यहां शेषनाग पर विराजे हैं शिवजी, सर्पराज तक्षक ने की थी तपस्या
आज नाग पंचमी है। माना जाता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की उपासना के साथ साथ भगवान शिव की पूजा और उनका रुद्राभिषेक करना बहुत ही शुभ माना जाता है।दरअसल, ऐसा करने से जातक कालसर्प दोष से मुक्त हो जाता है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नागों को भगवान शिव के आभूषण में से एक माना जाता है। वहीं, महाकाल नगरी उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर भी इसी परंपरा का प्रतीक माना जाता है। यह साल में केवल एक बार 24 घंटे के लिए नाग पंचमी के दिन खुलता है। चलिए जानते हैं कि नागचंद्रेश्वर मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा और मान्यता क्या है। उज्जैन के महाकाल मंदिर के शिखर पर भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव का मंदिर है। इस मंदिर के पट कल रात 12 बजे खोल दिए गए हैं। इस दौरान नागचंद्रेश्वर क त्रिकाल पूजा के साथ-साथ आरती की गई और बाद में भोग लगाया गया। इसके बाद ही मंदिर में आम जनता का प्रवेश हुआ। बता दें कि इस मंदिर के पट 24 घंटे तक खुले रहेंगे। मंदिर के पट श्रद्धालुओं को लिए मंगलवार की रात 12 बजे तक खुलें रहेंगे। खास बात ये है कि इस मंदिर के पट सिर्फ नाग पंचमी वाले दिन ही खुलते हैं। महाकाल मंदिर के गर्भगृह के ठीक ऊपर ही ओंकारेश्वर मंदिर बना हुआ। इसके ऊपर ही नागचंद्रेश्वर मंदिर है। ऐसी ही नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा : बता दें कि नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11 वीं शताब्दी की एक अलौकिक प्रतिमा है। इस प्रतिमा में नागों के 7 फन बने हुए हैं। इस प्रतिमा में शिव और पार्वती मां के वाहन नंदी और सिंह भी विराजमान हैं। साथ ही गणेश, कार्तिकेय के साथ-साथ सूर्य और चंद्रमा भी बने हुए हैं। माना जाता है कि ऐसी अद्भुत प्रतिमा दुनिया के किसी भी कोने में नहीं है।धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक नाग पंचमी हर वर्ष श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाई जाती है। इस साल नाग पंचमी का पर्व देशभर में 29 जुलाई को मनाया जा रहा है। आज के दिन लोग खासकर नाग देवता की पूजा करते हैं। उज्जैन में नाग देवता का प्राचीन मंदिर स्थित है, जो साल में एक बार नाग पंचमी को 24 घंटे के लिए श्रद्धालुओं के लिए खुलता है। जहां नाग दोष निवारण सहित पूजा पाठ पूरे दिन चलता है।
साल में एक बार खुलते हैं मंदिर के कपाट
बता दें कि उज्जैन में बाबा महाकाल मंदिर के शिखर पर भगवान नागचंद्रेश्वर की अति दुर्लभ प्रतिमा है। यहां शेष शैय्या पर शिव परिवार विराजमान है।साथ ही पास में गर्भगृह में सिध्देश्वर महादेव विराजमान हैं। दोनों मंदिर साल में एक बार भक्तों के लिए खुलते हैं। यहां पूरे साल में भक्तों को मात्र 24 घंटे दर्शन होते हैं। बाकी समय में इन मंदिरों में भक्तों का प्रवेश वर्जित रहता है।
पट खुलते ही दर्शन के लिए लगा तांता:
महाकालेश्वर मंदिर में तीसरी मंजिल में मौजूद नागचंद्रेश्वर के पट 28-29 जुलाई की दरमियानी रात 12 बजे मंदिर के महंत एवं महानिर्वाणी पंचायती अखाड़े के महामंडलेश्वर विनीत गिरी महाराज ने खोले। नागचंद्रेश्वर एवं सिध्देश्वर महादेव का पूजन अर्चन किया। परंपरा का निर्वहन करते हुए षोडषोपचार पूजन के साथ सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन हुआ। नारियल बदार कर पट खोले गए फिर साम्ब सदाशिव, गजलक्ष्मी, भगवान विष्णु फिर ऊपर नागचंद्रेश्वर का पूजन फिर सिद्धेश्वर महादेव का पूजन कर देश, प्रदेश में सुख समृद्धि बनी रहे मंगलकामना की गई।
रात 12 बजे मंत्रियों ने परिवार संग किए दर्शन
रात 12 बजे पूजन के दौरान उज्जैन प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सम्पतिया उइके, पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारी परिवार संग शामिल हुए। कुछ ही देर बाद आम भक्तों के दर्शन का क्रम बरसते पानी में शुरू हुआ । मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी परिवार संग रात 2 बजे दर्शन किए। दर्शन का क्रम अब 29 जुलाई की रात 12 बजे तक जारी रहेगा। मंगलवार को दोपहर 12 बजे शासकीय पूजन कलेक्टर, एसपी, कमिश्नर परिवार संग एवं संध्या पूजन महाकाल मंदिर के पुजारी करेंगे। इसे त्रिकाल पूजन कहा गया है।
