कोलकाता हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से हाल ही में जारी नई ओबीसी अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके बाद बुधवार को विधानसभा के बाहर बीजेपी विधायकों ने ढोल-नगाड़े के साथ लड्डू बांटकर इस फैसले का स्वागत किया।हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने राज्य सरकार की नई अधिसूचना पर यह अंतरिम स्थगन आदेश दिया, जिसमें 140 समुदायों को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की बात कही गई थी। बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने पहले ही मंगलवार को कालिगंज उपचुनाव प्रचार के दौरान संकेत दे दिया था कि वे इस फैसले को हिंदू समुदाय के अधिकारों की जीत के रूप में देख रहे हैं और बुधवार को विधानसभा में उत्सव मनाया जाएगा। उनके नेतृत्व में बीजेपी विधायकों ने विधानसभा के बाहर न केवल लड्डू बांटे, बल्कि आम जनता को भी मिठाइयां वितरित कीं। शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि ममता सरकार बार-बार ओबीसी आरक्षण के नाम पर तुष्टीकरण की राजनीति कर रही थी। यह फैसला हिंदू समाज के उन वर्गों के अधिकार की रक्षा करता है, जो लंबे समय से उपेक्षित थे।
हाईकोर्ट के फैसले के मुताबिक, जिन लोगों को 1993 के कानून के अंतर्गत 2010 से पहले ओबीसी सर्टिफिकेट मिला था, उनके रोजगार या दाखिले में कोई बाधा नहीं होगी। बीजेपी ने इसे न्याय की जीत और ममता सरकार की 'वोट बैंक राजनीतिÓ की हार बताया है। वहीं तृणमूल कांग्रेस की ओर से कुणाल घोष ने कहा कि विरोधी दल के नेता ओबीसी मामले को लेकर खुशी मना रहे है जो ओबीसी के बारे में ये कहते हैं कि मेरे जूते के नीचे ओबीसी रहते हैं।राजनीतिक गलियारों में यह मामला अब और गरमाने की संभावना है क्योंकि जिस तरह से विधानसभा के बाहर बाजे गाजे के साथ उत्साह भाजपा ने मनाया हैं उसने 2026 के चुनाव से पहले राजनीति के मैदान में विवाद छेड़ दिया हैं।
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