भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के साथ सिलीगुड़ी इस्कॉन मंदिर, प्रणामी मंदिर समेत घरों सार्वजनिक स्थानों पर उत्साह भक्ति का माहौल देखने को मिल रहा था। जहां भगवान कृष्ण के प्राकट्योत्सव की खुशी में भक्त झूमते हुए नजर आ रहे हैं, वहीं तमाम घरों में मंगल गीत गाए जा रहे हैं।इस दौरान दार्जिलिंग के सांसद राजू विष्ट भी इस्कॉन पहुंचे। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण धर्म और जीवन के शाश्वत संदेश भी हैं. उनकी 16 कलाएं हमें यह सिखाती हैं कि कर्म में योग हो, वाणी में मधुरता हो, नीति में धर्म हो और जीवन में करुणा हो. उनके जीवन का हर चरित्र हमें एक संदेश देता है. उन्होंने समानता की बात की. मेरा मानना है कि आज का दिन पूरे देश और हिंदू धर्म के प्रत्येक श्रद्धालु के लिए एक शुभ दिन है। भगवान कृष्ण की कृपा हम सभी पर सदैव बनी रहे. पूरा देश उत्सव के माहौल में है और भगवान के दिव्य आगमन की तैयारी करते हुए सभी को मिलकर यह उत्सव मनाना चाहिए। इस्कॉन मंदिर में भव्य आयोजन किया गया है। लोग लगातार यहां पर पहुंच रहे हैं और भगवान कृष्ण का दर्शन कर रहे हैं। भाजपा सांसद ने भी भगवान कृष्ण के दर्शन किए और आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि मैं सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। हम सभी पर भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद बना रहे। हम कन्हैया की पूजा करने के साथ उनकी ओर से दिए गए संदेशों को आत्मसात करें।
उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने जो संदेश दिया है, वो जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है। उन्होंने ग्वालों से कहा कि इंद्र की पूजा मत करो, वो तो बहुत दूर है। गोवर्धन को पूजो, जो हमें सब कुछ देता है. गोवर्धन पर्वत गायों को घास देता है, यहां के पेड़ फल देते हैं। साथ ही कई तरह की औषधियां भी मिलती हैं. यही तो भगवान श्री कृष्णा का 'वोकल फॉर लोकल' का संदेश था। आज के संदर्भ में कहें तो स्वदेशी अपनाओ. अपने गांव, अपने जिले और अपने प्रदेश में बनी चीजों को ही दैनिक उपयोग में खरीदें। अगर हम अपने आसपास बनी चीजों को खरीदेंगे तो कारीगरों को, स्वयं सहायता समूहों और किसानों को फायदा होगा. उनकी आय बढ़ेगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हुए संकल्प करें कि हम केवल स्वदेशी वस्तुएं ही खरीदेंगे और स्वदेशी के प्रण को जन-जन तक पहुंचाएंगे. स्वदेशी को हमें मिलकर जन आंदोलन बनाना है। मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से भव्य रूप से सजाया गया है. मंदिर प्रांगण और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। लोक कलाकारों द्वारा भगवान श्री कृष्ण की वेशभूषा में आकर्षक नृत्य और श्री कृष्ण के भजनों की प्रस्तुतियां दी गई। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है. सुबह से ही मंदिरों में तैयारियां जोरों पर हैं. जगह-जगह फूलों और रोशनी से सजे मंदिर भक्तों को आकर्षित कर रहे हैं. भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को धूमधाम से मनाने के लिए भक्त तैयार हैं और श्रद्धालु मंदिर पहुंचकर अपने आराध्य के दर्शन कर रहे हैं। मंदिर समिति की ओर से सुरक्षा के भी खास इंतजाम किए गए हैं। इस्कॉन के नामकृष्ण दास ने कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि- ’अर्द्धरात्रे तु रोहिण्यां यदा कृष्णाष्टमी भवेत्. तस्यामभ्यर्चनं शौरिहन्ति पापों त्रिजन्मजम्.’ यानी अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र हर्षण योग में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मानना चाहिए व्रत रखकर पूजा-पाठ करनी चाहिए। इससे भक्तों के तीन जन्मों के पाप समूल खत्म हो जाते हैं इस योग में जन्माष्टमी मनाने से शत्रुओं का भी दमन होता है।
एक अन्य श्लोक के अनुसार- ’त्रेतायां द्वापरे चैव राजन् कृतयुगे तथा रोहिणी सहितं चेयं विद्वद्भि: समुपपोषिता.’ यानी हे राजन! त्रेता युग, द्वापर युग, सतयुग में रोहिणी नक्षत्र युक्त अष्टमी तिथि में ही विद्वानों ने कृष्ण जन्माष्टमी का उपवास किया, इसलिए कलयुग में भी इसे उत्तम योग में मनाया गया। ( नार्थ ईस्ट से अशोक झा की रिपोर्ट )
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