10 लाख भक्तों का अनुमान: कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने कहा, "पट खुलते ही भक्तों को दर्शन लाभ मिल रहा है। मंदिर प्रबंधन और प्रशासन द्वारा सारी व्यवस्थाएं वाहन पार्किंग से लेकर चारधाम मंदिर, हरसिद्ध मन्दिर, बड़ा गणेश के यहां बैरकेटिंग तक। विश्राम धाम, नागचंद्रेश्वर एवं सिध्देश्वर महादेव के दर्शन लाभ भक्त 40 से 60 मिनट के बीच दर्शन कर लौट रहे है। इसके अलावा महाकाल बाबा के दर्शन की अलग व्यवस्था है. इन 24 घंटों में 8 से 10 लाख भक्तों द्वारा दर्शन किए जाने का अनुमान है। भक्तों की सुविधाओं का रखा गया ख्याल
मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, "ये सौभाग्य की बात है पूरे देश में मालवा की भूमि पर नागचंद्रेश्वर के साल में एक बार दर्शन होते हैं। मैं अनेकों वर्षों से आ रहा हूं। अब भक्तों की संख्या बहुत बढ़ गई है। व्यवस्थाओं में कोई कमी नहीं है, लेकिन भक्तों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए और व्यवस्थाएं जुटाने के लिए अगले वर्ष प्रयास किये जाएंगे। भगवान नागचंद्रेश्वर की कृपा सब पर बनी रहे।
हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजा प्रांगण:
भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने बरसते पानी में उत्तर प्रदेश, राजस्थान झारखंड, मध्य प्रदेश सहित अलग-अलग राज्यों के दर्शनार्थी पहुंचे हैं। सभी भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर आनंद उत्साह से भरपूर होने की बात कही। साथ ही कहा कि 1 घंटे में अच्छे से दर्शन हो गए हैं। कथा के अनुसार, सर्पराज तक्षक ने भगवान शिव को खुश करने के लिए घोर तपस्या की थी। सांपों के राजा तक्षक की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था। मगर इस वरदान को पाने के बावजूद सांपों के राजा तक्षक खुश नहीं थे। उन्होंने भगवान शिव से कहा की वो हमेशा उनके सानिध्य में ही रहना चाहते हैं। इसलिए, उन्हें महाकाल वन में ही रहने दिया जाए. भोलेनाथ ने उन्हें महाकाल वन में रहने की अनुमति देते हुए आशीर्वाद भी दिया की उन्हें एकांत में विघ्न ना हो, इस वजह से ही साल में एक बार सिर्फ नाग पंचमी के दिन ही इस मंदिर को खोला जाएगा।नागचंद्रश्वर मंदिर में होती है त्रिकाल पूजा: श्री नागचंद्रेश्वर का दुर्लभ रूप श्री महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे तल पर स्थापित है जिसे नागराज तक्षक का निवास कहते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में नागचंद्रेश्वर के दर्शन के बाद ही व्यक्ति किसी भी तरह के सर्प दोष से मुक्त हो जाता है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट खोलने के साथ ही त्रिकाल पूजा का भी विधान है। त्रिकाल यानी तीन अलग अलग समय की जाने वाली पूजा। जिसमें पहली पूजा मध्य रात्रि 12 बजे पट खुलने के बाद महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा की जाती है। दूसरी पूजा नाग पंचमी के दिन दोपहर 12 बजे प्रशासन की ओर से अधिकारियों द्वारा की जाती है। वहीं, तीसरी पूजा शाम साढ़े सात बजे भगवान महाकाल की संध्या आरती के बाद मंदिर समिति की ओर से महाकाल मंदिर के पुरोहित पुजारी करते हैं जिसके बाद रात बारह बजे आरती के पश्चात मंदिर के पट फिर से एक साल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। माना जाता है, मालवा साम्राज्य के परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी में लगभग मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिंधिया परिवार के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का रेनोवेशन करवाया था। श्री नागचंद्रेशर भगवान की प्रतिमा को नेपाल से लाकर यहां स्थापित किया गया था।
दुनियाभर के घुमक्कड़ पत्रकारों का एक मंच है,आप विश्व की तमाम घटनाओं को कवरेज करने वाले खबरनवीसों के अनुभव को पढ़ सकेंगे
https://www.roamingjournalist.com/