दस साल बाद कुमाऊनी रायता खाया, अच्छा इतना लगा तीन-चार प्लेट खा गया
जुलाई 09, 2025
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कुमाऊनी रायता शायद पहली बार दस साल पहले खाया था। तिथि, समय और वर्ष याद नहीं है। इस मामले में थोड़ा कच्चा हूं। पहली ही बार में भा गया था। तब हम अपने मित्र MMC Sharma के साथ जागेश्वर उनके रेसोर्ट जा रहे थे। कहीं अल्मोड़ा के आसपास एक साधारण दुकान में खाया था। इतना अच्छा लगा था कि तीन चार प्लेट खा गया था। उसके बाद रेसिपी सीखी। फिर कई बार बनाया। ड्रेसिंग को थोड़ा फैंसी बनाया। सरसो का कच्चा तेल भी डाला, जो मेरी जानकारी में कुमाऊनी रायते में नहीं पड़ता है। एक परिवर्तन और था काकड़ी की जगह खीरे का प्रयोग। पहाड़ी ककड़ी का स्वाद ही अलग है। काकड़ी दिखती जरूर खीरे की तरह है, लेकिन उसका आकार और मोटाई घिया/लौकी की तरह होता है। बीते रामगढ़ प्रवास के दौरान पृथ्वी 'लक्ष्मी' राज सिंह की माँ से एक बड़ी काकड़ी मिली थी। तब कई बार रायता बना था। इस बार के प्रवास में काकड़ी बाजार से खरीदी। वह भी नथुवा खान से। फिर क्या था! बनाया गया कुमाऊनी रायता। ड्रेसिंग शेफ वाली है। सच, खीरे में वह स्वाद नहीं आता है, जो पहाड़ी काकड़ी में आता है। स्वादिष्ट तो बनना ही था, सो बना... @प्रदीप सौरभ की फेसबुक वॉल से साभार #ramgarahincredible #pradeepsaurabhvlogs #Ramgarh #fallowers #nainital #allahabaduniversity #uttrakhand #foodblogger #foodie #homekitchen #kumauynirsoi
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