- एसटीएफ मध्यप्रदेश ने गिरफ्तारी के बाद ले गई अपने साथ
- एक अन्य आरोपी की गिरफ्तारी से खुला कोलकोता में छुपे होने का राज
मध्यप्रदेश एमपी के जबलपुर से फर्जी पते पर पासपोर्ट बनवाने वाले एक और अफगानी अकबर को कोलकाता से गिरफ्तार किया गया है। एटीएस की टीम ने इससे पहले इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। खबर है कि अकबर उम्र 53 वर्ष ने जबलपुर के पते पर फर्जी पासपोर्ट बनवाया था, इसके बाद वह कुछ दिन तक जबलपुर में रहने के बाद कोलकाता चला गया। एटीएस की टीम ने कोलकाता में दबिश देकर अकबर को गिरफ्तार किया और जबलपुर लेकर आ गई है। तीन दिन पहले एटीएस की टीम ने जबलपुर के छोटी ओमती क्षेत्र से सोहबत खान को गिरफ्तार किया था। जिसने पूछताछ में अपने साथी अकबर के बारे में बताया। इसके बाद एटीएस की टीम ने कोलकाता पुलिस की मदद से अकबर को गिरफ्तार किया है। अकबर की मुलाकात भी सोहबत खान के जरिए जबलपुर में फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाले गिरोह के सदस्यों से हुई थी। अकबर ने पासपोर्ट के लिए गिरोह के सदस्य को 1 लाख 20 हजार रुपए दिए थे। इसके बाद गिरोह ने जबलपुर के फर्जी पते पर आधार कार्ड बनवाया फिर पासपोर्ट के आवेदन की प्रक्रिया पूरी की।
सोहबत के जरिए अकबर की मुलाकात जबलपुर के फर्जी दस्तावेज बनवाने वाले गिरोह से हुई थी। अकबर ने पासपोर्ट के लिए 1 लाख 20 लाख रुपये गिरोह को दिए थे। गिरोह ने उसके लिए जबलपुर के फर्जी पते पर आधार कार्ड बनवाया और पासपोर्ट आवेदन प्रक्रिया पूरी की।
20 साल पहले भारत आया था अकबर-
एटीएस को पूछताछ में पता चला कि अकबर उम्र 53 वर्ष करीब 20 साल पहले भारत आया था। इसके बाद से भारत के कई शहरों में घूमता रहा और जबलपुर के पते पर फर्जी पासपोर्ट बनवाया। इसके बाद वह पश्चिम बंगाल चला गया।
सत्यापन के लिए जबलपुर आया था अकबर-
एटीएस को पूछताछ में पता चला कि अकबर सत्यापन के लिए एक दिन के लिए जबलपुर आया था। यहां पर औपचारिकताएं पूरी करने के लिए कोलकाता लौट गया। पासपोर्ट जारी होने के बाद गिरोह ने डाकिया को 3 हजार रुपए देकर दस्तावेज प्राप्त कर लिए थे।
एटीएस को एक और आरोपी की तलाश-
खबर है कि सोहबत खान का एक और साथी अभी फरार है, जिसकी तलाश में एटीएस की टीमें संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है। वहीं पुलिस फर्जी पासपोर्ट बनवाने वाले गिरोह के सदस्यों की तलाश में भी जुटी है। इस मामले में अभी और भी कई खुलासे होगें।
एटीएस की गिरफ्त में पहले तीन सदस्य आ चुके है।-दिनेश गर्ग निवासी विजयनगर। महेन्द्र कुमार सुखदान निवासी कटंगा। चंदन सिंह निवासी रामपुरअफगानिस्तान लौटने की फिराक में था अकबर। खबर है कि अकबर ने भारत में कदम रखते ही अपना असली पासपोर्ट नष्ट कर दिया था। वह काम की तलाश में देश के कई शहरों में घूमता रहा। इसके बाद कोलकाता पहुंचा तो वहीं पर रहने लगा। वहीं पर अकबर की मुलाकात सोहबत खान से हुई थी।बताया जा रहा है कि सोहबत खान वर्ष 2015 में भारत में अवैध रूप से प्रवेश कर पहले पश्चिम बंगाल में रुका और फिर भोपाल होते हुए जबलपुर आ गया। जबलपुर आने के बाद उसने खुद को भारतीय नागरिक दिखाने के लिए न केवल नौकरी की तलाश की, बल्कि एक स्थानीय महिला से विवाह भी कर लिया. वह ओमती क्षेत्र में काफी समय से निवास कर रहा था और उसके पास से बरामद दस्तावेजों में फर्जी आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट शामिल हैं। एटीएस सूत्रों के अनुसार, उसने वर्ष 2015 में जबलपुर से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया और वर्ष 2020 में पासपोर्ट हासिल किया. इसके लिए उसने आधार कार्ड में पता बदलवाकर जबलपुर का नकली एड्रेस अपलोड किया था. जांच में यह भी सामने आया है कि उसने पश्चिम बंगाल के दो अन्य अफगानी नागरिकों अकबर और इकबाल के भी पासपोर्ट बनवाने में मदद की, जिनके पते में जबलपुर का जिक्र किया गया था. पूछताछ में सामने आया कि सोहबत खान भारतीय दस्तावेज बनवाने के लिए लोकल एजेंट्स की मदद लेता था और इसके बदले में मोटी रकम चुकाता था.
दो अन्य स्थानीय नागरिक भी अरेस्ट
शुरुआती जानकारी के अनुसार, पासपोर्ट और अन्य पहचान-पत्र बनवाने के लिए लगभग 10 लाख रुपए का लेनदेन हुआ है. एटीएस ने इस नेटवर्क में शामिल दो अन्य स्थानीय व्यक्तियों को भी गिरफ्तार किया है, जिनमें एक विजय नगर निवासी वन रक्षक दिनेश गर्ग है, जो वर्तमान में कलेक्ट्रेट के चुनाव सेल में पदस्थ है। दूसरा आरोपी महेंद्र कुमार कटंगा क्षेत्र का निवासी है जो दस्तावेजों की फर्जी प्रक्रिया में सहायक की भूमिका निभा रहा था।
जांच एजेंसी को इस बात के भी सुराग मिले हैं कि सोहबत खान के अन्य सहयोगी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय हैं। फिलहाल उनसे संबंधित दस्तावेजों की भी गहन जांच चल रही है। एटीएस को संदेह है कि सोहबत खान ने जबलपुर स्थित पासपोर्ट कार्यालय में अफगानी नागरिकों के लिए भारतीय पासपोर्ट बनवाने के लिए प्रयास किया और इसके लिए वह बार-बार कार्यालय के चक्कर लगा रहा था। साथ ही, उसने कई स्थानीय लोगों को भी इस प्रक्रिया में शामिल कर नकद भुगतान किया।
सूत्रों का यह भी दावा है कि फिलहाल मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में करीब 20 से अधिक अफगानी युवक गुप्त रूप से रह रहे हैं, जिनकी पहचान और गतिविधियों की जांच का काम एटीएस कर रही है. फर्जी पहचान और दस्तावेजों के सहारे देश की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने वाले इस गिरोह का खुलासा होना एटीएस की बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। पूछताछ और जांच के बाद और भी नाम सामने आने की संभावना है। ( बंगाल से अशोक झा )
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