- सुनियोजित साजिश के तहत हिंदुओं का कराना जाता था धर्मांतरण
- मजहबी जाल: प्यार, पैसे और प्रलोभन से होता था धर्मांतरण का खेल
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में एक बड़े धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें मुख्य आरोपी जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को बताया जा रहा है। एटीएस और ईडी की जांच में खुलासा हुआ है कि यह मामला केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं, बल्कि एक सुनियोजित गिरोह द्वारा हिंदू समुदाय के युवाओं का ब्रेनवॉश कर जबरन धर्मांतरण और अवैध जमीन कब्जाने की साजिश का हिस्सा है। ये सनसनीखेज खुलासा छांगुर के एक पूर्व सहयोगी मोहम्मद अहमद ने बातचीत में किया है।मजहबी जाल: प्यार, पैसे और प्रलोभन से धर्मांतरण: जांच एजेंसियों के मुताबिक, छांगुर बाबा का नेटवर्क देश के कई राज्यों में सक्रिय था और इसका संचालन अत्यंत योजनाबद्ध तरीके से किया जाता था।हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाना, फिर उन्हें इस्लाम की 'रूहानी ताकत' के नाम पर बाबा से मिलवाना। बाबा कथित रूप से कमरे में ऊपर बैठकर इस्लाम का उपदेश देता और खुद को अल्लाह से सीधे संपर्क में होने का दावा करता। पीड़िताओं को गुमराह करने में महिला एजेंटों की बड़ी भूमिका थी, जैसे कि नीतू उर्फ नर्सरीन, जो बाबा के 'चमत्कारों' का प्रचार करती थी।धर्म परिवर्तन के बाद महिलाओं से कई बार शादी, बलात्कार और शोषण की घटनाएं भी सामने आई हैं। पीड़िता की आपबीती: प्रशासन से कार्रवाई की मांग: एक पीड़ित महिला ने प्रमुख सचिव से मुलाकात कर गिरोह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उसका कहना है कि उसे पहले एक महिला एजेंट बाबा के पास लेकर गई थी, जहां उसे इस्लाम की अच्छाइयों के नाम पर गुमराह किया गया।
बाबा ने खुद को 'रूहानी शक्ति' का स्वामी बताया, और पीड़िता को कहा गया कि उसका जीवन तभी सुधरेगा जब वह 'धर्म बदलेगी'।उसे आर्थिक मदद का लालच देकर भरोसे में लिया गया। विदेशी फंडिंग और 'रेट कार्ड' धर्मांतरण का
जांच में चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि छांगुर बाबा का नेटवर्क धर्मांतरण के लिए जातियों के अनुसार 'रेट लिस्ट' का उपयोग करता था।ब्राह्मण, क्षत्रिय या सिख - ₹15-16 लाख
ओबीसी - ₹10-12 लाख,अनुसूचित जाति/अन्य - ₹8-10 लाख,बताया जा रहा है कि यह सारा पैसा दुबई, कतर और सऊदी अरब जैसे देशों से फंडिंग के ज़रिए आता था। 100 करोड़ से अधिक की विदेशी लेन-देन की जांच जारी है।
बाबा का सपना और मोहम्मद अहमद का खुलासा:
बाबा के एक करीबी मोहम्मद अहमद ने खुलासा किया है कि बाबा का उद्देश्य था भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाना। अहमद ने बताया कि:वह 2023 में बाबा के संपर्क में आया था, जब एक जमीन के सौदे में उसने 49.80 लाख रुपये बाबा से लिए थे।
बाद में जब पैसे नहीं मिले और विवाद बढ़ा, तो वह उससे अलग हो गया।उसने बाबा को खुदा से जुड़ा होने का ढोंग करते और 'जन्नत का वादा' करते देखा था।जांच एजेंसियों की कार्रवाई और गिरोह का सफाया: ATS ने अब तक बाबा समेत उसके 4 सहयोगियों को गिरफ्तार किया है।ED ने बाबा के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज कर लिया है। अब तक ₹51 करोड़ की संपत्तियों की जांच हो चुकी है।बलरामपुर स्थित बाबा की 70 कमरों वाली कोठी, जो इस्लामी प्रचार और धर्मांतरण केंद्र के रूप में उपयोग होती थी, ध्वस्त कर दी गई है।समाज में उबाल, नेताओं और संगठनों की प्रतिक्रियाएं यूपी महिला आयोग की अध्यक्ष ने मामले की तेज सुनवाई और मृत्युदंड की मांग की है।कई हिंदू संगठनों ने इसे "राष्ट्रविरोधी साजिश" बताया है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर जांच की मांग की है।