- जल्द चुनाव को लेकर मान गए सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस
शेख हसीना को गए अभी साल भर भी नहीं बीता है, बांग्लादेश एक बार फिर से अस्थिरता की ओर बढ़ रहा है। बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के खिलाफ देश में गुस्सा तेज हो रहा है। छात्र, सरकारी कर्मचारी, व्यापारी और यहां तक कि यूनुस के शासन में छूट पाए कट्टर इस्लामी समूह भी सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं। बांग्लादेश में कानून व्यवस्था बस नाम की चीज रह गई है। लूटपाट, बलात्कार और हिंसा की खबरें लगातार आ रही हैं। हाल ही में मोहम्मद यूनुस ने देश के मुख्य सलाहकार के पद से इस्तीफे की धमकी दे दी थी, जिसे बाद में वापस ले लिया था। फिलहाल राजनीतिक अनिश्चितता टल गई है, लेकिन अभी खत्म नहीं बांग्लादेश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने को लेकर अंतिम सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस पर लगातार दवाब बढ़ता जा रहा है. बांग्लादेश के आर्मी चीफ और राजनीतिक पार्टियों के रुख को देखते हुए मोहम्मद यूनुस ने घोषणा की है कि देश में दिसंबर 2025 से लेकर जून 2026 के बीच कभी भी चुनाव हो सकते हैं. मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि अंतरिम सरकार चुपचाप नहीं बैठी है, बल्कि अलग-अलग मोर्चों पर सक्रियता से काम कर रही है.
बांग्लादेश की पूर्व पीएम बेगम खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी (BNP) के लोगों ने यह आंदोलन किया, जिसमें देश भर से हजारों लोगों की भीड़ जुटी। राजधानी के सभी मुख्य मार्ग पूरी तरह जाम दिखे तो वहीं आंदोलन के चलते पूरा कामकाज भी थम गया। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की रैली में जल्दी ही आम चुनाव कराने की मांग की गई। इन लोगों की मांग थी कि इस साल के अंत तक ही चुनाव हो जाने चाहिए।वहीं मोहम्मद यूनुस कई बार दोहरा चुके हैं कि इस साल के अंत तक चुनाव कराना मुश्किल होगा। उनका कहना है कि जून 2026 तक चुनाव कराए जा सकते हैं। लेकिन बीएनपी समेत कई दलों का कहना है कि चुनाव पहले ही हो जाने चाहिए। बांग्लादेश के सेना प्रमुख वकार-उज-जमां की भी यही राय है कि इसी साल के अंत तक इलेक्शन करा लिए जाएं। साफ है कि यदि मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने चुनाव जल्दी ही कराने का फैसला नहीं लिया तो फिर बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर देखने को मिल सकता है। बीते साल शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से ही मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार चला रहे हैं। यूनुस सरकार में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेताओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। शेख हसीना खुद भारत में शरण लिए हुए हैं तो पार्टी के कई बड़े नेता अंडरग्राउंड हैं। अवामी लीग को राजनीतिक पार्टी के तौर पर भी बैन कर दिया गया है। इन तमाम मुश्किलों के बीच अवामी लीग एक बार फिर वापसी की उम्मीद कर रही है। इसकी वजह हालिया दिनों में यूनुस सरकार के खिलाफ उपजता होता गुस्सा और ढाका की राजनीतिक उथलपुथल है। शेख हसीना के करीबी और अवामी लीग के महासचिव रहे ओबैदुल कादर ने बातचीत में कहा है कि उनकी पार्टी को सत्ता से हटे करीब एक साल हो गया है और बांग्लादेश आज भी राजनीतिक अनिश्चितता से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूद हालात अवामी लीग के लिए मौका बना सकते हैं। इसकी वजह ये है कि बांग्लादेश के लोग अब शेख हसीना की सरकार की तुलना मुहम्मद यूनुस शासन से कर रहे हैं। वह मौजूदा शासन से निराश हो गए हैं।
यूनुस सरकार से लोग निराश हैं:कादर ने कहा, 'यूनुस सरकार में कट्टरपंथियों का बोलबाला है। यहां तक कि खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी भी अंतरिम सरकार से नाखुश है। मुझे लगता है कि यह असंतोष एक संगठित आंदोलन में बदलेगा। ऐसे में अवामी लीग पर प्रतिबंध के बावजूद हमारे लिए यह एक अवसर है। उम्मीद है कि अवामी लीग प्रतिबंधों से पार पाते हुए फिर उभरेगी। हमारे लिए यह सत्ता हासिल करने के बजाय देश के लोगों की भलाई का सवाल है।अवामी लीग सरकार में प्रभावी राजनेताओं में शुमार रहे ओबैदुल कादर ने कहा कि हमारी पार्टी के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है लेकिन अवामी लीग को बांग्लादेश के लोगों की चेतना से नहीं मिटाया जा सकता। अवामी लीग मुक्ति युद्ध और बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत से निकली है। कादर ने कहा कि अतीत में हमसे कुछ गलतियां भी हुई हैं। हमें किसी मुद्दे पर माफी मांगनी पड़ी, तो बिना किसी हिचकिचाहट के ऐसा करेंगे।आर्मी चीफ को दोष देना गलत: कादर ने कहा कि उनकी पार्टी के कई लोग बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां को दुश्मन की तरह देखते हैं लेकिन वह ऐसा नहीं मानते। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की सेना पाकिस्तान की तरह राजनीतिक रूप से इतनी मजबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने अपने शासन के दौरान सशस्त्र बलों को पूरा समर्थन दिया और उनकी क्षमताओं में सुधार किया।
कादर ने उन आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अवामी लीग की स्टूडेंट यूनिट को जुलाई 2024 के विद्रोह को दबाने के लिए कहा था। उन्होंने कहा कि वह छात्र लीग (अवामी लीग की छात्र शाखा) को ऐसे निर्देश जारी करने की स्थिति में नहीं थे। उनके अपने किसी भी तरह की हिंसा में शामिल होने से भी पूरी तरह से इनकार किया। ( बांग्लादेश बोर्डर से अशोक झा )
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