गायन में रही। संघ के सैकड़ों गीतों की लय उन्होंने बनायी। उन्होंने काशी हिंदू वि.वि. से धातु विज्ञान में अभियन्ता की उपाधि ली थी। 1948 में संघ पर प्रतिबन्ध लगा, तो वे सत्याग्रह कर जेल गये। वहां से आकर उन्होंने अंतिम परीक्षा दी और 1950 में प्रचारक बन गये। प्रचारक के नाते वे गोरखपुर, प्रयागराज, सहारनपुर और फिर मुख्यतः कानपुर रहे।।सरसंघचालक श्री गुरुजी से उनकी बहुत घनिष्ठता थी।कानपुर में उनका सम्पर्क वेदों के प्रकांड विद्वान श्री रामचन्द्र तिवारी जी से हुआ। अशोक जी अपने जीवन में इन दोनों का विशेष प्रभाव मानते थे। 1975 के आपातकाल के दौरान वे इंदिरा गांधी की तानाशाही के विरुद्ध हुए संघर्ष में लोगों को जुटाते रहे। 1977 में वे दिल्ली प्रांत (वर्तमान दिल्ली व हरियाणा) के प्रान्त प्रचारक बने। 1981 में डा. कर्ण सिंह के नेतृत्व में दिल्ली में 'विराट हिंदू सम्मेलन' हुआ। उसके पीछे शक्ति अशोक जी और संघ की थी। उसके बाद उन्हें 'विश्व हिंदू परिषद' की जिम्मेदारी दे दी गई। एकात्मता रथ यात्रा, संस्कृति रक्षा निधि, रामजानकी रथयात्रा, रामशिला पूजन, रामज्योति आदि कार्यक्रमों से परिषद का नाम सर्वत्र फैल गया। अब परिषद के काम में बजरंग दल, परावर्तन, गाय, गंगा, सेवा, संस्कृत, एकल विद्यालय आदि कई नये आयाम जोड़े गये। श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन ने तो देश की सामाजिक और राजनीतिक दिशा ही बदल दी। वे परिषद के 1982 से 86 तक संयुक्त महामंत्री, 1995 तक महामंत्री, 2005 तक कार्याध्यक्ष, 2011 तक अध्यक्ष और फिर संरक्षक रहे। सन्तों को संगठित करना बहुत कठिन है, पर अशोक जी की विनम्रता से सभी पंथों के लाखों संत इस आंदोलन से जुड़े। इस दौरान कई बार उनके अयोध्या पहुंचने पर प्रतिबंध लगाये गये, पर वे हर बार प्रशासन को चकमा देकर वहां पहुंच जाते थे। उनकी संगठन और नेतृत्व क्षमता का ही परिणाम था कि युवकों ने छह दिसम्बर, 1992 को राष्ट्रीय कलंक के प्रतीक बाबरी ढांचे को गिरा दिया। कार्य विस्तार के लिए वे सभी प्रमुख देशों में गये। अगस्त-सितम्बर, 2015 में भी वे इंग्लैंड, हालैंड और अमरीका के दौरे पर गये अशोक जी काफी समय से फेफड़ों के संक्रमण इसी के चलते 17 नवम्बर, 2015 को उनका निधन हुआ। सिंघल 1990 में हुए राम मंदिर आंदोलन में विहिप नेता के करीबियों में शामिल रहे विहिप व बजरंग दल से जुड़कर मंदिर निर्माण आंदोलन चलाने के लिए जनसमर्थन जुटाने में अशोक सिंघल की अहम भूमिका रही थी। कई लोगों की नजरों में वह राम मंदिर आंदोलन के चीफ आर्किटेक्ट थे। वह कहते हैं कि क्या किसी ने कल्पना की थी कि 16 शताब्दी में बाबर निर्मित ढांचे को जमींदोज कर भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जा सकता है, लेकिन अशोक सिंघल के बेमिसाल संगठन क्षमता, लगातार प्रयास, मिशन को पूरा करने के संकल्प और असंभव को संभव कर दिखाने के जज्बे ने ये कमाल कर दिया। श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के गठन के साथ राम मंदिर आंदोलन का शंखनाद किया गया था। जिसके बाद पहली बार 1984 में श्रीराम जानकी रथयात्रा की शुरुआत की गई थी। जिसके बाद लोगों को राम मंदिर आंदोलन से जोड़ने के लिए अलग-अलग कार्यक्रम तय किए गए थे।भेष बदलकर अयोध्या पहुंचे थे अशोक सिंघल : विहिप नेता सिद्धार्थ मोहन अग्रवाल ने बताया कि संतों और रामभक्तों का विश्वास टूटने न पाए, इसलिए अक्टूबर 1990 में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा करने की घोषणा की थी। उस समय तत्कालीन सरकार इस कारसेवा को लेकर काफी सख्त थी, लेकिन कारसेवा के लिए लाखों कारसेवकों के साथ अशोक सिंघल भी भेष बदलकर बाइक से अयोध्या पहुंचे थे। दो नवंबर को कारसेवकों पर गोलियां चलीं, लाठीचार्ज हुए थे, जिसमें अशोक सिंघल भी घायल हुए थे।बीएचयू से की थी इंजीनियरिंग :अशोक सिंघल ने बीएचयू से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी। वह संगीत में भी सिद्धहस्त थे, लेकिन संगीत साधक अशोक सिंघल ने इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद नौकरी नहीं की बल्कि धर्म और समाज की इंजीनियरिंग करने निकल पड़े। 1970 के दशक तक वह गौ, गंगा, गीता और गायत्री के उत्थान के लिए समर्पित थे लेकिन 1980 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उन्हें विश्व हिंदू परिषद में भेजा था।बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी भी सक्रिय : राम मंदिर आंदोलन में दुर्गा वाहिनी की जिला संयोजिका पूनम बजाज बताती हैं कि राम मंदिर आंदोलन से युवाओं और महिलाओं को जोड़ने के लिए विश्व हिंदू परिषद की दो शाखाएं बजरंग दल और दुर्गा वाहिनी सक्रिय की गईं थीं। दुर्गा वाहिनी का नेतृत्व साध्वी ऋतंभरा और बजरंग दल की कमान संघ के युवा प्रचारक विनय कटियार को मिली थी। एक सभा को संबोधित करते हुए विहिप नेता अशोक सिंघल ने कहा था कि काम करते रहो, यह समय है राम मंदिर का यह मुक्त होना चाहिए. ये विदेशी आक्रांताओं ने जिस प्रकार से इसको तोड़ा है, वह कभी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। 2014 में आखिरी बार अलीगढ़ आए थे अशोक सिंघल :पैतृक गांव बिजौली में भगवान राम मूर्ति की कराई थी प्राण-प्रतिष्ठा : विहिप नेता अशोक सिंघल 2014 में आखिरी बार अलीगढ़ आए थे। यहां उन्होंने अपने पैतृक गांव बिजौली में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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