पुलिस अधिकारियों पर भी सख्ती बढ़ाई जा रही है, क्योंकि बाबा का प्रभाव कई प्रशासनिक अफसरों तक पहुंच चुका था। बताया गया कि हिंदू परिवारों का धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में गिरफ्तार जमालुद्दीन उर्फ छांगुर ने जमीनों में भी खूब पैसा लगाया था। हर खरीद व बिक्री पर मुनाफे की छांगुर तक रकम पहुंचती थी। यह मुनाफा धर्म परिवर्तन कराने में खर्च होता था।बलरामपुर में अवैध धर्मांतरण को आगे बढ़ाने के लिए छांगुर ने कई दांव चले थे। लोगों को लाभ देकर खुद की टीम से जोड़ने के लिए प्रॉपर्टी का कार्य भी करा रहा था। इस काम को महबूब और नवीन रोहरा देखते थे, जिससे अच्छी आमदनी होती थी। मुनाफा धर्म परिवर्तन कराने में खर्च होता था।पहले लोगों को प्रभावित करने के लिए छांगुर उन्हें रुपये बांटता था और फिर इस्लाम धर्म कबूल करने का दबाव बनाता था। उत्तरौला में ही छांगुर ने छह स्थानों पर बेशकीमती जमीन खरीदी है। शहर में दो कॉम्प्लेक्स भी बनवाए हैं। इसके साथ ही प्लॉटिंग भी कर रहा था।
छांगुर के राजदार रहे बब्बू चौधरी ने बातचीत में बताया कि छांगुर धर्म परिवर्तन कराने के लिए कई तरह से रुपये बांटता था। योजना के तहत छांगुर हिंदू श्रमिकों और गरीब परिवारों को पहले नियमित खर्च के लिए रुपये देता था। वह ऐसे लोगों को अपने घर में साफ-सफाई या जानवरों की देखरेख का काम सौंपता था। वेतन के साथ ही 100-200 रुपये रोज देता था। इसके बाद प्रभाव में लेकर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कहता और बेहतर जिंदगी का ख्वाब दिखाता था। छांगुर के यहां सफाई करने वाले संचित ने बताया कि उसे छांगुर ने धर्म परिवर्तन करने पर पांच लाख रुपये देने का लालच दिया था। इनकार पर दुष्कर्म के मामले में फंसा दिया। एटीएस ने भी संचित के बयान का जिक्र अपनी जांच में किया है।हिंदू परिवारों का धर्म परिवर्तन, लव जिहाद और देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में एटीएस के शिकंजे में आए जमालुद्दीन उर्फ छांगुर के मंसूबे कहीं घातक थे। अवैध धर्मांतरण के लिए उसने नेपाल से सटे संवेदनशील सात जिलों में सक्रिय कुछ ईसाई मिशनरियों से भी सांठगांठ कर ली थी। उनके पास्टर और पादरी को पैसे देकर कमजोर वर्गों का ब्योरा लेता था और फिर चिह्नित परिवारों को आर्थिक रूप से मदद कर प्रभाव में लेकर धर्म परिवर्तन कराता था। धर्मांतरण में होने वाले खर्च का पूरा हिसाब नसरीन रखती थी। नवीन से जलालुद्दीन बना नीतू का पति पुलिस और स्थानीय प्रशासन को मैनेज करता था।सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार देवीपाटन मंडल में मिशनरियों ने हर वर्ग के अनुसार प्रचारक नियुक्त किया है, जिससे परिवारों को समझाने और धर्मातरण के लिए राजी करने में आसानी होती है। नके पास चुनिंदा क्षेत्रों के दलित, वंचित, गंभीर रूप से बीमार व आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों का पूरा ब्योरा होता है, जिसे छांगुर समय-समय पर पैसे और प्रभाव का उपयोग कर धर्मांतरण के लिए हासिल करता था।हिंदू परिवारों को प्रभावित करने के लिए छांगुर नीतू उर्फ नसरीन और नवीन उर्फ जलालुद्दीन का उदाहरण देता था। बताता था कि दोनों पहले सिंधी थे। इस्लाम स्वीकारने के बाद जिंदगी बदल गई। आज इनके पास पैसे हैं… आलीशान कोठी है… महंगी गाड़ी है…। इस्लाम स्वीकारते ही तुम्हारी भी जिंदगी बदल जाएगी।भारत-नेपाल बॉर्डर पर काम कर चुके पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह बताते हैं कि छांगुर पीर मिशन आबाद की एक कड़ी है। हिंदू परिवारों के धर्म परिवर्तन के बदले उसे विदेश से फंडिंग भी होती थी। इसकी रिपोर्ट भी बनी और गृह मंत्रालय को भेजी भी गई। देर से ही सही, लेकिन अब कार्रवाई पुख्ता हो रही है।दरअसल, मिशन आबाद भारत-नेपाल के बीच तराई व मधेश क्षेत्र में समुदाय विशेष की आबादी बढ़ाने की कोशिश है। शिक्षण संस्थानों की आड़ में असम व पश्चिम बंगाल तक के लोगों को बसाने का प्रयास भी इसी का हिस्सा है।( अशोक झा की रिपोर्ट )
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