बुन्देलखंड एमपी के पन्ना टाइगर रिजर्व की धरोहर और वन्य जीव प्रेमियों के लिए आकर्षक का केंद्र रही दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला का बुधवार दोपहर लगभग डेढ़ बजे हिनौता हांथी कैम्प मे निधन हो गया। पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि हिनौता हांथी कैम्प के पास एक नाले में वत्सला गिर गई थी। वह फिर उठ नहीं पाई। सौ वर्ष से भी अधिक उम्र की इस हथिनी की मौत से पन्ना टाइगर रिजर्व में शोक का माहौल है।
वत्सला हथिनी मूलतः केरल के नीलांबुर फॉरेस्ट डिवीजन में पली-बढ़ी थी। इसका प्रारंभिक जीवन नीलांबुर वन मंडल (केरल) में वनोपज परिवहन का कार्य करते हुए व्यतीत हुआ। इस हथिनी को 1971 में जब केरल से होशंगाबाद मध्यप्रदेश लाया गया, उस समय वत्सला की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी। वत्सला को वर्ष 1993 में होशंगाबाद के बोरी अभ्यारण्य से पन्ना राष्ट्रीय उद्यान लाया गया, तभी से यह हथिनी यहां की पहचान बनी हुई थी।
फरवरी वर्ष 2020 में वत्सला की दोनों आंखों में मोतियाबिंद हो गयाथा। उसे दिखाई भी नहीं देता था। टाइगर रिजर्व का कर्मचारी मनीराम उसकी सूंड अथवा कान पकड़कर जंगल में घुमाने ले जाता था। बिना सहारे के वत्सला ज्यादा दूर तक नहीं चल पाती थी। वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ एस. के. गुप्ता बताते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व के ही एक नर हाथी ने वर्ष 2003 और 2008 में दो बार प्राणघातक हमला कर वत्सला को बुरी तरह से घायल कर दिया था। वर्षो के इलाज के बाद वह स्वस्थ हुई थी। हथिनी वत्सला अत्यधिक शांत और संवेदनशील थी। पन्ना टाइगर रिजर्व में हाथियों के कुनबे में बच्चों की देखभाल दादी मां की भांति करती रही है।
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