- राष्ट्रभक्ति से राष्ट्रशक्ति का अनुपम उपहार है यह संयोग, जीत के एनडीए आशान्वित
जिस आरएसएस को कांग्रेसी तालिबानी की संज्ञा देते नहीं थकते, उसी संघ के एक स्वयंसेवक एक बार फिर उपराष्ट्रपति पद की शोभा बढ़ाने को आतुर है। यह संघ के 100 वर्षों के सफर का सबसे बड़ा अनुपम उपहार है। जहां राष्ट्रभक्ति एक बार फिर राष्ट्रशक्ति के साथ देश को ऊंचाइयों पर ले जाने का शतत प्रयास करेगा। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद भारतीय जनता पार्टी ने तमिलनाडु के सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति की कुर्सी देने का फैसला किया है. 27 दिनों तक चले सियासी अटकलों पर विराम लगाते हुए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राधाकृष्णन के नाम की घोषणा की है। भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव सामने आया है. एनडीए ने आखिरकार उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया है. रविवार (17 अगस्त 2025) को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बताया कि सीपी राधाकृष्णन को एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है।चुनाव के लिए जारी आंकड़ों के अनुसार, कुल 782 सांसद उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने के पात्र हैं, जिसमें 542 लोकसभा और 240 राज्यसभा के हैं. चुनाव में बहुमत के लिए 392 सांसदों की जरूरत होगी.
वहीं, सरकार के पक्ष में 427 सांसदों का समर्थन बताया जा रहा है, जिसमें 293 लोकसभा और 134 राज्यसभा के सदस्य शामिल हैं. इसके इतर विपक्ष के पास 355 सांसदों का गणित है, जिसमें 249 लोकसभा और 106 राज्यसभा के सदस्य शामिल हैं. हालांकि, इनमें से 133 सांसदों का समर्थन अभी अनिर्णित माना जा रहा है जो इस चुनाव के फैसले में निर्णायक साबित हो सकते हैं। इन्हीं अनिर्णित 133 वोटों को अपने पक्ष में करने की कोशिशें तेज हो गई हैं. इंडिया ब्लॉक को होने वाली बैठक में इस नंबर गेम पर चर्चा हो सकती है। कांग्रेस और अन्य दलों के नेता अपने उम्मीदवार को मजबूत करने और सरकार के नंबर गेम को चुनौती देने की रणनीति बना सकते हैं. जबकि दूसरी ओर सरकार अपने सहयोगियों साथ मिलकर विपक्ष की कोशिशों को कमजोर करने में जुटी है। इसी क्रम में राजनाथ सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष से बातचीत कर समर्थन मांगा है, क्योंकि इन अनिर्णित वोटों में कई क्षेत्रीय दलों का प्रभाव हो सकता है.
इस प्रकार है संख्या बल:लोकसभा (542 सांसद), सरकार के साथ: 293,विपक्ष के साथ: 249, राज्यसभा (240 सांसद)
सरकार के साथ: 134, विपक्ष के साथ: 106 इस समीकरण में साफ दिखता है कि सरकार समर्थित उम्मीदवार को विपक्ष पर बढ़त हासिल है, क्योंकि उनके पास बहुमत से ज्यादा यानी 427 सांसदों का समर्थन है। वहीं विपक्ष 355 सांसदों के साथ थोड़ी दूरी पर है. अब देखना होगा कि क्या विपक्ष एकजुट रह पाता है या कुछ सांसद क्रॉस वोटिंग कर सरकार समर्थित उम्मीदवार की राह आसान कर देंगे। NDA ने सीपी राधाकृष्णन को घोषित किया उम्मीदवार : इसके अलावा बीजेपी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और अपने कद्दावर नेता सीपी राधाकृष्णन को एनडीए का उम्मीदवार घोषित कर दिया है. इसके साथ ही बीजेपी ने दक्षिण भारत की राजनीति को भी साधने की कोशिश की है, क्योंकि बीजेपी साउथ में छोटे दलों के साथ गठबंधन कर पैठ बनाने की कोशिश कर रही है।कांग्रेस-DMK को चुनौती: बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार घोषित कराना कांग्रेस और डीएमके को सीधी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि वह तमिलनाडु के कोयंबटूर से हैं और वह वहां से दो बार सांसद भी रह चुके हैं. वहीं. 2024 के लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों को छोड़कर बीजेपी का प्रदर्शन तमिलनाडु में निराशाजनक था। जेपी नड्डा ने तो उम्मीद जताई कि विपक्षी दल NDA कैंडिडेट का समर्थन करेंगे। हालांकि, कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन के दल अपना अलग उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी में हैं। कैंडिडेट के नाम को लेकर मंथन जारी है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच टक्कर होती है तो किसे बढ़त मिलेगी।
