- 700 मिलियन डॉलर के रेडीमेड कपड़े भारत भेजता है बांग्लादेश
- सिलीगुड़ी समेत पूर्वोत्तर के ज्यादातर बाजार में बांग्लादेशी रेडीमेड गारमेंट्स की होती है बिक्री
भारत सरकार ने बांग्लादेश से आने वाले रेडीमेड गारमेंट्स , प्लास्टिक, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और अन्य कुछ सामानों के आयात पर पाबंदी लगा दी है। मेघालय, असम, त्रिपुरा, मिजोरम, बंगाल के फुलबाड़ी और चैंगराबांधा बोर्डर शामिल है। रणनीतिक व्यापार कदम में, भारत ने प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और रेडीमेड कपड़ों सहित बांग्लादेश से आयात की विशिष्ट श्रेणियों पर नए बंदरगाह प्रतिबंधों की घोषणा की है। वाणिज्य मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा जारी एक आधिकारिक अधिसूचना के माध्यम से तत्काल प्रभाव से यह निर्णय सूचित किया गया।
यह फैसला क्यों लिया गया?: भारत सरकार का कहना है कि उसने अब तक बांग्लादेश को सभी ज़मीनी और समुद्री मार्गों से सामान भेजने की आज़ादी दी थी। लेकिन बांग्लादेश ने भारत से आने वाले सामानों पर कई सीमाओं पर रोक लगाई, खासकर पूर्वोत्तर राज्यों से लगती सीमाओं पर। इस फैसले का असर क्या होगा?: बांग्लादेश हर साल भारत को लगभग 700 मिलियन डॉलर के रेडीमेड कपड़े भेजता है। इनमें से 93% कपड़े ज़मीनी सीमा चौकियों से आते हैं। अब इनका आयात सिर्फ कोलकाता और न्हावा शेवा बंदरगाहों से ही होगा, जिससे बांग्लादेश के व्यापार पर असर पड़ सकता है। भारतीय बाजार में इन उत्पादों के प्रवाह को सुव्यवस्थित और विनियमित करना है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि यह निर्देश बांग्लादेश से उन वस्तुओं को प्रभावित नहीं करेगा जो केवल नेपाल और भूटान जैसे तीसरे देशों के रास्ते भारत से होकर गुजर रहे हैं। ऐसे पारगमन शिपमेंट को नए लगाए गए बंदरगाह-विशिष्ट प्रतिबंधों से छूट दी जाती रहेगी। यह उपाय भारत के अपने पूर्वी पड़ोसी के साथ व्यापार प्रबंधन दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण विकास को दर्शाता है और इससे द्विपक्षीय वाणिज्यिक रसद और आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित करने की उम्मीद है। बांग्लादेश से जिन उत्पादों पर रोक लगाई गई है, उनमें रेडीमेड गारमेंट्स, प्लास्टिक के उत्पाद, मेलामाइन, लकड़ी का फर्नीचर, कार्बोनेटेड पेय, फलों के स्वाद वाले ड्रिंक्स, बेकरी आइटम्स, कन्फेक्शनरी, कपास और कपास का कचरा शामिल हैं. हालांकि मछली, एलपीजी, खाद्य तेल और क्रश्ड स्टोन जैसे उत्पाद इस प्रतिबंध से बाहर रखे गए हैं। भारत की इस नई पॉलिसी के मुताबिक अब केवल कोलकाता और न्हावा शेवा (मुंबई) बंदरगाह से ही इन सामानों का आयात संभव होगा। इससे पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश के छोटे और मध्यम व्यापारियों को बड़ा झटका लग सकता है।
क्या है इस फैसले के पीछे की असल वजह?: सिलीगुड़ी में
फॉसिन के महासचिव विषजीत बोस ने बताया कि भारत ने यह कदम व्यापार में संतुलन और रणनीतिक हितों की रक्षा के लिए उठाया है। भारत का आरोप है कि बांग्लादेश भारतीय धागों के निर्यात पर बंदरगाह प्रतिबंध पहले ही लगा चुका था, जिससे भारतीय उत्पादकों को नुकसान हो रहा था। साथ ही, बांग्लादेश भारत के चावल के निर्यात पर भी रोक लगा चुका है. इन कदमों के जवाब में भारत ने भी बांग्लादेशी सामानों की आसान पहुंच को सीमित करने का फैसला लिया है. यह फैसला सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और कूटनीतिक जवाब भी है। ( बांग्लादेश बॉर्डर से अशोक झा )
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