दरअसल, उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की ओर से किया जाता है। साथ ही उच्च सदन के मनोनीत सदस्य भी मतदान के पात्र होते हैं। फिलहाल, लोकसभा में कोई मनोनीत सदस्य नहीं है। 543 सदस्यीय लोकसभा में पश्चिम बंगाल के बशीरहाट की एक सीट रिक्त है, जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में 6 सीटें खाली हैं। राज्यसभा की छह रिक्तियों में से चार जम्मू-कश्मीर से, एक-एक पंजाब और झारखंड से हैं। दोनों सदनों की प्रभावी संख्या 781 है और जीतने वाले उम्मीदवार को 391 मतों की जरूरत होगी, बशर्ते कि सभी पात्र मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करें।
एनडीए उम्मीदवार राधाकृष्णन को बढ़त:
लोकसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को 542 सदस्यों में से 293 का समर्थन प्राप्त है। सत्तारूढ़ गठबंधन को राज्यसभा में 129 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। इसकी प्रभावी संख्या 240 है, बशर्ते मनोनीत सदस्य एनडीए उम्मीदवार के समर्थन में मतदान करें। इस प्रकार, सत्तारूढ़ गठबंधन को लगभग 422 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन को आसानी से जीत मिल सकती है, अगर सभी योग्य मतदाता अपने-अपने गठबंधन के हिसाब से मतदान करते हैं।सीपी राधाकृष्णन ने 31 जुलाई, 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली. अपनी नियुक्ति से पहले, उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया. साथ ही उन्होंने कुछ समय के लिए तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला. चार दशकों से अधिक के अनुभव के साथ राधाकृष्णन तमिलनाडु की राजनीति और सार्वजनिक जीवन में एक सम्मानित नाम हैं।1957 में तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे राधाकृष्णन ने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करते हुए वे 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने। 1996 में राधाकृष्णन को तमिलनाडु में भाजपा का सचिव नियुक्त किया गया. वे 1998 में कोयंबटूर से पहली बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। 1999 में वे पुनः सांसद बने. सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कपड़ा संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. वे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) संबंधी संसदीय समिति और वित्त संबंधी परामर्शदात्री समिति के भी सदस्य थे. वे स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच करने वाली संसदीय विशेष समिति के सदस्य थे। 2004 में राधाकृष्णन ने संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया. वे ताइवान गए पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे. 2004 से 2007 के बीच, राधाकृष्णन तमिलनाडु में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे. इस पद पर रहते हुए, उन्होंने 93 दिनों तक चली 19,000 किलोमीटर की 'रथ यात्रा' की। 2016 में राधाकृष्णन को कोच्चि के कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, इस पद पर वे चार साल तक रहे. उनके नेतृत्व में, भारत से कॉयर निर्यात 2,532 करोड़ रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया. 2020 से 2022 तक, वे केरल के लिए भाजपा के अखिल भारतीय प्रभारी रहे।
18 फरवरी, 2023 को राधाकृष्णन को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया. अपने पहले चार महीनों के दौरान, उन्होंने झारखंड के सभी 24 जिलों की यात्रा की और नागरिकों और जिला अधिकारियों से बातचीत की. उन्होंने तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला। महाराष्ट्र के राज्यपाल का कार्यभार संभालने के बाद से राधाकृष्णन ने पूरे महाराष्ट्र का भ्रमण किया है. उन्होंने जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, व्यापारिक नेताओं और समाज के विभिन्न वर्गों से मुलाकात की है। ( अशोक झा की रिपोर्ट )
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